यमुना को पुनर्जीवित करने की कार्य योजना पीएम कार्यालय को सौंपी
Delhi Breaking News (आज समाज), नई दिल्ली। यमुना में प्रदूषण वर्तमान समय में दिल्ली का एक अहम मुद्दा बन गया है। राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि आम आदमी पार्टी के हाथ से सत्ता जाने के पीछे भी यमुना में प्रदूषण एक कारण रहा। आप वादा करने के बाद भी 10 साल में यमुना को साफ नहीं कर पाई थी।
भाजपा ने भी अपने चुनावी प्रचार में यमुना के प्रदूषण का मुद्दा उठाते हुए इसे तीन साल में प्रदूषण मुक्त करने का वादा किया है। अब जबकि दिल्ली में भाजपा सरकार बन चुकी है और रेखा गुप्ता के रूप में एक मजबूत सीएम उसे मिल चुका है तो लोगों को भी यह उम्मीद बंध गई है कि अब जल्द ही उन्हें साफ और स्वच्छ यमुना नदी देखने को मिलेगी।
इस तरह काम करेगी नई योजना
सीएम रेखा गुप्ता ने पद ग्रहण करते ही यमुना को साफ करने की कार्ययोजना प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) को सौंप दी गई है। इसमें सीवेज उपचार क्षमता को बढ़ावा देने और अन्य महत्वपूर्ण उपायों पर ध्यान केंद्रित किया गया है। पर्यावरण विभाग के तहत दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) द्वारा यह कार्य-योजना गत सप्ताह दी गई थी।
अधिकारियों ने बताया कि इस योजना में प्रमुख नालों को टैप करना, नए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) स्थापित करना, जेजे समूहों में जल निकासी प्रणाली को जोड़ना, सभी नालों को रोकना, सामान्य अपशिष्ट उपचार संयंत्रों (सीईटीपी) को अपग्रेड करना, बाढ़ के मैदानों से अतिक्रमण हटाना और रिवरफ्रंट का सुंदरीकरण करना शामिल है।
इस हिस्से को सबसे पहले किया जाएगा साफ
कार्ययोजना के अनुसार डीपीसीसी ने इस बात पर प्रकाश डाला है कि शहर में पल्ला से असगरपुर गांव तक यमुना के 48 किलोमीटर के हिस्से को प्राथमिकता-1 (सर्वोच्च प्राथमिकता) प्रदूषित खंड के रूप में वर्गीकृत किया गया है। कार्ययोजना में एक प्रमुख चिंता उच्च बायोकेमिकल आक्सीजन डिमांड (बीओडी) स्तर है, जो तीन मिलीग्राम प्रति लीटर के वांछित मानक से काफी ऊपर है। पानी की गुणवत्ता में सुधार के लिए कार्ययोजना में 23 क्यूमेक्स (437 एमजीडी) के न्यूनतम पर्यावरणीय प्रवाह (ई-फ्लो) की आवश्यकता पर जोर दिया गया है।
हालांकि, मौजूदा पानी की कमी के कारण दिल्ली में वर्तमान प्रवाह लगभग शून्य है। इसमें कहा गया है कि रेणुका, लखावर और किशाऊ समेत लंबित बांध परियोजनाएं इस अंतर को दूर करने में मदद कर सकती हैं। प्रदूषण पर अंकुश लगाने की योजना में 100 प्रतिशत सीवेज उपचार पहल शामिल है, जिसमें 37 मौजूदा एसटीपी को अपग्रेड करना और नए का निर्माण करना शामिल है।
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