Delhi High Court: श्रीकृष्ण जन्मभूमि ईदगाह विवादः अमीन सर्वे हो या नहीं, सिविल कोर्ट 26 मई को सुनाएगी फैसला

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आशीष सिन्हा
आशीष सिन्हा

Aaj Samaj, (आज समाज),Delhi High Court,नई दिल्ली:

1*बागेश्वरधाम की कथा रुकवाने हाईकोर्ट पहुंचे वकील को कोर्ट ने लगाई फटकार, जेल भेजने की वॉर्निंग पर वकील साहब मांगने लगे माफी, देखें क्या था पूरा मामला*

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने बागेश्वरधाम की कथा के खिलाफ लगी याचिका को खारिज कर दिया है। इतना ही नहीं पीठ ने याचिकाकर्ता को फटकार भी लगाई, जब याचिकाकर्ता के वकील जिरह पर जिरह करने लगे तो पीठ को कहना पड़ा कि उन्हें कोर्टरूम से सीधे जेल भेज दिया जाएगा, तब कहीं जाकर वकील ने पीठ से माफी मांगी। दरअसल, सर्व आदिवाजी समाज की ओर दायर याचिका जस्टिस विवेक अग्रवाल की बेंच के सामने सुनवाई के लिए पेश हुई। याचिका में कहा गया कि बागेश्वर धाम की कथा से आदिवासी समाज में भेदभाव पैदा हो रहा है और समाज आहत हो रहा है।

सुनवाई के दौरान कई बार कोर्ट ने पूछा कि कथा से आदिवासी समाज की भावनाएं कैसे आहत हो रही हैं। इस पर याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए वकील जेएस उद्दे संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए थे। इसको लेकर हाईकोर्ट ने फटकार लगाई और केस खारिज कर दिया। याचिकाकर्ता के वकील इसके बावजूद जस्टिस विवेक अग्रवाल से से बहस करने लगे।

याचिकाकर्ता के वकील जेएस उद्दे ने कोर्ट को बताया कि जिस जगह पंडित धीरेंद्र शास्त्री का कार्यक्रम होना है, वहां पर पहले से ही बड़ादेव भगवान स्थान हैं। वह आदिवासियों का आस्था का केंद्र है। इस पर जब जस्टिस विवेक अग्रवाल ने उनसे पूछा कि आप यह बताएं कि बड़ादेव स्थान की क्या मान्यता है और अगर वहां पर कथा होती है तो कैसे किसी की भावनाएं आहत होगी। याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट से कहा कि उस स्थान की जगह कहीं और कार्यक्रम करवा दिया जाए, जिस पर कोर्ट ने वकील को फटकार लगाते हो कहा कि यह आप डिसाइड करेंगे कि कहां पर कार्यक्रम होना है और कहां पर नहीं। पहले आप यह बताइए कि उस स्थान की मान्यता क्या है और कैसे इस कार्यक्रम से कुठाराघात होगा।

याचिकाकर्ता के वकील ने जस्टिस से कहा कि आप मेरी बात सुनने को ही तैयार नहीं है, जिस पर जस्टिस ने उन्हें फटकार लगाते हुए कहा की आपको कोर्ट में बहस करने का तरीका नहीं मालूम है। आप कब से वकालत कर रहे हैं, जिस पर वकील जीएस उद्दे का कहना था कि 2007-2008 से। कोर्ट ने कहा कि अगर आप इस तरह से बहस करेंगे तो क्या बहुत बड़ी टीआरपी कलेक्ट कर लेंगे। जिस दिन हमने जेल भेज दिया तो पूरी वकालत भूल जाओगे। कोर्ट ने कहा कि जितनी गर्मी आपने अपने केस को लेकर दिखाई है, अगर विनम्रता से कहते तो हम सुन भी लेते, अपने पक्षकार को बताएं कि हमारी गर्मी दिखाने के कारण कोर्ट ने केस खारिज कर दिया है, अब फिर से केस फाइल करें।

2*श्रीकृष्ण जन्मभूमि ईदगाह विवादः अमीन सर्वे हो या नहीं, सिविल कोर्ट 26 मई को सुनाएगी फैसला*

