नई दिल्ली। दुनिया में साइबर क्राइम तेजी से बढ़रहा है। केवल आम लोगों को ही इसका शिकार नहीं होना पड़ रहा है। बल्कि सेना को भी इसका खतरा बना हुआ है। भारतीय सशस्त्र बलों के खिलाफ बढ़ते इसके खतरे को देखते हुए भारत सरकार सजग हो गईहै। अपने सैनिकों को इस साइबर क्राइम और हमले से बचने के लिए ट्रेनिंग दिलानेके लिए सरकार अमेरिका की मदद लेने जा रही है। सैन्य मामलों का विभाग (डीएमए) भविष्य के युद्ध के लिए लेटेस्ट साइबर सुरक्षा तकनीक और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) के संबंध मेंप्रशिक्षित करने के लिए सौ लोगों को अमेरिका भेजा जाएगा। गौरतलब है कि हाल ही मेंयह बात सामने आई थी कि चीन के साइबर जासूस का निशाना भारत के रक्षा विभाग सहित कई सेक्टर है। भारत का रक्षा विभाग, टेलीकॉम सहित कई विभाग चीनी जासूसोंके निशाने पर हैजो साइबर जासूस है। वह भारत के कई सीक्रेट डाक्यूमेंट और जानकारियां चुरा सकता है। साउथ ब्लॉक के अधिकारियों के मुताबिक, 2016 के साइबर फ्रेमवर्क और रक्षा सहयोग समझौते के तहत अमेरिका ने सिलिकॉन वैली में 100 सैन्य कर्मियों को प्रशिक्षित करने की पेशकश की है, ताकि उन्हें साइबर युद्ध का मुकाबला करने और भविष्य की रक्षा और युद्ध में एआई की भूमिका का प्रत्यक्ष अनुभव दिया जा सके। बता दें कि साउथ ब्लॉक में रक्षा मंत्रालय, विदेश मंत्रालय, पीएमओ और एनएसए के आॅफिस हैं। दरअसल, भारतीय सेना के पास एकीकृत मुख्यालय के तहत एक त्रि-सेवा रक्षा साइबर एजेंसी है। सरकार प्रस्तावित थिएटर कमांड को लड़ाई में बढ़त देने के लिए मध्य प्रदेश के भीतरी इलाकों में एक उचित साइबर कमांड स्थापित करने के पक्ष में है।