Death toll in Kerala rises to 113: केरल में बाढ़ से मरने वालों की संख्या 113 हुई

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नई दिल्ली। बारिश और भूस्ख्लन से देश का लगभग आधा हिस्सा प्रभावित है और बाढ़ में डूब गया है। महराष्ट्र, केरल, राजस्थान के बाद अब यूपी और हिमाचल की नदियां भी उफान पर हैं। केरल के हालात सबसे खराब है। अब तक केरल में मूसलाधार बारिश, बाढ़ और भूस्खलन के कारण 113 लोगों की मौत हो गई है। आठ अगस्त से राज्य के विभिन्न जिलों में 29 लोग अभी भी लापता हैं। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि 41,253 परिवार को 1,29,517 लोग विभिन्न जिलों में स्थापित 805 राहत शिविरों में रह रहे हैं। जलस्तर घटने के बाद हालांकि कई लोग अपने घर लौट गये हैं। उत्तर प्रदेश पिछले दिनों हो रही भारी बारिश और बैराजों से छोड़े जा रहे पानी से प्रयागराज में गंगा-यमुना नदी के जलस्तर लगातार बृद्धि दर्ज की गयी है।
सूत्रों ने बताया कि अलप्पुझा जिले में छह, कोट्टायम तथा कसरगोड जिले में दो-दो, इडुक्की जिले में पांच, त्रिशूर जिले में नौ, मलप्पुरम जिले में 50, कोझिकोड जिले में 17, वायनाड जिले में 12, पलक्कड जिले में एक और कन्नूर जिले में नौ लोगों की मौत हुई है। सूत्रों के अनुसार अलप्पुरम जिले के 29, वायनाड जिले के सात तथा कोट्टायम जिले का एक व्यक्ति अभी भी लापता है। राज्य में बाढ़ के कारण 1,186 घर पूरी तरह से नष्ट हो गये हैं तथा 12,761 घर आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुए हैं।
आंध्र प्रदेश के कृष्णा और गुंटूर जिलों में कई गांव और सैकड़ों एकड़ खेत शनिवार को जलमग्न हो गए। राहत की बात यह है कि कृष्णा नदी में बाढ़ का प्रकोप घटने के संकेत हैं। जलाशयों से पानी के बहाव में कमी देखी गई है लेकिन फिर भी कृष्णा और गुंटूर जिलों में 32 मंडलों के तहत आने वाले 87 गांवों के 17,500 लोगों की मुसीबतें अगले दो दिनों तक जारी रह सकती हैं। दोनों जिलों में 24 गांव बाढ़ के कारण पूरी तरह जलमग्न हैं। प्रकासम बराज में दूसरी स्तर की चेतावनी जारी है और दोनों जिलों में सरकारी तंत्र हाई अलर्ट पर है। कृष्णा और गुंटूर में 11,553 लोगों को 56 राहत शिविरों में ले जाया गया है जहां भोजन और पेयजल उपलब्ध कराया जा रहा है। राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अनुसार, दोनों जिलों में कुल 4,352 मकानों में पानी भरा हुआ है। इन जिलों में 5,311 हेक्टेयर की कृषि फसलें और 1,400 हेक्टेयर की बागवानी फसलें बाढ़ में डूबी हैं।
आधिकारिक सूत्रों ने शनिवार को यहां बताया कि यमुना की सहायक नदियां केन बेतवा और उसकी सहायक नदी थसान में बांधों से बड़ी मात्रा में पानी छोड़े जाने से यमुना नदी का जलस्तर शनिवार की सुबह आठ बजे तक प्रयागराज के नैनी में 78.4० मीटर तक पहुंच गया है। फाफामऊ में गंगा नदी में 78.81 मीटर और छतनाग में 77.70 मीटर पर बह रही है। खतरे का निशान 84.734 मीटर पर दर्ज है। सिंचाई विभाग बाढ़ खण्ड के अधिशाषी अभियंता बृजेश कुमार ने बताया कि पिछले तीन दिनों से कानपुर बैराज से एक लाख क्यूसेक (फ्लोरेट) से अधिक जल डिस्चार्ज किये जाने के कारण गंगा के पानी में बढोत्तरी हो रही है। यमुना की सहायक नदियां केन, बेतवा और उसकी सहायक नदी थसान में बांधों से बड़ी मात्रा में जल छोड़े जाने से यमुना नदी में जलस्तर बढ़ने लगा है। उन्होँने बताया कि तीथरार्ज प्रयाग में गंगा और यमुना का जलस्तर तेजी से खतरे के निशान बिन्दु की तरफ तेजी से बढ़ रहा है। खतरे का निशान 84.734 मीटर पर दर्ज है। फाफामऊ में गंगा का जलस्तर 78.81, छतनाग में 77.70 मीटर दर्ज किया गया है जबकि नैनी में यमुना का जलस्तर 78.80 मीटर तक पहुंच गया है। हिमाचल प्रदेश में शनिवार को लगातार मध्यम से भारी बारिश से कुछ क्षेत्रों में भूस्खलन होने से राजमार्ग अवरुद्ध हो गए हैं, वहीं प्रमुख नदियां और उनकी सहायक नदियां उफान पर हैं।