लापरवाह अधिकारी व कर्मचारियों पर जमकर बरसे डीसी

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DC rained heavily on careless officers and employees

प्रवीण वालिया,करनाल:

  • कहा-कुछ भी करें, खेतों में आग नहीं लगनी चाहिए

जिला के बांसा गांव में एक दिन में 7 एक्टिव फायर लोकेशन मिलने पर उपायुक्त अनीश यादव निगरानी के लिए लगाए गए कर्मचारियों पर बरसे। इसके लिए बुधवार को अधिकारियों की एक आपात मीटिंग ली गई और उसमें इस एरिया में सुपरविजन के लिए नियुक्त किए गए पंचायती राज विभाग के एक जेई और गंाव के खेतो में निगरानी रखने वाले पटवारी पर खूब गुस्सा निकाला। एसडीएम करनाल अनुभव मेहता को निर्देश दिए कि दोनो कर्मचारियों से स्पष्टीकरण मांगा जाए। उन्होंने पंचायती राज के एक्सईन और डीआरओ को निर्देश देते कहा कि लापरवाह कर्मचारियों की वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट में प्रतिकूल टिप्पणी की जाए।

पराली में आग लगाने की 83 घटनाएं

वास्तव में चालू खरीफ सीजन में फसल कटाई के बाद पराली में आग लगाने की घटनाएं न हों, इसके लिए उपायुक्त ने कर्मचारी-अधिकारियों का त्रिस्तरीय निगरानी तंत्र बनाकर उन्हें गांव, खण्ड़ व उपमण्डल की जिम्मेवारी सौंप रखी है। इसे लेकर ग्राम सचिव और पटवारी को सम्बंधित गांव, तहसीलदार व बीडीपीओ को खंड स्तर पर और सम्बंधित एसडीएम को उपमण्डल स्तर पर निगरानी रखने के निर्देश जारी किए गए हैं। निर्देशों में स्पष्ट किया गया है कि जिस भी एरिया में फसल अवशेषों में आग लगाने की घटना होगी, वहां के अधिकारी व कर्मचारी इसके लिए सीधे जिम्मेदार होंगे। हालांकि पराली में आगजनी की घटनाएं जीरो तक रखने केलिए उपायुक्त की रणनीति कितनी कामयाब है, इसका अंदाजा इस बात से सहज ही लगाया जा सकता है कि बीते दिन यानि 18 अक्तूबर तक जिला में अब तक पराली में आग लगाने की 83 घटनाएं हुई हैं, जबकि गत वर्ष इस अवधि में 343 घटनाएं हुई थी, अर्थात इस साल अब तक करीब 76 प्रतिशत कम हुई है। एक दिन की बात करें तो 18 अक्तूबर के दिन जिला में पराली में आग लगाने की 25 घटनाएं हुई।

निसिंग, असंध और नीलोखेड़ी पर फोकस रखने के दिए निर्देश

उपायुक्त द्वारा ली गई आपात बैठक में उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि घरौंडा और इन्द्रीं में फसल कटाई का काम लगभग पूरा हो चुका है, अत: किसान अगली फसल की बुआई की तैयारी कर रहे हैं, इन खंडों में पराली में आग लगाने की घटनाओं की सम्भवनाएं भी नहीं हैं। लेकिन निसिंग, असंध और नीलोखेड़ी में अभी भी खतरा बना हुआ है, विशेषकर निसिंग एरिया के औंगद, ब्रास, बांसा, गोंदर, निसिंग, डाचर, अमूपुर व जुण्डला में विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। इसके लिए उन्होंने अधिकारियों को सख्ती से कहा कि कुछ भी करें, चाहे किसानों को समझाएं, खेतों में आग नहीं लगनी चाहिए। प्रात: 11 से 5 बजे तक सभी अधिकारी एवं कर्मचारी अपने-अपने एरिया में सतर्क रहें, बेशक कर्मचारी अपनी ड्यूटी के अन्य कार्यों को अतिरिक्त समय देकर करें, लेकिन प्राथमिकता इसी बात की रखें कि खेतो में आग न लगने पाएं। उन्होंने कहा कि इसे रूटीन ड्यूटी में न लें।

मीटिंग में उन्होंने नीलोखेड़ी के सावंत गांव में भी एक्टिव फायर लोकेशन को लेकर इस एरिया के अधिकारी-कर्मचारियों पर नाराजगी दिखाई। कहा कि दीवाली की छुट्टियों में अधिकारी व कर्मचारी ड्यूटी के प्रति उदासीनता नहीं दिखाएंगे, कोई भी अपना मुख्यालय या कार्यस्थल छोडक़र नहीं जाएगा। पराली में आग लगाने की घटनाओं को रोकने के लिए इन्द्री एरिया में जिन अधिकारी व कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई थी, मीटिंग में उनसे कहा गया कि वे अब नीलोखेड़ी की तरफ ध्यान दें।

मात्र 10 दिन की है बात, शिद्दत से करें काम

मीटिंग में मौजूद सभी अधिकारियों व कर्मचारियों को उपायुक्त ने कहा कि आगामी 30 अक्तूबर तक फसल कटाई का काम निपट जाएगा, इन 10 दिनो में ही ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है। सभी अधिकारी व कर्मचारी शिद्दत से काम करें और पराली में आग लगाने की जीरो घटना के लक्ष्य पर फोकस रखें। मीटिंग में डीआरओ श्याम लाल पुनिया, डीडीपीओ राजबीर खुंडिया तथा डीडीए डॉ. आदित्य डबास भी मौजूद रहे।

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