नई दिल्ली:
भारत में सदा से शिक्षा और संस्कृति अभिन्न रहे हैं। मैकाले ने शिक्षा को संस्कृति से अलग करने का प्रयास किया ताकि चाणक्य के देश में चारण उत्पन्न किए जा सके। लेकिन हमारे पूर्वजों के प्रयासों से मैकाले को पूर्ण सफलता नहीं मिल सकी। वर्तमान पीढ़ी को ऋषियों की श्रेष्ठ विरासत से जोडना हम सबका कर्तव्य है। यह कहना है कमल, वंदना, गुरुग्राम और ट्रिनिटी ग्रुप ऑफ एजुकेशनल इंस्टीट्यूशंस के चेयरमैन डॉ. वेद टंडन का। बता दें कि दिल्ली स्थित जनकपुरी में शांतिकुंज, हरिद्वार के भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा प्रकोष्ठ द्वारा संस्कृति बिन शिक्षा अधूरी्य विषय पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस दौरान डॉ. वेद टंडन मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।
संस्कृति बिन शिक्षा अधूरी विषय पर संगोष्ठी का आयोजन
विश्व बंधुत्व और सबके मंगल का उद्घोष करने वाली भारतीय संस्कृति बिन शिक्षा को अधूरी बताते हुए डॉ. टंडन ने कहा कि ट्विन टावर कांड को अंजाम देने वाले शिक्षित थे लेकिन सद् संस्कारों से विहीन उनकी शिक्षा ने पूरी मानवता को हिला दिया। उन्होंने कहा कि संस्कृति से ओत प्रोत शिक्षा विश्व शांति का मूल है। कार्यक्रम में डॉ. वेद टंडन के सामाजिक-सांस्कृतिक योगदान पर राष्ट्र-किंकर द्वारा प्रकाशित पुस्तक राम काज करिबे को आतुर का लोकार्पण किया गया। वहीं, मुख्य वक्ता अनिता शर्मा ने अपने उदबोधन में नई शिक्षा नीति में शिक्षा को भारतीय भाषाओं और लोक संस्कृति से जोडने की चर्चा करते हुए छोटे-छोटे रोचक सूत्रों से शिक्षा और संस्कृति को पूरक सिद्ध किया।
विशिष्ट अतिथि गायत्री चेतना केंद्र के प्रमुख प्रदीप दीक्षित ने गायत्री परिवार के भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा प्रकोष्ठ द्वारा पूरे देश के छात्रों को सांस्कृतिक सूत्रों से जोडने के प्रयास की जानकारी देते हुए इस पुनीत कार्य में सहयोग करने वाले शिक्षकों, अभिभावकों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित की। अन्य वक्ताओं झटीकरा शक्तिपीठ के सुशील मिश्रा, चार वर्ष मास्कों में शिक्षक रहते हुए छात्रों को भारतीय संस्कृति से जोडने वाले जगबीर सिंह कादयान और डॉ.विनायक, संस्कृत शिक्षक संघ के अध्यक्ष डॉ. ब्रजेश गौतम, कंचन गुप्ता ने भी प्रस्तुत विषय पर अपने विचार व्यक्त किया। मंचासीन अतिथियों ने भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा में सर्वाधिक भागीदारी वाले कमल मॉडल स्कूल मोहन गार्डन और अन्य विद्यालय प्रमुखों व अन्य सहयोगी शिक्षकों को सम्मानित किया। कार्यक्रम संयोजक खैराती लाल सचदेवा ने सभी के प्रति आभार व्यक्त करते हुए इस अभियान में सहयोग की अपील की। कार्यक्रम संचालन वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. विनोद बब्बर ने किया।