आज समाज डिजिटल, अम्बाला
Deceitful Qazi : एक बार बादशाह अकबर दरबारियों के साथ किसी मुद्दे पर चर्चा कर रहे थे। उसी समय वहां एक किसान अपनी फरियाद लेकर आया और बोला की महाराज न्याय करो। मुझे इंंसाफ चाहिए। यह सुनकर बादशाह अकबर बाेले कि क्या हुआ। किसान बोला, “महाराज मैं एक गरीब किसान हूं। कुछ समय पहले मेरी पत्नी का निधन हो गया और अब मैं अकेला रहता हूं। मेरा मन किसी भी काम में नहीं लगता है।
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सिक्कों के चोरी होने की चिंता सताने लगी Deceitful Qazi
एक दिन मैं काजी साहब के पास गया। उन्होंने मन की शांति के लिए मुझे यहां से काफी दूर स्थित एक दरगाह में जाने के लिए कहा। उनकी बात से प्रभावित होकर मैं दरगाह जाने के लिए तैयार हो गया, लेकिन साथ ही मुझे इतने वर्षों तक मेहनत करके कमाए सोनी के सिक्कों के चोरी होने की चिंता सताने लगी। जब मैंने यह बात काजी साबह को बताई, तो उन्होंने कहा कि वह सोने के सिक्कों की सुरक्षा करेंगे और उसके वापस आने पर लौटा देंगे। इस पर मैंने सभी सिक्के एक थैली में डालकर उन्हें दे दिए। एहतियात के तौर पर काजी साहब ने मुझे थैली पर मुहर लगाने को कहा।”
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सोने के सिक्कों की जगह पत्थर थे Deceitful Qazi
बादशाह अकबर बाेले, “अच्छा तो फिर क्या हुआ?” किसान ने कहा, “महाराज मैंने मुहर लगाकर थैली उन्हें दे दी और दरगाह के दर्शन करने यात्रा पर चला गया। फिर जब कुछ दिनों बाद वापस आया, तो काजी साहब ने थैली वापस दे दी। मैं थैली लेकर घर लौटा और उसे खोला, तो उसमें सोने के सिक्कों की जगह पत्थर थे। मैंने इस बारे में काजी साहब से पूछा, तो उन्होंने गुस्से में कहा कि तुम मुझ पर चोरी का इल्जाम लगाते हो। इतना कह कर उन्होंने अपने नौकरों को बुलाया और मुझे मार-मार कर वहां से भगा दिया।
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महाराज से थोड़ा-सा समय मांगा Deceitful Qazi
किसान ने रोते हुए कहा, “महाराज मेरे पास जमा-पूंजी के नाम पर बस वही सोने के सिक्के थे। मेरे साथ न्याय करें महाराज। किसान की बात सुनकर बादशाह अकबर ने बीरबल को मामला सुलझाने के लिए कहा। बीरबल ने किसान के हाथों से थैली लेकर उसे अंदर से देखा और महाराज से थोड़ा-सा समय मांगा। शहंशाह अकबर ने बीरबल को दो दिन का समय दिया। घर जाकर बीरबल ने एक फटा हुआ कुर्ता अपने नौकर को दिया और कहा, “इसे अच्छे से रफू करवा कर लाओ।” नौकर कुर्ता लेकर चला गया और कुछ देर बाद उसे रफू करवा कर वापस आ गया। बीरबल कुर्ते देखकर खुश हो गए। कुर्ता इस प्रकार से रफू किया गया था कि मानों फटा ही न हो। यह देखकर बीरबल ने नौकर से उस दर्जी को बुलाकर लाने को कहा। नौकर कुछ ही देर में दर्जी को लेकर आ गया। बीरबल ने उससे कुछ पूछा और वापस भेज दिया।
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सारे सोने के सिक्के देखकर लालची हो गया Deceitful Qazi
अगले दिन बीरबल दरबार पहुंचे और सैनिक से काजी व किसान दोनों को दरबार में लेकर आने का आदेश दिया। कुछ ही देर में सैनिक काजी व किसान को साथ ले आया। इसके बाद बीरबल ने सैनिक से दर्जी को भी बुलाने के लिए कहा। यह सुनते ही काजी के होश उड़ गए। दर्जी के आते ही बीरबल ने उससे पूछा, “क्या काजी ने तुम्हें कुछ सिलने के लिए दिया था?” तब दर्जी ने कहा, “कुछ महीने पहले मैंने इनकी सिक्कों वाली थैली को सिया था।” इसके बाद जब बीरबल ने जोर देकर काजी से पूछा, तो उसने डर के मारे सब कुछ सच-सच बता दिया। काजी ने कहा, “महाराज, मैं एक साथ इतने सारे सोने के सिक्के देखकर लालची हो गया था। मुझे माफ कर दो। बादशाह अकबर ने काजी को आदेश दिया कि वह किसान को उसके सोने के सिक्के लौटाए और साथ ही काजी को एक वर्ष कारावास की सजा सुनाई। इसके बाद एक बार फिर सभी ने बीरबल की बुद्धि की भूरी-भूरी प्रशंसा की।
शिक्षा : न लालच और न ही किसी के साथ धोखा करना चाहिए। गलत काम के बदले एक न एक दिन सजा जरूर भुगतनी पड़ती है।
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