अयोध्या के राम जन्म भूमि विवाद के हल की तरह ही मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि ईदगाह विवाद का हल खोजा जाएगा। संभवतः इसी तर्ज पर मथुरा के सिविल जज एफटीसी कोर्ट ने श्री कृष्ण जन्मभूमि ईदगाह प्रकरण को लेकर फैसला सुरक्षित कर लिया है। मामले में अगली सुनवाई की तारीख 26 मई निर्धारित की है।

हिंदू सेना संगठन के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता की याचिका वाद संख्या 639/22 को लेकर सिविल जज एफटीसी कोर्ट में श्री कृष्ण जन्मभूमि ईदगाह प्रकरण को लेकर फैसला आने वाला था। लेकिन कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखे हुए अगली सुनवाई के लिए 26 मई की तारीख मुकर्रर की है।

हिंदू सेना संगठन ने कोर्ट में याचिका दायर करते हुए मांग की थी कि विवादित स्थान शाही ईदगाह मस्जिद का सर्वे सरकारी अमीन के द्वारा होना चाहिए। लेकिन मुस्लिम पक्ष ने आपत्ति दाखिल करते हुए कहा था कि पहले सेवन रूल इलेवन पर सुनवाई हो। हिंदू सेना संगठन के विष्णु गुप्ता की याचिका वाद संख्या 839/22 बीते वर्ष आठ दिसम्बर को सिविल जज एफटीसी कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी। आठ दिसम्बर 2022 को ही कोर्ट ने वादी की दलील सुनने के बाद विवादित स्थान शाही ईदगाह मस्जिद परिसर का सर्वे सरकारी अमीन से कराने के आदेश जारी कर दिया था।

दूसरी बार 29 मार्च को सिविल जज सीनियर डिविजन एफटीसी कोर्ट ने विवादित स्थान का सर्वे कराने के आदेश जारी किये हैं। सेंट्रल सुन्नी वक़्फ बोर्ड के अधिवक्ता ने न्यायालय में दलील पेश करते हुए कहा कि पहले 7 रूल 11 पर सुनवाई हो। लेकिन वादी के वकील ने अपनी बात रखते गए कहा कि पहले विवादित स्थान का सर्वे हो जाना चाहिए और सर्वे होने से किसी के अधिकारों का कोई हनन नहीं होता। बाद में सुनवाई हो सकती है। सुनवाई के लिए 22 मई तारीख निर्धारित की गई थी, लेकिन 23 मई को फैसला सुरक्षित रखते हुए 26 मई की अगली सुनवाई की तारीख मुकर्रर की गई है।

3. इशरत जहां मुठभेड़ मामले की जांच से जुड़े आईपीएस अधिकारी सतीश चंद्र वर्मा को दिल्ली हाई कोर्ट से झटका, बर्खास्तगी के खिलाफ याचिका खारिज

इशरत जहां मुठभेड़ की जांच से जुड़े आईपीएस सतीश चंद्र वर्मा को दिल्ली हाई कोर्ट से झटका लगा है। दिल्ली हाईकोर्ट ने सतीश चंद्र वर्मा को सेवा से बर्खास्तगी के केंद्र सरकार के आदेश को बरकरार रखा है। कोर्ट सतीश चंद्र की उस याचीका को खारिज कर दिया है जिसमें उन्होंने सेवानिवृत्ति से एक महीने पहले बर्खास्त करने के केंद्र सरकार के आदेश को चुनौती दी थी।मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति संजीव सचदेवा की पीठ ने कहा, ‘‘हमें रिट याचिका में कोई दम नहीं दिखता। याचिका खारिज की जाती है।”

दरसअल वर्मा ने केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा 30 अगस्त, 2022 को पारित आदेश को चुनौती दी थी जिसमें तत्काल प्रभाव से सेवा से बर्खास्तगी की गई थी ,जबकि उन्हें 30 सितंबर 2022 को सेवानिवृत्त होना था। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश में दखल देने से इनकार किया था, हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट को जल्द सुनवाई करने को कहा था अदालत ने हाईकोर्ट से दो महीने के भीतर मामले पर फैसला करने को कहा था। वर्मा ने दिल्ली हाईकोर्ट के उस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, जिसमें उनकी बर्खास्तगी पर रोक नहीं लगाई थी

