Delhi Assembly Elections 2025, अजीत मेंदोला, (आज समाज) नई दिल्ली: दिल्ली के लिए कांग्रेस की पहली सूची ने यह संदेश देने की कोशिश की है कि वह चुनाव को लेकर गंभीर है, लेकिन केंद्रीय नेतृत्व ने दिल्ली को भी हल्के में ले बड़ी चूक कर दी है। कांग्रेस के बाकी नाम भी अगर इसी हिसाब से आए तो बीजेपी के लिए राहत की खबर होगी और आम आदमी पार्टी के लिए टेंशन बढ़ाने वाली। पहली सूची में दिखने के मजबूत उम्मीदवार दिए जरूर हैं लेकिन रणनीतिकारों की बचाव की राजनीति ने उनके लिए चुनौती बड़ा दी है।
प्रत्याशी को खुद करनी होगी मुकाबले में आने की कोशिश
कांग्रेस एक साल पहले दिल्ली पर फोकस कर पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को ही मुद्दा बना मजबूती से रणनीति बनाती तो आज मुकाबले में दिखती, लेकिन जैसा कि अभी तक होता आया कि केंद्रीय नेतृत्व राज्यों को महत्व नहीं देता है ऐसा ही दिल्ली के साथ भी हो गया है। पार्टी के कर्ताधर्ताओं की जो स्थिति है उसमें प्रत्याशी को खुद ही मुकाबले में आने की कोशिश करनी होगी। केंद्रीय नेतृत्व मदद करने की स्थिति में नहीं है।
कांग्रेस केंद्रीय नेतृत्व हर राज्य में कर रहा गलतियां
कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व से हर राज्य में गलतियां हो रही है जिसका खामियाजा पूरी पार्टी भुगत रही है। राजस्थान,मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ से सबक लिया होता तो हरियाणा और महाराष्ट्र की स्थिति आज कुछ ओर होती। इन सब राज्यों की हार के बाद दिल्ली को लेकर पार्टी गंभीर ही नहीं हुई। जिम्मेदारी देने का मामला हो या रणनीति बनाने का बचे कूचे नेता ही खुद जूझ रहे हैं। कांग्रेस के रणनीतिकारों से सबसे बड़ी गलती लोकसभा चुनाव के समय हुई।
बी टीम बन बना रहना होगा पिछलग्गू
जिस अरविंद केजरीवाल की पार्टी ने कांग्रेस को खत्म किया उसी के साथ कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व ने समझौता कर लिया। नतीजन दिल्ली के नेताओं को लगा कि आलाकमान दिल्ली को भी यूपी, बिहार बनाने जा रहा है। मतलब कांग्रेस को बी टीम बन पिछलग्गू बना रहना होगा। जैसे बिहार और यूपी में है। कांग्रेस का अपना कोई वजूद नहीं राजद और सपा के भरोसे राजनीति हो रही है।इसके चलते कांग्रेस के कई प्रमुख नेताओं ने पार्टी का साथ छोड़ बीजेपी और आप का दामन थाम लिया।पार्टी हाशिए पर आ गई।
आम आदमी पार्टी ने खुद ही पीछा छुड़ाया
लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस से आम आदमी पार्टी ने खुद ही पीछा छुड़ा लिया। लेकिन कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व के ढुलमुल रवैया ने दिल्ली का नुकसान कर दिया।कांग्रेस के सर्वोच्च नेता राहुल गांधी हों या राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने दिल्ली की अनदेखी की। न्याय यात्रा से दूरी बनाने से संदेश चला गया कि कांग्रेस आप के साथ गठबंधन करेगी,एक मैसेज गया कि दोस्ताना मुकाबला लड़ेगी।
वोट काटने के हिसाब से टिकट देगी कांग्रेस
मतलब जहां पर बीजेपी को रोकना होगा कांग्रेस वोट काटने के हिसाब से टिकट देगी। शीतकालीन सत्र में कांग्रेस संसद के अंदर आप को साथ ले कर चलती दिखी, क्योंकि इंडिया गठबंधन को एक दिखाना था।उधर संसद के बाहर भी ऐसा माहौल बना कि कांग्रेस आप में खिचड़ी पक रही। लेकिन आम आदमी के नेता केजरीवाल बराबर दूरी बना कर चले ओर कांग्रेस से गठबंधन से मना करते रहे। लेकिन कांग्रेस की तरफ से बड़े नेताओं ने मौन साधे रखा।इससे कांग्रेस का नुकसान हो गया।
संदीप दीक्षित को टिकट दे दिया है संदेश
अब कांग्रेस ने नई दिल्ली से शीला दीक्षित के बेटे संदीप दीक्षित को टिकट दे संदेश तो दिया है कि अपनी पूर्व मुख्यमंत्री को चेहरा बना उनके किए गए कार्यों को मुद्दा बनाएगी।अगर ऐसा कांग्रेस कर पाई तो क्या पता इस बार दो चार सीटों पर खाता खुल जाए। पार्टी ने दीक्षित को देवेंद्र यादव की जगह प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी दे लड़ाई को एक साल पहले शुरू किया होता तो शायद तब भी हालत बदले हुए दिखते।
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