Dandi March 95th Anniversary: पीएम मोदी ने प्रतिभागियों को दी श्रद्धांजलि

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Dandi March 95th Anniversary: प्रधानमंत्री मोदी ने प्रतिभागियों को दी श्रद्धांजलि
Dandi March 95th Anniversary: प्रधानमंत्री मोदी ने प्रतिभागियों को दी श्रद्धांजलि

PM Payes Tribute To Dandi March Heroes, (आज समाज), नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐतिहासिक दांडी मार्च की 95वीं वर्षगांठ पर इसके प्रतिभागियों को आज श्रद्धांजलि दी। उनके अलावा केंद्रीय मंत्री प्रल्हाद जोशी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे व अन्य ने भी श्रद्धांजलि दी। पीएम मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कहा कि दांडी मार्च के प्रतिभागियों का साहस, बलिदान और सत्य और अहिंसा के प्रति प्रतिबद्धता पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी।

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मार्च स्वतंत्रता संग्राम का एक निर्णायक अध्याय

प्रधानमंत्री ने कहा, आज, हम उन सभी को श्रद्धांजलि देते हैं जिन्होंने ऐतिहासिक दांडी मार्च में भाग लिया। दांडी मार्च भारत के स्वतंत्रता संग्राम का एक निर्णायक अध्याय है। महात्मा गांधी के नेतृत्व में, इस मार्च ने आत्मनिर्भरता और स्वतंत्रता के लिए एक राष्ट्रव्यापी आंदोलन को प्रज्वलित किया।

प्रल्हाद जोशी ने दांडी मार्च को ऐतहासिक बताया

केंद्रीय मंत्री प्रल्हाद जोशी ने भी दांडी मार्च का सम्मान करते हुए इसे ऐतिहासिक बताया। उन्होंने एक्स पर कहा, इस दांडी मार्च दिवस पर, हम औपनिवेशिक शासन के खिलाफ महात्मा गांधी के निडर रुख का सम्मान करते हैं। उनके ऐतिहासिक नमक मार्च ने एक ऐसे आंदोलन को जन्म दिया जिसने भारत की स्वतंत्रता और आत्मनिर्भरता की लड़ाई को मजबूत किया।

आज भी बापूजी के सिद्धांतों पर चल रही कांग्रेस : खरगे

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, आज से ठीक 95 साल पहले महात्मा गांधी ने ऐतिहासिक दांडी मार्च की शुरूआत की थी और मुट्ठी भर नमक से ब्रिटिश हुकूमत की नींव हिला दी थी। नमक सत्याग्रह से शुरू हुआ सविनय अवज्ञा का देशव्यापी आंदोलन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के पूर्ण स्वराज के संकल्प को पूरा करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था। कांग्रेस पार्टी आज भी बापूजी के सिद्धांतों पर चल रही है।

ब्रिटिश शासन के खिलाफ था महात्मा गांधी का दांडी मार्च

दांडी मार्च, या नमक सत्याग्रह, स्वतंत्रता आंदोलन में एक प्रमुख मील का पत्थर था, जो सत्य और अहिंसा के आधार पर भारतीयों द्वारा आत्मनिर्भरता प्राप्त करने का प्रतीक था। ब्रिटिश शासन के खिलाफ महात्मा गांधी के अहिंसक आंदोलन का हिस्सा नमक सत्याग्रह  महात्मा गांधी द्वारा गुजरात के अहमदाबाद में साबरमती आश्रम से तटीय गांव दांडी तक 12 मार्च, 1930 को शुरू हुआ और 5 अप्रैल, 1930 को समाप्त हुआ था।

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