4*दिल्ली के LG को गुजरात हाईकोर्ट से बड़ी राहत, लेफ्टिनेंट गवर्नर रहते नहीं चलाया जा सकता क्रिमिनल ट्रॉयल*

दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना को हाईकोर्ट ने बड़ी मिल गयी है। गुजरात हाईकोर्ट ने एलजी वीके सक्सेना के खिलाफ 21 साल पुराने मारपीट के मामले में क्रिमिनल ट्रायल चलाए जाने पर रोक लगा दी है। गुजरात हाईकोर्ट हाईकोर्ट ने वीके सक्सेना के दिल्ली का उपराज्यपाल पद पर रहने तक उनके खिलाफ क्रिमिनल ट्रायल पर रोक का आदेश दिया है।

दिल्ली के एलजी वीके सक्सेना और तीन अन्य साल 2002 में सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर के साथ मारपीट के मामले में आरोपी हैं। गुजरात के अहमदाबाद कोर्ट में ये मामला चल रहा है। वीके सक्सेना ने अहमदाबाद के मजिस्ट्रेट कोर्ट में अपील कर दिल्ली के एलजी पद पर रहने तक क्रिमिनल ट्रायल रोकने की मांग की थी। अहमदाबाद कोर्ट ने वीके सक्सेना को राहत देने से इनकार कर दिया था।

वीके सक्सेना ने इसके बाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। गुजरात हाईकोर्ट ने वीके सक्सेना को दिल्ली के उपराज्यपाल पद पर रहने तक के लिए क्रिमिनल ट्रायल से राहत दे दी है। वीके सक्सेना के खिलाफ साल 2002 में सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर के साथ मारपीट का केस लंबित है। वीके सक्सेना के साथ ही इस मामले में तीन और लोग आरोपी हैं।

गुजरात हाईकोर्ट ने वीके सक्सेना के खिलाफ क्रिमिनल ट्रायल पर रोक लगाई है। ऐसे में अन्य तीन आरोपियों के खिलाफ क्रिमिनल ट्रायल जारी रहेगा। गौरतलब है कि जिस मामले में गुजरात हाईकोर्ट ने दिल्ली के एलजी वीके सक्सेना को पद पर रहने तक क्रिमिनल ट्रायल से राहत दी है, वह केस साल 2002 का है यानी 21 साल पुराना।

गुजरात दंगों के दौरान साल 2002 में सामाजिक कार्यकर्ता शांति की अपील करने के लिए गुजरात गई थीं। मेधा पाटकर पर अहमदाबाद के साबरमती आश्रम में हमला हुआ था। सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर पर हमले के मामले में वीके सक्सेना के साथ ही तीन अन्य के खिलाफ संबंधित धाराओं में मुकदमा दर्ज हुआ था।

5*कर्ज न चुकाने वाले मालिकों से वाहनों की जबरन जब्ती गलत, पटना हाईकोर्ट ने फाइनैंस कंपनियों पर लगाया जुर्माना*

पटना हाईकोर्ट कहा है कि कर्ज नहीं चुकाने वाले मालिकों से गाड़ियों की जबरन जब्ती गलत है। ये संविधान की ओर से दी गई जीवन और आजीविका के मौलिक अधिकार का सरासर उल्लंघन है। इस तरह की धमकाने वाली कार्रवाइयों के खिलाफ एफआईआर दर्ज होनी चाहिए।

अदालत ने कहा कि सिक्योरिटीज के प्रावधानों का पालन करते हुए वाहन ऋण की वसूली की जानी चाहिए। इसके लिए ग्राहकों के सुरक्षा हित को लागू करें। जस्टिस राजीव रंजन प्रसाद की एकल पीठ ने रिट याचिकाओं के एक बैच का निपटारा करते हुए, बैंकों और वित्त कंपनियों को लताड़ भी लगाई।

अदालत ने बिहार के सभी पुलिस अधीक्षकों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि किसी भी वसूली एजेंट की ओर से किसी भी वाहन को जबरन जब्त नहीं किया जाए।

