- आप की हार से मिलेगी कांग्रेस को संजीवनी
- बीजेपी जीती तब ही राहुल-प्रियंका को राहत
Delhi Assembly Elections, अजीत मेंदोला, (आज समाज), नई दिल्ली: दिल्ली का चुनाव इस बार देश और कांग्रेस की भविष्य की नई राजनीति तय करता दिख रहा है। खास तौर पर कांग्रेस के लिए यह चुनाव बहुत अहम हो गया है। कांग्रेस खुद चुनाव जीते तो अच्छी बात, नहीं तो उसके भविष्य की राजनीति के लिए आम आदमी पार्टी का चुनाव हारना बहुत जरूरी हो गया है। बीजेपी जीतती है, तब भी कांग्रेस के लिए बड़ी राहत होगी, क्योंकि एक बड़ी चुनौती ‘आप’ उभरने से पहले ही समाप्त हो जाएगी और विपक्ष में कांग्रेस का मान बना रहेगा।
आप जीती तो केजरीवाल हीरो बनकर उभरेंगे
आम आदमी पार्टी चौथी बार भी बहुमत से जीती तो अरविंद केजरीवाल देश की राजनीति में एक बार फिर हीरो बनकर तो उभरेंगे ही, साथ ही इंडिया गठबंधन के घटक दलों को उनको नेता बनाने में देरी भी नहीं लगेगी। विपक्ष को एक ऐसा चेहरा मिल जाएगा जो उत्तर भारतीय, पढ़ा लिखा और अच्छी हिंदी बोलने वाला होगा। सबसे अहम दिल्ली में वह चौथी बार सरकार बनाकर देशभर में लोकप्रिय चेहरा बन चुके होंगे। उनकी छवि भी आम जन से मिलती जुलती मानी जाती है।
सीधे जनता से अपने को जोड़ लेते हैं केजरीवाल
सबसे बड़ी बात कि वह सीधे जनता से अपने को जोड़ लेते हैं। दो दशक से अधिक समय से राजनीति कर रहे राहुल गांधी और प्रियंका गांधी अभी इस खूबी को अपने अंदर डेवलप नहीं कर पाए। कांग्रेस के रणनीतिकार अगर कायदे से चुनाव लड़ें और 2013 की तरह 7-8 सीट जीत जाएं। या फिर किसी भी दल को बहुमत ही न मिल पाए। कांग्रेस के लिए इस तरह का परिणाम ऐसी संजीवनी होगी जो पार्टी को नई जान दे सकती है, लेकिन इसके लिए गांधी परिवार को अपने अनुभव वाले ताकतवर नेताओं की फौज चुनावी मैदान में उतारनी होगी। पूरी कांग्रेस को एकजुट होकर ताकत से चुनाव लड़ना होगा।
पार्टी हित में होगा गांधी परिवार की कम सक्रियता
अच्छा हो दिल्ली चुनाव में राहुल गांधी एक या दो रैली करें और उनकी मां पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी कम से कम एक चुनावी जनसभा को जरूर संबोधित करें। प्रियंका गांधी अपने को सीमित कर लें। गांधी परिवार अपने को कम सक्रिय रखता है तो पार्टी हित में होगा। दिल्ली में एक मात्र फेस पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित का ही चलेगा ।कांग्रेस पूरी दिल्ली में उनके पोस्टर बैनर के माध्यम से उनके काम याद दिलाए तो शायद कुछ सीट मिल सकती है।
अब नहीं चल रहा कांग्रेस का करिश्मा
हालांकि कांग्रेस ने आदत के हिसाब से बहुत देरी कर दी है, लेकिन चुनाव में एक दिन में भी माहौल बदला जा सकता है। इसके साथ गांधी परिवार को पुराने और भरोसेमंद सभी नेताओं को मैदान में उतार सीटों की जिम्मेदारी तय करनी होगी। कांग्रेस सीमित सीटों की रणनीति बना पूरी ताकत से लड़ती है तो शायद बात बन जाए। कांग्रेस को समझना होगा कि राज्यों में लगातार हो रही हार से वह बहुत कमजोर हो गई है। गांधी परिवार का करिश्मा अब नहीं चल रहा है। यही वजह है कि इंडिया गठबंधन के घटक दलों ने दिल्ली चुनाव में आप को समर्थन दे जो रणनीति बनाई है वह कांग्रेस के हित में नहीं है।
कांग्रेस के असल विरोधी हैं ये दल
इंडिया गठबंधन के घटक दल राजद, सपा, टीएमसी,उद्धव ठाकरे की शिवसेना, शरद पंवार की एनसीपी कायदे से कांग्रेस के असल विरोधी हैं। इन सब ने कांग्रेस का विरोध कर अपने-अपने राज्यों में अपनी हैसियत बनाई है। अभी तक इन दलों के नेता कहते जरूर हैं कि राष्ट्रीय स्तर पर साथ देंगे लेकिन कमजोर होती कांग्रेस को अब ये साथ देंगे, लगता नहीं है। दिल्ली के बाद बिहार में चुनाव है। इसके बाद 2027 तक लगातार हर साल प्रमुख राज्यों में चुनाव हैं।
राजद ने कांग्रेस को बतानी शुरू कर दी है हैसियत
