- दिल्लीवासियों ने तोड़ा आम आदमी पार्टी के भ्रम का भंवर
- शीशमहल के टुकड़े हुए हजार, कोई यहां गिरा कोई वहां गिरा
Election in Delhi 2025, राकेश शर्मा, (आज समाज), नई दिल्ली: अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया, सौरभ भारद्वाज, सत्येंद्र जैन के अहंकारी अट्टहास की हार बहुत कुछ चीख-चीखकर कह रही है। यदि ‘आपिये’ बरसात में अंधे हुए अब भी अपने लिए हरा-हरा ही देख रहे हों तो उनकी भूल है। ‘आप’ की न केवल यह दिल्ली की हार है, बल्कि यह आप पार्टी के पतन का प्रारंभ है।
दिल्ली वालों को आने वाली पीढ़ियों की ज्यादा चिंता
झूठ, फरेब, मक्कारी, भ्रम की राजनीति किसी को भी बहुत दूर तक नहीं ले जाती, भोली जनता एक या दो बार भ्रम जाल में फंस सकती है। बिजली, पानी, फ्री बस यात्राओं का मकड़जाल समाप्त कर दिल्लीवासियों ने दिखा दिया कि उन्हें अपनी और अपने आने वाली पीढ़ियों के जीवन की ज्यादा चिंता है।
गैस चैम्बर में रहने को मजबूर दिल्लीवासी
आप के कारनामों से दिल्ली वाले गैस चैम्बर में रहने को मजबूर हैं, गंदा पानी पीने को मजबूर हैं, टूटी सड़कों के गड्डों में चलकर अपना शरीर और वाहन तोड़ने को वे मजबूर हैं। दिल्लीवासियों का पैसा लूटकर, चुराकर, डाका डालकर उसे शीशमहल बनवाने में, दूसरे राज्यों में चुनाव लड़ने में लगाकर दिल्ली के भले का कोई काम नहीं किया गया और उन्हें अपने हाल पर जीने को छोड़ दिया।
दिल्ली की समृद्ध जनता का उतरा भ्रम का चश्मा
दिल्ली की समृद्ध जनता का जैसे ही भ्रम का चश्मा उतरा तो उन्होंने दिखा दिया कि उन्हें अपना, अपने परिवार और दिल्ली का विकास और प्रगति चाहिए, इसलिए उन्होंने सबका साथ, सबका विकास , सबका प्रयास और सबका विश्वास वालों को चुन लिया है। इन नतीजों का गहराई से आंकलन करने से पता लगता है भोला सा कुटिल मुंह बनाकर, लंबी बुशर्ट, ढीली पैंट, चप्पल पहनकर, मफलर लपेटकर रईसी और विलासिता की मानसिकता के साथ आम आदमी का ढोंगी चोला उतर गया।
‘आप-दा’ की हार में सबसे अधिक केजरीवाल जिम्मेवार
जनता के भाव से इतर, आप के नेता और प्रवक्ता का बार-बार 2015 और 2020 में 67 और 62 सीट जीतने का अहंकार उनकी बातों में इतना झलकता था कि वे यह मानने लगे थे की दिल्ली उनकी परमानेंट जायदाद हो गई है और उनके हर प्रकार के अत्याचार को सहते हुए भी दिल्ली उन्हीं का साथ देगी। ‘आप-दा’ की हार में सबसे अधिक केजरीवाल ही जिम्मेवार हैं। उसके बाद संजय सिंह, आतिशी, मनीष सिसोदिया, , सौरभ भारद्वाज और इनके अधकचरे प्रवक्ताओं का जमीनी हकीकत से दूर होना हार का कारण माना जा सकता है।
खुद ही भ्रष्टाचार का पर्याय बन गए केजरीवाल
