Aaj Samaj (आज समाज), Delhi Air Quality Update, नई दिल्ली: देश की राजधानी दिल्ली की एयर क्वालिटी थोड़ी सुधरने के बाद यह फिर बहुत खराब श्रेणी में दर्ज की गई है। लगातार तीन दिन तक राजधानी में एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) ‘गंभीर’ श्रेणी में रहने के बाद इसमें थोड़ा सुधार हुआ था मगर आज यह बहुत खराब श्रेणी में दर्ज किया गया। सिस्टम आफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फोरकास्टिंग एंड रिसर्च (सफर) के मुताबिक आज सुबह 6 बजे दिल्ली का औसत एक्यूआई 398 दर्ज किया गया। दिल्ली के लिए वायु गुणवत्ता प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली ने 18 से 20 नवंबर तक वायु गुणवत्ता यानी एयर क्वालिटी के बहुत खराब रहने का अनुमान लगाया है।
जानिए क्या कहते हैं सीपीसीबी आंकड़े
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आज सुबह 6 बजे दर्ज किए गए आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली के आरके पुरम में एक्यूआई 396, न्यू मोती बाग 350, आईजीआई एयरपोर्ट इलाके में 465 और नेहरू नगर में एक्यूआई 416 दर्ज किया गया। बता दें कि दिल्ली का 24 घंटे का औसत एक्यूआई हर दिन शाम 4 बजे दर्ज किया जाता है, जो शुक्रवार को 405 था। गुरुवार को दिल्ली का एक्यूआई 419, बुधवार को 401, मंगलवार को 397, सोमवार को 358 और रविवार को 218 रहा।
एक्यूआई की अच्छी, गंभीर व बहुत खराब श्रेणी
गौरतलब है कि शून्य और 50 के बीच एक एक्यूआई को अच्छा, 51 और 100 के बीच संतोषजनक, 101 और 200 के बीच मध्यम, 201 और 300 के बीच खराब, 301 और 400 के बीच बहुत खराब, 401 और 450 के बीच गंभीर और 450 से ऊपर बहुत ज्यादा गंभीर माना जाता है। इस बीच दिल्ली में तापमान में गिरावट शुरू हो गई है, शुक्रवार को न्यूनतम तापमान 12 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।
एनजीटी ने सुधार के लिए दिए कड़े उपाय लागू करने के निर्देश
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने हवा की गुणवत्ता में सुधार की कमी का हवाला देते हुए शुक्रवार को दिल्ली-एनसीआर में अधिकारियों को एक्यूआई को सुधारने के लिए कड़े उपाय लागू करने का सख्त निर्देश जारी किया। ट्रिब्यूनल के निर्देश में कहा गया है कि पहले बताए गए उपायों से विभिन्न राज्यों में एयर क्वालिटी में महत्वपूर्ण सुधार नहीं हुआ। ट्रिब्यूनल ने संबंधित अधिकारियों से रणनीतियों का फिर से मूल्यांकन करने को कहा है। एनजीटी के निर्देशों के मुताबिक 20 नवंबर तक ताजा कार्रवाई रिपोर्ट आने की उम्मीद है।
पीएम 2.5 के स्तर में पराली जलाने का योगदान…
भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान के अनुसार शुक्रवार को पीएम 2.5 के स्तर में पराली जलाने का योगदान लगभग 3.45 फीसदी होने का अनुमान लगाया गया था, जो पिछले दिन के 5.85 फीसदी से मामूली कमी है। इस सीजन में पराली जलाने का सबसे अधिक असर 3 नवंबर को 35.43 फीसदी दर्ज किया गया था। आईआईटी कानपुर के एक वास्तविक समय स्रोत विभाजन अध्ययन ने शुक्रवार को वाहनों को पीएम 2.5 के स्तर में प्रमुख योगदानकर्ता बताया, जो 44 फीसदी प्रदूषण के लिए जिम्मेदार है। अध्ययन से पता चला कि वाहन उत्सर्जन सुबह 9 बजे पीएम 2.5 के 90 फीसदी के स्तर पर पहुंच गया और दोपहर 3 बजे तक लगभग 47 फीसदी तक घट गया।
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