राजद ने कांग्रेस को हैसियत बतानी शुरू कर दी है। मतलब साफ है कि राजद इस बार कांग्रेस को गिनती की सीट देगा। उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी दो साल बाद होने वाले विधानसभा में कांग्रेस को शायद ही साथ में रखेगी। उद्धव ठाकरे और शरद पंवार ने महाराष्ट्र में कांग्रेस को अपने हिसाब से अगर चलाया तो पार्टी खत्म हो गई। पवार और ठाकरे को लेकर जैसी खबरें आ रही हैं वह कांग्रेस के लिए ठीक नहीं हैं ।दोनों कभी भी कांग्रेस को बॉय-बॉय बोल सकते हैं। पवार और ठाकरे अपने बच्चों के भविष्य की खातिर बीजेपी का दामन पकड़ सकते हैं, क्योंकि कांग्रेस जिस ढर्रे पर चल रही है उससे सभी दल चिन्तित हैं। अब तक राहुल गांधी अकेले नेता थे जिन्हें साधा जा सकता था।
चिंता बढ़ाने वाली है प्रियंका गांधी की राजनीति
प्रियंका गांधी अब जिस तरह की राजनीति कर रही है वह चिंता बढ़ाने वाली है। लोकसभा का सांसद बनते ही प्रियंका बहुत जल्दबाजी में दिख रही हैं। जानकार मानते हैं कि प्रियंका जिस तरह की राजनीति कर रही हैं वह पार्टी हित में नहीं है। इससे बीजेपी की परिवारवाद की राजनीति को ताकत मिल रही है। राहुल के पहनावे को लेकर तो अभी तक सवाल उठते रहे हैं, प्रियंका भी उसी रास्ते पर चल पड़ी हैं। एक देश एक चुनाव की बैठक में शामिल होने के लिए प्रियंका ने जो पहनावा पहना था वह चर्चा का विषय तो बना ही है, गांधी परिवार से भी वह मेल नहीं खा रहा था। उनकी मां सोनिया गांधी ने विदेशी होने के बाद भी भारतीय संस्कृति का हमेशा मान रखा, जबकि भाई-बहन पहनावे को हल्के में ले रहे हैं। उससे आम जन में उनको लेकर अच्छा संदेश नहीं जा रहा है।
राहुल-प्रियंका को हर मामले को गंभीरता से लेने की जरूरत
विपक्ष, खास तौर पर भाजपा, गांधी परिवार की छोटी-छोटी बातों को पकड़कर हमले का मौका नहीं छोड़ती है। राहुल और प्रियंका को समझना होगा कि देश की राजनीति सोशल मीडिया के जमाने में जिस दिशा में जा रही है उसमें उन्हें बहुत सावधानी बरतनी होगी। हर मामले को गंभीरता से लेना होगा। दिल्ली चुनाव दोनों भाई बहन के लिए भी उतना ही महत्वपूर्ण है जितना पार्टी के लिए।चुनाव के समय सावधानी बरतें और अपने पहनावे को भी गंभीरता से लें।
राहुल ने 2013 में आप को समर्थन देकर की थी बड़ी गलती
राहुल गांधी के पार्टी की कमान संभालने के समय ही कांग्रेस पार्टी से पहली बड़ी चूक 2013 में हुई थी। बीजेपी को बड़ा दुश्मन मान राहुल ने आम आदमी पार्टी को 50 दिन के लिए समर्थन दे ऐसी भूल की जिसका खामियाजा पार्टी आज तक भुगत रही है। केजरीवाल ने 50 दिन के समर्थन का पूरा फायदा उठा मुख्यमंत्री रहते हुए ऐसी घोषणाएं की कि वह आगे के चुनाव तो जीते ही, साथ ही ताकतवर होते चले गए। गांधी परिवार से दूसरी बड़ी भूल लोकसभा चुनाव 2024 के समय हुई। बीजेपी को हराने और सत्ता के मोह के चलते कमजोर हो चुके केजरीवाल को पूरे गांधी परिवार ने समर्थन दे फिर ऐसी ताकत दी कि आज उनके लिए आम आदमी पार्टी एक बार फिर बड़ी चुनौती बनती दिख रही है।
यूपी में मायावती को नेता बना कांग्रेस ने खुद को खत्म किया
उत्तर प्रदेश में मायावती को नेता बना कांग्रेस ने खुद को खत्म किया अब केजरीवाल को समर्थन दे देशभर के लिए फिर बड़ा खतरा मोल ले लिया है।केजरीवाल जीते तो फिर वह कांग्रेस को ही निशाने पर रखेंगे।क्योंकि कांग्रेस के वोट बैंक पर ही उनको हर राज्य में सेंध लगानी है।पंजाब में कांग्रेस को खत्म कर चुके हैं।जीत उन्हें फिर देश भर में सक्रिय होने की ताकत दे देगी। केजरीवाल की 12 साल की पार्टी ने 140 साल वाली कांग्रेस पार्टी वहां ला कर खड़ा कर दिया जहां वह अपने हिसाब से उसे चला विपक्ष का एजेंडा तय कर रही।
दिल्ली को हल्के में लेने की भूल बिल्कुल न करें राहुल
महत्वकांशी केजरीवाल को इस बार मौका मिल गया तो वह उन राज्यों में अपनी ताकत बढ़ाएंगे जहां अभी कांग्रेस और बीजेपी ही सीधे मुकाबले में हैं। राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात जैसे कई राज्य हैं जहां अभी कांग्रेस और बीजेपी दो ही दल हैं। इन राज्यों में इंडिया गठबंधन के घटक दल आप की पूरी मदद करेंगे। कमजोर कांग्रेस को साइड कर देंगे जैसे अभी दिल्ली में कर दिया है, इसलिए राहुल गांधी दिल्ली को हल्के में लेने की भूल बिल्कुल भी न करें। उन्हें समझना होगा अभी हाल फिलहाल बीजेपी से ज्यादा खतरा आम आदमी पार्टी से है।
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