Delhi Assembly Elections, (आज समाज), नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट में एक याचिका दायर कर नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) रिपोर्ट को दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले सार्वजनिक करने की मांग की गई है। सेवानिवृत्त सिविल सेवक याचिकाकर्ता बृज मोहन ने केंद्र सरकार, उपराज्यपाल और नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) को अपने संवैधानिक और वैधानिक अधिकारों का प्रयोग करते हुए सीएजी रिपोर्ट अपने-अपने पोर्टल पर प्रकाशित करने के निर्देश देने की मांग की है।
स्थिति स्पष्ट करे सीएजी
बृज मोहन ने अपनी याचिका में आग्रह किया है कि रिपोर्ट को जनता के लिए सुलभ बनाया जाए, ताकि आगामी चुनावों में मतदान करने से पहले उन्हें दिल्ली की वित्तीय स्थिति के बारे में पूरी जानकारी मिल सके। हाई कोई ने सीएजी से अपनी स्थिति स्पष्ट करने को कहा है कि रिपोर्ट को जनता के लिए सुलभ क्यों नहीं बनाया जा सकता है।
मामले की अगली सुनवाई 24 जनवरी को
याचिकाकर्ता भारतीय लेखा परीक्षा एवं लेखा विभाग (IA&AD) से 2013 में सेवानिवृत्त वरिष्ठ प्रशासनिक ग्रेड (SAG) अधिकारी हैं। हालांकि, कोर्ट ने कैग की राय मांगी है कि क्या विधानसभा में पेश किए बिना इसकी रिपोर्ट सार्वजनिक की जा सकती है। अब इस मामले की सुनवाई 24 जनवरी को होनी है। याचिका में तर्क दिया गया है कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19(1)(a) के तहत जानने का मौलिक अधिकार है। इसमें यह दावा किया गया है कि दिल्ली के मतदाताओं के लिए कैग रिपोर्ट महत्वपूर्ण हैं और इसे रोकना संविधान के साथ धोखाधड़ी है।
वित्तीय स्थिति के बारे में जनता को जानना जरूरी
याचिका में इस बात पर जोर दिया गया है कि जनता को वोट डालने से पहले दिल्ली की वित्तीय स्थिति के बारे में सूचित किया जाना आवश्यक है। यह भी कहा गया है कि दिल्ली विधानसभा में उअॠ रिपोर्ट पेश करने की विधायी प्रक्रिया के बावजूद, दिल्ली के मतदाताओं को आगामी विधानसभा चुनावों में अपना वोट डालने से पहले इन रिपोर्टों की सामग्री तक पहुंचने का अधिकार है।
रिपोर्ट को रोकना संविधान के साथ धोखाधड़ी
याचिकाकर्ता ने कहा है कि कैग की संवैधानिक संस्था की प्रभावशीलता को इन रिपोर्टों को दबाने के प्रशासनिक या राजनीतिक प्रयासों से कम नहीं किया जाना चाहिए। यह भी कहा गया है कि सीएजी रिपोर्ट को रोकना, विशेषकर जब उसमें दिल्ली के मतदाताओं के लिए महत्वपूर्ण जानकारी हो, संविधान के साथ धोखाधड़ी है।
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