International Sanskrit Scholars Conference, (आज समाज), नई दिल्ली: देशभर की संस्कृत विदुषियों का त्रि-दिवसीय ‘अन्तर्राष्ट्रीय संस्कृत विदुषी सम्मेलन’ यहां दिल्ली विश्वविद्यालय के सत्यवती कॉलेज के सभागार में हुआ। इस सम्मेलन की मुख्य अतिथि संगीत नाटक अकादमी की अध्यक्षा डॉ. संध्या पुरेचा थीं। सम्मेलन के संरक्षक केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, जनकपुरी के कुलपति प्रोफेसर श्रीनिवास वरखेड़ी ने कार्यक्रम का उद्घाटन किया।
देश की मातृ शक्ति में नेतृत्व करने की क्षमता
श्रीनिवास वरखेड़ी ने अपने उद्घाटन भाषण में कहा, मातृ शक्ति हमारे देश का गौरव हैं। पुरूषों को यह तथ्य स्वीकार करना होगा। संस्कृत की विदुषियों के प्रति सम्मान की भावना ही हमारे समाज व राष्ट्र के जन जागरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। हमारे देश की मातृ शक्ति में नेतृत्व करने की क्षमता है। उनका भविष्य उज्ज्वल है। उन्होंने कहा, संस्कृत, संस्कृति और सभ्यता का अटूट संबंध है।
बच्चों में संस्कृत के सहयोग से आते हैं संस्कार
संस्कृत के सहयोग से ही बच्चों में संस्कार आते हैं। संस्कारों से ही अच्छी सभ्यता का विकास होता है। नाट्यवृक्ष संस्था की अध्यक्षा व विख्यात भरतनाट्यम नृत्यांगना पद्मश्री गीता चन्द्रन ने कहा , संस्कृत भाषा में जो बात है वह किसी में नहीं है। हम कलाकार लोग तो संस्कृत का प्रयोग नृत्य,संगीत व गायन में ही करते हैं।हमें देखना होगा कि नृत्य व संगीत के माध्यम से कैसे संस्कृत का प्रचार व प्रसार किया जा सकते हैं।
संस्कृत सिर्फ भाषा नहीं जीवन शैली :डॉ. संध्या पुरेचा
संगीत व नाटक अकादमी की अध्यक्षा डॉ. संध्या पुरेचा ने कहा, संस्कृत सिर्फ भाषा नहीं है, ये तो एक जीवन शैली है। जो हमें संस्कार सिखाती है। अपनी संस्कृति की धरोहर को आगे ले जाने में नाटक की महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने कहा, भारत भूमि ही योग भूमि है, स्वर्ण भूमि है, इसीलिए संस्कृत व संस्कृति की साधना सिर्फ भारत में ही सम्भव है।राष्ट्रपति पुरस्कार विजेता व श्री कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय की पूर्व कुलपति प्रोफेसर लक्ष्मी शर्मा ने कहा, संस्कृत ही संस्कारों की जननी है और एक मां ही बच्चों को अच्छे संस्कार देती है। आज आधुनिक भारत की महिलाएं देश के आभा मंडल में छा गई हैं।
प्रिंसिपल अंजू सेठ ने की समारोह की अध्यक्षता
समारोह की अध्यक्षता सत्यवती कॉलेज की प्रिंसिपल प्रोफेसर अंजू सेठ ने की। सम्मेलन की निदेशिका प्रो. कमला भारद्वाज ने सार्वजनिक जीवन में विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय कार्य करने वाली दस महिलाओं को विदुषी सम्मेलन की ओर से सम्मानित किया। उन्होंने बताया कि समारोह में संगीत नाटक अकादमी की अध्यक्षा डॉ. संध्या पुरेचा, पद्मश्री गीता चन्द्रन,राष्ट्रपति पुरस्कार विजेता प्रो. लक्ष्मी शर्मा, विख्यात पर्वतारोही पद्मश्री संतोष यादव, पद्मश्री सुश्री सुकामा, संस्कृत की वरिष्ठ विदुषी श्रीमती भगवती सुदेश और प्रो.सत्यम कुमारी, आकाशवाणी की पूर्व प्रोग्राम डायरेक्टर श्रीमती रितु राजपूत, कालिदास संगीत एन्ड फाइन आर्ट्स अकादमी की प्रो. आभा कुलश्रेष्ठ और नॉन कोलेजिएट वीमेंस बोर्ड की डायरेक्टर डॉ. गीता भट्ट को शाल,सम्मान पत्र,नटराज की मूर्ति और सत्यवती कॉलेज का प्रतीक चिन्ह प्रदान किया गया।
नारी ही परिवार व राष्ट्र की धुरी
राष्ट्र सेविका संघ की डॉ. चारु कालरा ने कहा, नारी तो प्रेरक,तारक और मारक है। नारी ही परिवार व राष्ट्र की धुरी है क्योंकि वह ही संस्कृति की संवाहक है। सम्मेलन के कन्वीनर डॉ. गणेश पंडित के निर्देशन में विदुषी सम्मेलन के इतिहास को दर्शाने के लिए एक वीडियो प्रस्तुति भी पेश की गई, जिसका आलेख प्रो. कमला भारद्वाज ने पढ़ा। कार्यक्रम का संयोजन डॉ. नीलम गौड़, डॉ. मीनाक्षी मिश्र ,डॉ इंदु सोनी और डॉ. कामना विमल ने किया। कुलपति श्रीनिवास वरखेड़ी, आयोजन के प्रबंध सचिव डॉ. अजय झा ने कॉलेज परिसर में लगाई गई वस्तु प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। प्रदर्शनी मे सभी वस्तुओं के नाम संस्कृत भाषा में दर्शाए गए हैं।
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