नई दिल्ली। राष्ट्रीय महिला आयोग (छब्ॅ) ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है, जिसमें कोर्ट ने कहा कि तलाक के बाद मुस्लिम महिला को भरण-पोषण का दावा करने का अधिकार है। कोर्ट ने ये फैसला 10 जून को दिया था। एनसीडब्ल्यू ने कहा कि महिलाओं से संबंधित सभी व्यक्तिगत कानून सभी धर्मों में समान होने चाहिए।
अध्यक्ष रेखा शर्मा ने कहा कि महिलाओं के अधिकार सार्वभैमिक होने चाहिए, यह धर्म के आधार पर भी नहीं होने चाहिए। महिलाओं से संबंधित व्यक्तिगत कानून सभी धर्मों के समान होने चाहिए। हिंदू विवाह अधिनियम तहत तलाक के बाद महिलाओं को गुजारा भत्ता मिलता है तो मुस्लिम महिलाओं को भी मिलना चाहिए। रेखा शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है।
सुप्रीम कोर्ट ने 10 जून को फैसला सुनाया कि तलाकशुदा मुस्लिम महिला को दंड प्रक्रिया संहिता (ब्तच्ब्) की धारा 125 के तहत अपने पति से भरण-पोषण मांगने का अधिकार है। ष्धारा 125 सभी महिलाओं पर लागू होगी, न कि सिर्फ विवाहित महिलाओं पर।ष् पीठ ने कहा कि भरण-पोषण दान नहीं बल्कि विवाहित महिलाओं का अधिकार है और यह सभी विवाहित महिलाओं पर लागू होता है, चाहे वे किसी भी धर्म की हों।
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