गाड़ी और वाहन बगैर 2 कदम भी न चलने वालों के लिए एक उदाहरण हैं होशियार सिंह

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cyclist hoshiar singh

आज समाज डिजिटल,कनीना:

कनीना के वार्ड एक के निवासी होशियार सिंह उन लोगों के लिए एक अच्छा उदाहरण बन गए हैं जो दो कदम चलने के लिए भी वाहन का सहारा लेते हैं। एक और जहां प्रदूषण बढ़ाने में वाहनों का अहं योगदान है वही बढ़ती महंगाई विशेषकर पेट्रोल की महंगाई का रोना लोग रोते रहते हैं किंतु होशियार सिंह एक ऐसी शख्सियत है विगत 32 वर्षों से अपनी साइकिल पर सभी दैनिक जीवन के कार्य कर रहे। यहां तक की स्कूल में विज्ञान शिक्षक होने के नाते स्कूल जाना हो, कोई दैनिक जीवन का काम करना हो या किसी अन्य कार्य के लिए केवल और केवल साइकिल का सहारा लेते हैं। दूरदराज या किसी आपातकाल के समय किसी वाहन से जरूर चले हो किंतु प्रदूषण बचाने महंगाई को रोकने, पेट्रोल की महंगाई को रोकने में उनका अहम योगदान रहा है।

कब से चला रहे हैं साइकिल

होशियार सिंह बताते हैं कि 1988 में साइकिल चलाना सीख लिया था किंतु 1990 से वे लगातार साइकिल प्रयोग कर रहे हैं। प्रतिदिन 20 से 30 किलोमीटर दूरी साइकिल से तय कर लेते हैं, उन्हें कतई आलस्य नहीं है। सर्दी हो या फिर गर्मी,आंधी हो या बरसात साइकिल पर चलते नजर आएंगे। उन्हें कतई कोई संकोच नहीं कि साइकिल चलाने से कोई शोहरत हासिल होती है या कहीं बदनाम होता है। अक्सर लोग घास लाने के लिए, दैनिक शौच आदि के कार्य के लिए ,दो कदम चलने के लिए मोटर साइकिल या किसी वाहन का सहारा लेते हैं इसे पेट्रोल तो खर्च होता ही है वायु प्रदूषण भी बढ़ता है। 50 वर्ष की उम्र पार कर चुके होशियार सिंह पेशे से विज्ञान शिक्षक है और वह साइकिल पर स्कूल जाना अपनी खुशनसीबी समझते हैं।

साइकिल पर जाते हैं स्कूल

होशियार सिंह वर्ष 1995 से स्कूल में विज्ञान शिक्षक बतौर कार्यरत है और अब तक उनकी 21 बार बदली हो चुकी है। जहां तक संभव हो पाया हर स्कूल में साइकिल से ही आना-जाना जारी रखा कोई विशेष समस्या आती हो या दूरदराज आना जाना हो तो साइकिल को प्रयोग जरूर करने के साथ साथ वाहन का सहारा लेते हैं। यदि कहीं जाना हो तो वो साइकिल से बस स्टैंड या रेलवे स्टेशन जाते हैं तत्पश्चात किसी साधन का सहारा लेते हैं। स्कूल के शिक्षक और उनके विद्यार्थी नहीं चाहते कि ढलती उम्र के साथ वे साइकिल का सहारा ले परंतु होशियार सिंह उल्टे यही कहते हैं कि साइकिल चलाने का अगर कोई लाभ है तो 50 वर्ष की उम्र पार करके ही है ताकि शरीर स्वस्थ रहे।

कैसे तय करते हैं इतनी दूरी

होशियार सिंह शिक्षक होने के साथ-साथ एक अच्छे साहित्यकार भी है। अब तक 36 कृतियों की रचना की है तथा देश-विदेश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में उनके लेख आदि प्रकाशित होते रहते हैं। क्योंकि पेड़ पौधे और वनस्पति शास्त्र से बचपन से लगाव है शिक्षा क्षेत्र में भी उन्होंने वनस्पति शास्त्र से शिक्षा पाई है जिसके चलते यह पेड़ पौधे तथा जीव जंतुओं की फोटो लेने के लिए किसी जंगल में या इधर उधर जाकर साइकिल से जा कर फोटो लाते हैं। तत्पश्चात ही उसे कंपोज करके भेजते हैं। विगत दिनों उन्हें कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय से लेखन कार्य में डीलिट की उपाधि मिली है। विगत 30 वर्षों से लेखन कार्य में उन्हें सैकड़ों अवार्ड मिले हैं तथा लेखन कार्य में करीब 500 सर्टिफिकेट्स हैं। उन्हें जब भी बस स्टैंड जाना हो, घरेलू सामान खरीद कर लाना हो, स्कूल जाना हो या किसी से मिलने के लिए जाना हो तो साइकिल ही प्रयोग करते हैं। वे बताते हैं कि उन्होंने अब तक जीवन में 32 सालों में करीब 4 साइकिल ही प्रयोग की है। पहली साइकिल जहां करीब 500 रुपये में खरीदी थी और वर्तमान साइकिल करीब 4000 रुपये की खरीदी है। एक बात और अपनी साइकिल का भी इंश्योरेंस रखते हैं। इंश्योरेंस करने वाले इसलिये रोते थे कि इंश्योरेंस का खर्चा 40 रुपये जबकि कागज आदि का खर्चा 20 रुपये तक हो जाता था। अब इंश्योरेंस महंगा है। साइकिल को चाहे वह पुरानी भी है अच्छी प्रकार साफ-सुथरी और तैयार रखते हैं ताकि रास्ते में कभी कोई परेशानी न आए और आज तक उन्हें किसी प्रकार की कोई परेशानी सामने नहीं आई। वे बताते हैं कि उन्होंने सबसे लंबा साइकिल पर सफर महज तीन बार 70 किलोमीटर तक किया है। रेवाड़ी किसी काम से जाना पड़ा था, वाहन हड़ताल पर थे, अपने पास कोई साधन न होने से साइकिल से ही रेवाड़ी तक काम करने के लिए पहुंचे और वापस आये।

