रूढ़िवादी धारणाएं और परंपराएं अब होने लगी समाप्त
Mahendragarh News (आज समाज) महेंद्रगढ़ : जिले के एक गांव में व्यक्ति ने बेटा-बेटी में फर्क न समझते हुए एक अनूठी पहल की है। व्यक्ति द्वारा की गई पहल की पूरे क्षेत्र में चर्चा व प्रशंसा हो रही है। बेटी की शादी को खास बनाने के लिए की गई इस पहल ने समाज के सभी लोगों को एक प्रेरणा प्रदान की है। प्राप्त जानकारी अनुसार जिले के गांव मोहल्ला खडखडी में एक पिता ने अपनी बेटी की शादी में उसे घोड़ा-बग्गी पर बैठाकर बनवारा निकालते हुए समाज को बेटा-बेटी एक समान समझने का संदेश दिया है।
इस अवसर पर परिजनों ने नाच-गाकर इस खुशी को सेलिब्रेट किया। ताऊ शिवचरण चौहान ने बताया कि बेटी नेहा की शादी समारोह की परम्पराओं में घोड़ा-बग्गी पर बनवारा निकालते हुए समाज को एक सुंदर संदेश देने का काम किया है। इस अवसर पर घोड़ा-बग्गी व ढोल-नगाड़ों के साथ परिवार के सदस्यों ने नाचते हुए बनवारा निकाला है। कार्यक्रम में पहुंचे शिक्षाविद एवं प्रगतिशील शिक्षक ट्रस्ट के अध्यक्ष संजय शर्मा तथा ट्रस्टी नरोत्तम सोनी ने कहा कि बदलते परिदृश्य तथा शिक्षा प्रसार की बदौलत अब रूढ़िवादी धारणाएं और परंपराएं अब समाप्त होने लगी है। बेटी का घोड़ा- बग्गी पर बनवारा निकलते देख परिजनों समेत आसपास के लोगों में खुशी की लहर दिखाई दे रही थी।
बेटी की शादी को यादगार बनाया
नेहा चौहान की शादी 22 नवंबर को होगी। पिता निरंजन लाल ने बताया कि बेटा- बेटी की समानता को व्यवहारिक रूप प्रदान करते हुए अपनी बेटी नेहा का घोड़ा- बग्गी पर बनवारा निकालकर शादी को यादगार बनाया है। परिवार की महिलाओं ने नाच-गाकर इस खुशी को दोगुना कर दिया। वहीं, स्थानीय निवासियों ने भी इस पहल की सराहना करते हुए नेहा के परिजनों की तारीफ की है।
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