अदालत ने  वसूली एजेंटों के जबरन वाहनों को जब्त करने के पांच मामलों की सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया। दोषी बैंकों-वित्तीय कंपनियों में से प्रत्येक पर 50,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया। अपने 53 पन्नों के फैसले में, न्यायमूर्ति रंजन ने सर्वोच्च न्यायालय के 25 से अधिक फैसलों का उल्लेख किया।

इसमें दक्षिण अफ्रीका के एक फैसले का भी जिक्र किया गया। कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट किसी भी ‘निजी कंपनी’ के खिलाफ एक रिट याचिका पर सुनवाई कर सकता है, जिसकी कार्रवाई एक नागरिक को उसके जीवन और आजीविका के मौलिक अधिकार से वंचित करती है।

6* नए पासपोर्ट बनवाने को लेकर NOC कर लिए कोर्ट पहुँचे राहुल गांधी की याचीका पर शुक्रवार को होगी सुनवाई

कांग्रेस नेता और पूर्व सांसद राहुल गांधी की ओर से नए पासपोर्ट के लिए दाखिल की गई याचिका पर दिल्ली की
राऊज एवेन्यू कोर्ट 26 मई को सुनवाई करेगा। नेशनल हेराल्ड मामले में आरोपी राहुल गांधी ने सामान्य पासपोर्ट हासिल करने के लिए नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (NOC) पाने के लिए अदालत का रुख किया है।

अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट वैभव मेहता ने समक्ष सुनवाई के दौरान राहुल गांधी के वकील ने अनापत्ति प्रमाणपत्र दिए जाने का अनुरोध करते हुए कहा कि गांधी के खिलाफ कोई आपराधिक मामला लंबित नहीं है। इस पर अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट मेहता ने बीजेपी के नेता सुब्रमण्यम स्वामी को आवेदन पर जवाब दाखिल करने को कहा है।

राहुल गांधी ने अपनी अर्जी में कहा है की मार्च 2023 में संसद सदस्यता समाप्त हो गई और फिर उन्होंने अपना राजनयिक पासपोर्ट जमा कर दिया। अब उन्होंने एक नए सामान्य पासपोर्ट के लिए आवेदन कर रहे हैं और नए सामान्य पासपोर्ट के लिए इस न्यायालय से अनुमति और अनापत्ति की मांग की हैं। कोर्ट ने 19 दिसंबर 2015 को राहुल गांधी और अन्य को नेशनल हेराल्ड मामले में जमानत दे दी थी।

राहुल गांधी को गुजरात के सूरत की एक अदालत ने आपराधिक मानहानि के एक मामले में दोषी ठहराते हुए 2 साल की सज़ा सुनाई थी जिसके बाद सांसद के रूप में अयोग्य घोषित कर दिया गया था। इसके बाद राहुल ने राजनयिक यात्रा दस्तावेज लौटा दिए थे।

7* हेट स्पीच मामले में आज़म खान को बड़ी राहत, जिस मामले में गई थी विधायकी, अब उसी में हुए बरी

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और रामपुर के पूर्व विधायक आजम खान को बड़ी राहत मिली है। रामपुर की स्पेशल एमपी-एमएलए कोर्ट ने बुधवार को हेट स्पीच मामले उन्हें बरी कर दिया है।दिलचस्प बात ये है कि इसी सजा के बाद उनके विधायक की सदस्यता रद्द हुई थी।

कोर्ट के इस फैसले के बाद आजम खान के वकील विनोद शर्मा ने मीडिया को बताया कि कहा, “आज़म खान को न्यायालय द्वारा दोष मुक्त कर दिया गया है। दरसअल इससे पहले रामपुर की निचली अदालत ने उन्हें इसी मामले में तीन साल की सजा सुनाई थी, लेकिन अब स्पेशल एमपी-एमएलए कोर्ट ने उन्हें बरी कर दिया है।

2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान दिए गए भड़काऊ भाषण को लेकर कोर्ट ने उन्हें दोषी पाया था। कोर्ट ने तीन साल के लिए जेल की सजा के साथ 25 हजार का जुर्माना लगाया था। हालांकि, तब सजा के कुछ ही समय बाद ही आजम खान को जमानत भी मिल गई थी।

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