Aaj Samaj (आज समाज), Delhi Liquor Policy Scam, नई दिल्ली: शराब नीति घोटोले में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका पर मंगलवार को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) सहित सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद शीर्ष अदालत ने फैसला सुरक्षित रखने का निर्णय लिया। ईडी और सीबीआई की तरफ से दलील दी गई कि अगर सिसोदिया को जमानत दी जाती है तो वह सबूतों के साथ छेड़छाड़ कर सकते हैं।
- सबूतों के साथ छेड़छाड़ कर सकते हैं सिसोदिया : ईडी
290 से अधिक गवाह
ईडी की ओर से एएसजी एस राजू रामचंद्रन ने सुप्रीम कोर्ट में दलीलें पेश कीं। सुप्रीम कोर्ट ने मुकदमे की प्रगति के बारे में पूछा कि मामले में लगभग 21,000 से 30,000 दस्तावेज हैं और 290 से अधिक गवाह हैं तो कैसे समय से ट्रायल पूरा होगा। इस पर एएसजी एसवी राजू ने कहा, छह माह में कोर्ट देख सकता है कि हमने इसमें कितनी प्रगति की है। उन्होंने कहा, निचली अदालत ने मुझे सभी दस्तावेज देने का निर्देश दिया है ताकि मुकदमे में विलंब न हो। उन्होंने कहा, 9 से 12 महीने मे ट्रायल पूरा हो जाएगा।
सिसोदिया के वकील…
सिसोदिया के वकील ने कहा कि सीधे तौर पर उनके मुवक्किल से जुड़ा कोई साक्ष्य नहीं है। सभी साक्ष्य दस्तावेजी प्रकृति के हैं। उन्होंने कहा, सिसोदिया को सलाखों के पीछे रखने की कोई जरूरत नहीं है, उनके भागने कोई खतरा नहीं है। ईडी का यह कहना गलत है कि नई शराब नीति के कारण कीमतें बढ़ीं, जबकि नीति के बाद ग्राहकों को मिलने वाली कीमत भी कम हुई। सिसोदिया के वकील ने कहा कि ईडी का आरोप यह है कि नई शराब नीति ही धोखा देने के लिए बनाई गई, जबकि नई नीति समितियों द्वारा विचार-विमर्श के बाद पारदर्शी तरीके से बनाई गई और तत्कालीन एलजी ने इसकी मंजूरी दी थी।
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