- पर्यवेक्षकों की रिपोर्ट ने कांग्रेस को डराया
Delhi Elections Assembly Elections, अजीत मेंदोला, (आज समाज) नई दिल्ली: कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व ने चुनाव से पहले ही दिल्ली जैसे अहम राज्य में पहले से ही हार मान ली दिखती है।हरियाणा और महाराष्ट्र की करारी हार के बाद भी कांग्रेस में कोई सुधार नहीं है। ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि कांग्रेस आप के साथ मिल दोस्ताना चुनाव लड़ने की तैयारी में। जिससे बीजेपी को सत्ता में आने से रोका जा सके।
दो माह बाद होने हैं चुनाव
दिल्ली जैसे महत्वपूर्ण राज्य में दो माह बाद चुनाव होने हैं। पार्टी की हालत यह है कि एक माह तक न्याय यात्रा निकाली जिसमें बड़े नेताओं ने तो दूरी बनाई ही बनाई केंद्र के दिग्गजों ने समापन रैली को ही पहले स्थगित करवा दिया।दिल्ली के नेताओं की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी के जन्मदिवस 9 दिसंबर को तालकटोरा स्टेडियम बड़ी रैली की योजना थी।इस रैली में सोनिया गांधी के साथ राहुल गांधी, प्रियंका गांधी,राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे समेत बड़े नेताओं द्वारा चुनावी बिगुल बजाया जाता,लेकिन केंद्रीय नेतृत्व ने उसे कोई महत्व नहीं दिया।प्रोग्राम ही स्थगित हो गया।दिल्ली को लेकर कांग्रेस में कोई उत्साह दिख ही नहीं रहा है।
उदासीनता का आलम, कोई स्थाई अध्यक्ष ही नहीं
दिल्ली के प्रति उदासीनता का आलम यह है कि कोई स्थाई अध्यक्ष ही नहीं है।जातीय समीकरण के हिसाब से कोई नियुक्ति ही नहीं हुई।बनिया,पंजाबी, जाट, गुजर बाहुल्य वाले राज्य में देवेंद्र यादव अंतरिम अध्यक्ष,प्रभारी काजी निजामुद्दीन मुस्लिम, प्रभारी सचिव दानिश अबरार भी मुस्लिम।मतलब केंद्रीय नेतृत्व की इन नियुक्तियों से ऐसा लगता है कि कांग्रेस पार्टी दिल्ली में प्रतीकात्मक चुनाव लड़ेगी।न्याय यात्रा भी भीड़ के हिसाब से असफल रही।
न्याय यात्रा ने केजरीवाल के विधानसभा क्षेत्र में बनाई दूरी
दिल्ली के नेता और राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष अजय माकन ने यात्रा की शुरुआत कराई और समापन में सचिन पायलट शामिल हुए। दिल्ली में यात्रा होने के बाद भी राहुल, प्रियंका और अध्यक्ष खरगे ने कोई रुचि नहीं ली। सबसे अहम बात आप नेता अरविंद केजरीवाल के विधानसभा क्षेत्र नई दिल्ली में न्याय यात्रा ने दूरी बनाई। इससे यह भी माना जा रहा है कि कांग्रेस क्या बीजेपी को रोकने के लिए आप के साथ मिल दोस्ताना चुनाव लड़ेगी। दिल्ली के पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल और उनके वरिष्ठ नेता पूरी दिल्ली में दौरे कर माहौल बनाने में जुटे हैं।
औपचारिकता निभाते दिखे कांग्रेस नेता
कांग्रेस, जिसने 15 साल दिल्ली पर राज किया उसके नेता पूरी तरह से औपचारिकता निभाते हुए दिखे। कांग्रेस की तरफ से दिल्ली में लगाए गए पर्यवेक्षकों और सर्वे की रिपोर्ट बहुत ही निराशाजनक आ रही है। सूत्रों की माने तो पर्यवेक्षकों ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि आप पार्टी के साथ गठबंधन कर ही बीजेपी को रोका जा सकता है। कांग्रेस फिलहाल एक भी सीट पर मुकाबले में नहीं है। पर्यवेक्षकों की रिपोर्ट ने कांग्रेस को डरा दिया। हालांकि कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व राज्यों के चुनावों को हल्के में ले बड़ी गलतियां करता रहा है।
दिल्ली में हार से और बढ़ेंगी मुश्किलें
दिल्ली में कांग्रेस चाहती तो स्थिति ठीक कर सकती थी।लेकिन हालत यह है कि संगठन को लेकर पार्टी की रुचि पूरी तरह से खत्म हो गई है। राहुल गांधी तो राज्यों पर चुनाव के समय ही ध्यान देते हैं।दिल्ली में कांग्रेस के पास ठीक ठाक नेता हैं लेकिन कोई सुनवाई ऊपर होती ही नहीं। संगठन महासचिव वेणुगोपाल जयकारा लगाने वाले कमजोर नेताओं को कमान सौंप अपने को मजबूती देने में लगे हैं। गांधी परिवार खास तौर पर राहुल का रैली में जाने से इनकार करने के बाद कई सवाल खड़े हो गए। हरियाणा और महाराष्ट्र के बाद दिल्ली में कांग्रेस की करारी हार होती है तो फिर मुश्किलें बढ़ती जाएंगी।
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