नई दिल्ली।जेएनयू में रविवार शाम बड़ी हिंसा हुई। लाठी-डंडे, हॉकी स्टिक से लैस बाहर से आए नकाबपोश हमलावरों ने यूनिवर्सिटी स्टूडेंट्स और टीचरों को बेरहमी से पीटा। इसमें छात्रसंघ अध्यक्ष आईशी घोष समेत 30 से ज्यादा छात्र और टीचर गंभीर रूप से घायल हुए, जिन्हें एम्स और सफदरजंग में भर्ती कराया गया। करीब 200 हमलावरों ने साबरमती हॉस्टल समेत कई बिल्डिंग में जमकर तोड़फोड़ की।
की सलाह पर स्टूडेंट्स ने कई बार 100 नंबर डायल किया। पीसीआर को 90 से ज्यादा कॉल मिलीं लेकिन स्टूडेंट्स का आरोप है कि कई कॉल करने के बावजूद पुलिस देरी से पहुंची और हिंसा रोकने के बजाय चुप रही। पुलिस ने कहा कि यूनिवर्सिटी प्रशासन के कहने पर हम अंदर आए। कुछ नकाबपोश देखे गए हैं, जिनकी पहचान की जाएगी। जेएनयू प्रशासन ने कहा कि रात में भी नकाबपोश कैंपस में लोगों पर हमले करते रहे।
टीचरों ने कहा कि जेएनयू के इतिहास में ऐसी हिंसा पहली बार हुई है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पुलिस कमिश्नर को फोन कर हालात का जायजा लिया। एचआरडी मिनिस्ट्री ने भी यूनिवर्सिटी प्रशासन से रिपोर्ट तलब कर ली है। इस बीच जेएनयू में छात्रों पर हुए हमले की जांच के लिए दिल्ली पुलिस ने एक स्पेशल टीम गठित की है। दिल्ली पुलिस कमिश्नर ने इस जांच के आदेश दिए हैं। दिल्ली पुलिस की ज्वाइंट कमिश्नर शालिनी सिंह यह जांच करेंगी।
उधर, पुलिस के आने में देरी के सवाल पर संयुक्त पुलिस आयुक्त (दक्षिण-पश्चिम क्षेत्र) देवेंद्र आर्य ने कहा, ह्यविश्वविद्यालय प्रशासन ने हमसे आग्रह किया, इसके बाद पुलिस टीम ने विश्वविद्यालय परिसर में प्रवेश किया।ह्ण आर्य ने कहा कि पुलिस टीम ने परिसर में फ्लैग मार्च किया। पुलिस परिसर के अंदर के हालात देखकर अपना काम करेगी। देर रात जेएनयू के छात्रों ने दिल्ली पुलिस के साथ बैठक करके मांग की कि घायलों को चिकित्सा सहायता दी जाए और जिन लोगों ने हिंसा की है, उन्हें अरेस्ट किया जाए।
यूनिवर्सिटी में खुलेआम घूमते और तोड़फोड़ करते नकाबपोशों की तस्वीरें सामने आ चुकी हैं। लेकिन ये नकाबपोश कौन थे और कहां से आए थे इसका जवाब दिल्ली पुलिस और जेएनयू प्रशासन को जल्द से जल्द सामने लाना होगा।
जेएनयू के गेटों पर कड़ी सुरक्षा रहती है, कोई भी बाहरी शख्स कैंपस में दाखिल नहीं हो सकता है। अगर ये लोग बाहरी थे तो इतनी बड़ी तादाद में लाठी-डंडों और रॉडों के साथ कैसे और कहां से यूनिवर्सिटी में घुस आए। इसका जवाब यूनिवर्सिटी प्रशासन को देना ही होगा।
इतनी देर तक कैंपस के अंदर हंगामा और स्टूडेंट्स के साथ मारपीट होती रही, इस दौरान यूनिवर्सिटी प्रशासन क्या कर रहा था। खासतौर से कैंपस में बड़ी तादाद में सिक्यॉरिटी गार्ड्स तैनात रहते हैं, वे सब इस दौरान क्या कर रहे थे। उन्होंने हमलावरों को रोकने या पकड़ने की कोशिश क्यों नहीं की।
पुलिस के मुताबिक जेएनयू से शाम 4 बजे से ही पीसीआर कॉल्स आनी शुरू हो गई थीं। पुलिस को 90 से ज्यादा पीसीआर कॉल्स की गईं। स्टूडेंट्स का आरोप है कि अगर यूनिवर्सिटी प्रशासन और पुलिस पहले एक्शन में आ जाती घटना को कंट्रोल किया जा सकता था।
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