नई दिल्ली। हाईकोर्ट ने एक निजी स्कूल को अभिभावकों द्वारा बढ़ी हुई फीस का भुगतान करने से इनकार करने के बाद कुछ छात्रों के काटे गए नामों को दोबारा बहाल करने का निर्देश दिया है। न्यायमूर्ति स्वर्णकांता शर्मा ने नौ जुलाई को पारित आदेश में अभिभावकों से चालू शैक्षणिक वर्ष के लिए बढ़ी हुई स्कूल फीस का 50 प्रतिशत जमा करने को कहा है। साथ ही अदालत ने याचिका पर डीओई के साथ-साथ स्कूल को भी नोटिस जारी कर उन्हें दो सप्ताह के भीतर अपना जवाब दाखिल करने को कहा है। मामले की अगली सुनवाई 30 जुलाई को होगी।
अदालत का यह आदेश अभिभावकों की एक याचिका पर आया, जिसमें तर्क दिया गया था कि द्वारका में दिल्ली पब्लिक स्कूल ने बढ़ी हुई फीस का भुगतान न करने के कारण उनके बच्चों के नाम अपने रोल से हटा दिए। अभिभावकों ने दावा किया कि शिक्षा निदेशालय (डीओई) की मंजूरी के बिना फीस में बढ़ोतरी की गई थी। अदालत ने कहा कि यह निर्देश दिया जाता है कि संबंधित पक्षों के अधिकारों और विवादों पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना और याचिकाकर्ताओं द्वारा शैक्षणिक वर्ष 2024-25 के लिए बढ़ी हुई स्कूल फीस का 50 प्रतिशत जमा करने के अधीन याचिकाकर्ताओं के बच्चों के नाम उनकी संबंधित कक्षाओं में स्कूल की सूची में बहाल किए जाएं, जो वर्तमान याचिका के अंतिम परिणाम के अधीन हैं।
अदालत ने कहा, यह आदेश याचिकाकर्ताओं के भविष्य और शैक्षणिक वर्ष को बचाने के मद्देनजर पारित किया जा रहा है। याचिकाकर्ता अभिभावकों ने दावा किया कि स्कूल प्रशासन ने हाल ही में बढ़ी हुई फीस का भुगतान न करने पर 20 से अधिक छात्रों को निष्कासित कर दिया, जो उनके अनुसार अस्वीकृत थी। याचिका में याचिकाकर्ताओं ने न केवल अपने बच्चों को तुरंत बहाल करने के निर्देश मांगे, बल्कि स्कूल को शैक्षणिक वर्ष के लिए केवल स्वीकृत शुल्क लेने का निर्देश देने का भी अनुरोध किया।
याचिका में कहा गया है कि स्कूल प्रशासन को उच्च न्यायालय के उस फैसले का सख्ती से पालन करना चाहिए, जिसमें कहा गया है कि अभिभावकों से कोई अस्वीकृत शुल्क तब तक नहीं लिया जा सकता जब तक कि इसे शिक्षा निदेशालय द्वारा अनुमोदित न किया जाए। उन्होंने अदालत से स्कूल की भूमि का आवंटन रद्द करने और कानून के तहत इसका प्रशासन अपने हाथ में लेने का निर्देश देने की भी मांग की।
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