साइकिल का क्यों लेते हैं सहारा

होशियार सिंह बताते हैं की साइकिल बहुत अच्छा साधन है स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए विदेशों में जहां अमीर लोग साइकिल पर चलते हैं वही भारत जैसे देश में उल्टी धारणा बन गई है कि अमीर लोग वाहनों में और गरीब लोग साइकिल आदि पर चलते हैं। उनका कहना है कि उनके पैरों में किसी प्रकार दोष नहीं है। यही नहीं 10 बार हरिद्वार से बाघेश्व धाम तक पैदल सफर करते हुए हर बार 350 किलोमीटर दूरी तय की है और 200 किलोमीटर दूरी कनीना से खाटू श्याम पदयात्रा पर 10 बार के करीब की है। धार्मिक प्रवृत्ति के होने के साथ-साथ सामाजिक व्यक्ति भी है। उनका मानना है कि यदि पूरा ही देश में कम से कम सप्ताह में एक बार साइकिल पर चले तो बहुत अधिक पेट्रोल की बचत हो सकती है या किसी सार्वजनिक वाहन से यात्रा करें तो भी पेट्रोल की बचत हो सकती है वहीं प्रदूषण घट सकता है। वे बताते हैं कि कोरोना काल में उन्हें बहुत आनंद आया जब सभी लगभग विभिन्न वाहनों पर प्रतिबंध लग गया तब भी उनकी साइकिल लगातार चलती रहती थी और लोग भी साइकिलों पर चलने लगे थे। प्रदूषण स्तर घट गया था। उनका कहना है कि प्रदूषण एक बड़ी समस्या बन गई है वायुमंडल में जहरीली जैसे नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, कार्बन डाइआक्साइड आदि बढ़ती जा रही है यदि प्रदूषण पर नियंत्रण नहीं रखा गया तो भविष्य में  इतनी कार्बन डाइऑक्साइड बढ़ जाएगी कि विज्ञान की भाषा में हरित गृह प्रभाव उत्पन्न हो जाएगा जिसके चलते धरती का तापमान बढ़ेगा। हरित गृह प्रभाव के चलते समुद्रों का तल ऊंचा चढ़ जाएगा क्योंकि ध्रुवों की बर्फ पिघलने लग जाएगी और बड़ी समस्या बन जाएगी, समुद्र के आसपास शहरों के लिए बढ़ता हुआ समुद्री जल तक ला सकेगा। यही नहीं और ओजोन पर्त में छेद प्रदूषण के कारण ही हुआ है। ऐसे में हमें अपने भविष्य  के लोगों की चिंता जरूर करनी चाहिए ताकि प्रदूषण से भी बचा जा सके।

खेद है

होशियार सिंह बताते हैं कि उन्हें बहुत बड़ा खेद है कि विगत लंबे समय से साइकिल चला रहे हैं कनीना के इतिहास में इतनी लंबी साइकिल चलाने वाले एकमात्र है परंतु कभी किसी ने साइकिल दिवस या अन्य सामाजिक कार्यों के दृष्टिगत साइकिल चलाने वालों की सूची में या उन्हें प्रोत्साहित नहीं किया उल्टा उन्हें हतोत्साहित किया गया। कोई कहता है धन बचाता है तो कोई कहता है दिखावा नहीं करना चाहता। सरकार को चाहिए कि हमें किसी प्रकार का प्रोत्साहन देना चाहिए।

क्या है मांग

उनका कहना है कि सरकार को साइकिल चलाने वालों को प्रोत्साहन देना चाहिए। साइकिल चलाने वालों के लिए सस्ती दरों पर साइकिल उपलब्ध करवानी चाहिए, टैक्स आदि साइकिल पर नहीं लगाना चाहिए तथा इस प्रकार के व्यक्तियों को सम्मानित करना चाहिए ताकि दूसरे लोगों के लिए एक प्रेरणा मिले और अन्य लोग भी साइकिल का सहारा ले।

 

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