नई दिल्ली। चीन और भारत की सेनाएं अति महत्वपूर्ण पैंगोंग झील के उत्तर और दक्षिण में सैनिकों की वापसी पर सहमति बन गई है। सीमा पर सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया बुधवार से ही शुरू हो गई है। आज राज्यसभा में केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने लद्दाख की स्थिति पर बयान दिया। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने संसद में बताया कि चीन के साथ सैन्य और कूटनीतिक स्तर की कई वातार्एं हुईं, मगर अब तक कोई खास सफलता हाथ नहीं लगी है। भारत नेचीन के साथ सीमा विवाद को सुलझाने के लिए तीन सिद्धांतों को अपनाया है। दोनों पक्षों द्वारा एलएसी को माना जाए और उसका आदर किया जाए । किसी भी पक्ष द्वारा एकतरफा स्थिति को बदलने का प्रयास न किया जाए और सभी समझौतों का दोनों पक्षों द्वारा पूर्ण रूप से पालन किया जाए।
राज्यसभा में बयान देते समय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह बताया कि भारत ने स्पष्ट किया है कि एलएसी में बदलाव ना हो और दोनों देशों की सेनाएं अपनी-अपनी जगह पहुंच जाएं। हम अपनी एक इंच जगह भी किसी को नहीं लेने देंगे। उन्होंनेजानकारी दी कि पैंगोंग झील के उत्तर और दक्षिण में सैनिकों की वापसी करने पर दोनों देशोंके बीच सहमति बन गई है। कल से सीमा पर सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया शुरू हो गई है। सैनिक वापसी की प्रक्रिया के बाद बाकी मुद्दों के हल के बातचीत चल रही है। समझौते के 48 घंटे के भीतर दोनों देश के कमांडर मिलेंगे। रक्षामंत्री नेसंसद में कहा कि 1962 से ही चीन ने हमारे बहुत बड़ेहिस्से पर कब्जा कर रखा है। चीन ने1962 से भारत के38 हजार वर्ग किलो मीटर पर अपना कब्जा जमा रखा है। जबकि पाकिस्तान ने अवैध तरीके से पाक अधिकृत कश्मीर में भारत की लगभग 5180 वर्ग किलोमीटर जमीन भी चीन को दे दी है। इस प्रकार 43 हजार वर्ग किलोमीटर से अधिक भारत की भूमि पर चीन का कब्जा है। भारत ने इन सभी दावों और अनधिकृत कब्जों को कभी स्वीकार नहीं किया है। भारत ने चीन को हमेशा यह कहा है कि द्विपक्षीय संबंध दोनों देशों के प्रयास से विकसित हो सकते हैं। साथ ही सीमा के मुद्दों को भी बातचीत के जरिए ही हल किया जा सकता है। पिछले साल चीन के द्वारा उठाए गए एकतरफा कदमों की वजह से दोनों देशों के बीच संबंध खराब हुए हैं।
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