इब दिल्ली की सड़कों पर दिखैगा म्हारी छोरियों का दम

0
403
Delhi Girls Power
Delhi Girls Power

आज समाज डिजिटल, Charkhi Dadri News: ड्राइवरी को हमेशा से ही पुुरुषों के लिए सुरक्षित माना जाता है। इसकी एक वज़ह देर रात की ड्राइवरी तो है ही, इसके साथ-साथ अन्य कारण भी हैं, जिस वजह से इसे महिलाओं के लिए सुरक्षित नहीं माना जाता। इसके बावजूद देसां मां देस हरियाणा में सब कुछ संभव है। जी हां, भिवानी के साथ लगते चरखी दादरी की तीन लड़कियों का चयन डीटीसी में बतौर चालक हुआ है।

ये भी पढ़ें : सांसद अरविंद शर्मा ने सरकार से पूछा कहां गई हिंदू संस्था की 150 एकड़ जमीन

शुरू में सुनने पड़े थे ताने

डीटीसी में हैवी ड्राइवर बनीं जिले की तीनों बेटियों ने बताया कि शुरुआत में जब बाइक या ट्रैक्टर चलाना सीखा तो लोगों ने बहुत ताने मारे। लोगों ने उनके मुंह पर बोला कि यह काम आदमियों का है, न कि महिलाओं का। इन तानों को अनसुना कर उन्होंने अपना प्रशिक्षण जारी रखा और उनके संघर्ष का अब सकारात्मक परिणाम सामने आया है। इनका कहना है कि उन्हें ताने देने वाले ही जब ड्राइवरी की तारीफ करते हैं तो उन्हें खुशी होती है.

चरखी दादरी से ही लिया था प्रशिक्षण

जिला के गांव अख्त्यारपुरा निवासी शर्मिला, मिसरी निवासी भारती और मौड़ी निवासी बबीता धवन डीटीसी में हैवी ड्राइवर हैं। उन्होंने बताया कि हैवी वाहन चलाने का प्रशिक्षण चरखी दादरी रोडवेज ट्रेनिंग स्कूल में लिया है। मौड़ी निवासी बबीता ने 2016 के बैच में, भारती ने 2018 के बैच में और शर्मिला ने 2019 के बैच में अपना प्रशिक्षण पूरा किया। परिवार की आर्थिक मदद के लिए उन्होंने ड्राइवरी सीखने का फैसला लिया था और अब डीटीसी में जॉइनिंग से तीनों बहुत खुश हैं.

मुश्किल में सीखी थी बाइक, वही आई काम

बातचीत में इन बेटियों ने बताया कि शुरुआत में इन्हें काफी मुश्किलें आईं। महेंन्द्रगढ़ निवासी शर्मिला की शादी अख्त्यारपुरा गांव में हुई थी। शर्मिला ने बताया कि एक बार बेटा बीमार हो गया और उसके पति को बाइक चलानी नहीं आती थी। बेटे को लगातार अस्पताल ले जाना था और एक-दो दिन साथ जाने के बाद परिचितों ने भी मना कर दिया। इसके बाद उसने बाइक सीखी.

खुद को साबित करना था लक्ष्य

इन सभी का कहना था कि उन्हें सभी को साबित करना था कि वे जो चाहे काम कर सकती हैं। मौड़ी निवासी बबीता ने बताया कि खेती में पिता का हाथ बंटाने के लिए उसने ट्रैक्टर सीखा था। इसके बाद उसने हैवी लाइसेंस के लिए प्रशिक्षण लेकर बस चलानी सीखी। मिसरी निवासी भारती ने बताया कि वो पांच बहने हैं, उनके भाई नहीं है। परिवार को बेटे की कमी न खले इसलिए उसने चालक बनकर परिवार को चूल्हा जलाने में सहयोग करने की सोची।

ये भी पढ़ें : 50 करोड़ के लिए हुई थी फायरिंग, पूरे गैंग का हरियाणा पुलिस ने किया यह हाल

ये भी पढ़ें : अगले तीन दिन तक तपाएगा नौतपा, 2 डिग्री पारा बढ़ेगा

ये भी पढ़ें : भानोखेड़ी स्कूल में बांटी पीसीए टूलकिट

Connect With Us: Twitter Facebook