राजधानी दिल्ली की 1800 कॉलोनियों की 40 लाख आबादी है इसकी जद में

Delhi News (आज समाज), नई दिल्ली। सोमवार सुबह दिल्ली-एनसीआर में भूकंप के झटके महसूस हुए। हालांकि यह झटके बहुत ज्यादा तेज नहीं थे। रिएक्टर स्केल पर इनकी तीव्रता मात्र 4.0 पाई गई। लेकिन गंभीर बात यह थी की भूकंप का केंद्र दिल्ली का धोला कुंआ क्षेत्र था। यह राजधानी दिल्ली की स्तर के करीब पांच किलोमीटर नीचे था। इसी के चलते प्रधानमंत्री से लेकर राष्टÑपति तक ने भूकंप की इस घटना पर बेहद चिंता व्यक्त की है। भू वैज्ञानिक भी इस बारे में पूरी तरह से सुचेत हो गए हैं। आने वाले समय में यह देश की राजधानी के लिए खतरे के रूप में देखा जा रहा है।

इसलिए दिल्ली के लोगों को ज्यादा खतरा

बेहद घनी और अनियोजित बसावट वाली दिल्ली भूकंप के लिहाज बेहद संवेदनशील है। करीब 1800 से कॉलोनियों में रहने वाली 40 लाख की आबादी पर संकट ज्यादा है। यहां की ज्यादातर इमारतें भूकंपरोधी नहीं हैं। विशेषज्ञ बताते हैं कि सोमवार को भूकंप की तीव्रता अगर तीन अंक ज्यादा होती तो जान-मान का भारी नुकसान हो सकता था। दरअसल, भूकंप के लिहाज से दिल्ली बेहद संवेदनशील है। इसका बड़ा इलाका सिस्मिक जोन-4 के अंतर्गत आता है। इस जोन के इलाकों में भूकंप का खतरा ज्यादा रहता है। दिल्ली आपदा प्रबंधन अधिकरण के अनुसार, इस जोन में तेज भूकंप आने का खतरा रहता है और तीव्रता 5-6 तक हो सकती है।

दिल्ली में भूकंप रोधी इमारतों की संख्या न के बराबर

राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के एक विश्लेषण में पाया गया है कि राष्ट्रीय राजधानी में भूकंपरोधी इमारतों की संख्या बेहद कम हैं। जनसंख्या घनत्व भी काफी ज्यादा है। दिल्ली में अगर तेज तीव्रता का भूकंप आता है तो भारी तबाही मचा सकता है। योजना तथा वास्तुकला विद्यालय (एसपीए), दिल्ली के डीन प्रोफेसर पीएसएन राव बताते हैं कि दिल्ली में करीब 1800 ऐसी कॉलोनियां हैं, जहां कि इमारतों को भूकंप का सबसे अधिक खतरा है। ये कॉलोनी यमुनापार के इलाकों से लेकर द्वारका, नजफगढ़, दक्षिण दिल्ली सहित कई दूसरे इलाकों में आती हैं। यहां के ज्यादातर मकान भूकंपरोधी नहीं हैं।

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