बच्चों की झूठी कसम, यमुना सफाई ना होने पर मुझे वोट ना देने का झूठा जुमला, दिल्ली को गैस चैम्बर बनाने के बावजूद पड़ोसी राज्यों पर ठीकरा फोड़ना, भयंकर शराब घोटाला और उसके बाद कहना कि हमें राजनैतिक प्रतिशोध से जेल भेजा गया, मोहल्ला क्लिनिक घोटाला, क्लास रूम घोटाला, जल बोर्ड घोटाला, टैंकर माफिया, कोरोना में आक्सीजन घोटाला, बंद कमरों में बैठकर अपने चमचों के साथ दिल्ली की जनता की खिल्ली उड़ाना, अराजकतावादी आंदोलनकारी छवि, हर काम ना करने पर केंद्र पर दोष मढ़ना, लगातार दिल्ली के उपराज्यपाल से झगड़ा, स्वाति मालीवाल को घर बुलवाकर पिटवाना, दिल्ली के मुख्य सचिव को घर बुलाकर पिटवाना, आर्मी पर शक करना, शाहीन बाग आंदोलन का समर्थन, केंद्र की नीतियों को दिल्ली में लागू नहीं करना, अपने आप को भगत सिंह, हरीश चंद्र बताना, एक चेनल की महिला पत्रकार भावना किशोर को पिटवाकर जेल में डालना, अच्छे संस्थापक सदस्यों का तानाशाह केजरीवाल को छोड़ देना, हरियाणा ने यमुना में जहर मिला दिया का झूठा नैरेटिव, केजरीवाल को मार देंगे, आतिशी को जेल में भेज देंगे का झूठ, भ्रष्टाचार को खत्म करने आये केजरीवाल खुद ही भ्रष्टाचार का पर्याय बन गए। विदेशों से आयातित मुद्दों का बिना सोचे समझे इंडी का समर्थन आदि ‘आप’ की दिल्ली पराजय के मुख्य कारण हैं।
केजरीवाल की धूर्तता का घर-घर जाकर किया पदार्फाश
भाजपा इस बार सतर्क थी और उन्होंने केजरीवाल की धूर्तता का घर-घर जाकर पदार्फाश किया। संघ ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। जनता में विश्वास जगाया। केजरीवाल केवल हर वक्त टीवी पर हवा हवाई बातें करते और नए-नए लुभावने वायदे करते ही रह गए जिसे जनता ने दिल्ली और राष्ट्रहित में उन्हें नकार दिया।
लोगों को भाया पीएम मोदी का कोई सुविधा न छिनने का वादा
एक फरवरी को वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण का मध्यम वर्ग को 12,75,000 तक की आय को करमुक्त करना भी एक कि महत्वपूर्ण कारण रहा। मोदी जी का दिल्ली वासियों को आश्वासन कि कोई भी मिल रही सुविधा वापस नहीं होगी और कई नई सुविधाएं दी जाएंगी, गरीब जनता को भा गया। अब एक अराजक ‘आप’ संयोजक केजरीवाल से दिल्ली को मुक्ति मिली है लेकिन इससे राष्ट्र को भी मुक्ति दिलवानी है। केजरीवाल ने अहंकारवश कांग्रेस का साथ छोड़कर ‘इंडी’ से भी कांग्रेस को बाहर से करने को लेकर अखिलेश और ममता से बात कर ली थी। लेकिन यह संदेश भाजपा के लिए भी है कि जो भी वायदे दिल्ली की जनता से किए है उन्हें जल्दी से जल्दी पूरा किया जाए।
मिल्कीपुर सीट पर सपा की हार ने तोड़ा अखिलेश का घमंड
अयोध्या की मिल्कीपुर सीट पर अखिलेश की समाजवादी पार्टी की हार ने भी अखिलेश का भी अहंकार चूर चूर कर दिया । दिल्ली में भी अखिलेश राष्ट्रीय नेता बनने के लिए भाजपा को हराने केजरीवाल को सपोर्ट करने आये और जनता ने उन्हें उनको भी औकात दिखा दी । यह योगी के अच्छे काम की ही विजय नहीं है बल्कि सनातन को गाली देने वालों की और तुष्टिकरण करने वालीं को भी सटीक जवाब है। योगी का सफल महाकुंभ आयोजन भी कुछ हद तक भाजपा की इस जीत का जिम्मेवार है। भारतीय लोकतंत्र और संविधान की विजय है, जातिवाद, तुष्टिकरण की हार है । एक रहोगे सेफ रहोगे की जीत है, विकास और विकसित भारत के स्वप्न की जीत है।