देश की पहली नि:शुल्क अत्याधुनिक कृत्रिम अंग निर्माण इकाई 15 से

0
673
देश की पहली नि:शुल्क अत्याधुनिक कृत्रिम अंग निर्माण इकाई 15 से
देश की पहली नि:शुल्क अत्याधुनिक कृत्रिम अंग निर्माण इकाई 15 से

HEADLINES:

  • नारायण सेवा संस्थान में रोटरी अंतर्राष्ट्रीय के सहयोग से जर्मनी की मशीनें करेंगी काम।
  • नि:शुल्क वितरण से लाखों दिव्यांगजन होंगे लाभान्वित

आज समाज डिजिटल, उदयपुर:
सड़क दुर्घटनाओं अथवा अन्य हादसों में हाथ-पांव गवा देने वाले दिव्यांगजन को अब पहले से अधिक सुविधाजनक और अत्याधुनिक कृत्रिम अंग त्वरित नि:शुल्क उपलब्ध कराए जा सकेंगे। इसके लिए नारायण सेवा संस्थान के लियों का गुड़ा स्थित परिसर में देश की प्रथम नि:शुल्क आर्टिफिशियल लिंब्स फेब्रिकेशन यूनिट (कृत्रिम अंग निर्माण कार्यशाला) स्थापित है।

यूनिट में लगेंगी जर्मनी की मशीनें

यह जानकारी गुरुवार को संस्थान अध्यक्ष प्रशांत अग्रवाल ने दी। उन्होंने बताया कि रोटरी क्लब इम्यूरी ड्यूड हिल्स यूएसए और रोटरी क्लब उदयपुर- मेवाड़ के सहयोग से स्थापित इस यूनिट का उद्घाटन 15 मई (रविवार) को प्रात: 10:30 बजे संस्थान संस्थापक पद्मश्री कैलाश मानव, पैरालंपिक कमेटी ऑफ इंडिया की चेयरमैन एवं पैरा ऑलम्पिक दीपा मलिक एवं रोटरी अंतरराष्ट्रीय पदाधिकारियों के सानिध्य में संपन्न होगा। इस यूनिट में ओटोबॉक जर्मनी की मशीनें लगायी गयी हैं। इसमें बनने वाले कृत्रिम अंग अधिक हल्के व सुविधाजनक होंगे।

बढ़ रही दुर्घटनाएं चिंता का विषय

संस्थान अध्यक्ष ने बताया कि बढ़ती सड़क दुर्घटनाएं चिंता का विषय है। इसमें हाथ-पैर खोने वाले ही नही, उनके परिवार भी अत्यंत कश्टदायी जिन्दगी जीने को मजबूर हो जाते हैं। आंकड़ों की बात करें तो देश की कुल आबादी का लगभग 2 प्रतिशत हिस्सा दिव्यांगता का शिकार है, इसमें ज्यादा संख्या कटे हाथ-पैर वालों की है। रोटरी क्लब ऑफ उदयपुर-मेवाड़ के संरक्षक हंसराज चौधरी ने बताया कि नारायण सेवा संस्थान द्वारा दिव्यांगजन के जीवन को आसान बनाने के पिछले 34 वर्शो से किये जा रहे कार्यों से इम्यूरी ड्यूड हिल्स यूएसए काफी प्रभावित हुआ है। इसमें सहयोग के लिए रोटरी क्लब उदयपुर-मेवाड़ की अनुशंसा को उसने प्राथमिकता के आधार पर स्वीकार किया।

2011 से शुरू किया गया था यह प्रकल्प

संस्थान के प्रोस्थेटिक एवं आॅर्थोटिक यूनिट हेड डॉ. मानस रंजन साहू ने बताया कि दुर्घटनाग्रस्त दिव्यांगों को कृत्रिम हाथ पैर उपलब्ध कराने का कार्य संस्थान ने 2011 में शुरू किया था। अब तक 28 हजार से ज्यादा दिव्यांगों को आर्टिफिशियल लिम्ब लगाये जा चुके हैं। संस्थान के सहायता शिविरों में आने वाले हजारों हताश, लाचार अंगविहिनों की दुर्दशा पर संस्थान की टीम ने लम्बे समय तक रिसर्च की जिससे बेहतर लिम्ब प्रदान करने के व्यवस्थित एवं तकनीकी प्रकोष्ठ की शुरूआत हो सकी। संस्थान इस क्षेत्र में सेन्ट्रल फेब्रीकेशन यूनिट लगाकर गुणवत्ता और एकरूपता के साथ बहुत ही कम समय में ज्यादा दिव्यांगों को लाभान्वित कर सकेगा।

कृत्रिम अंगों के लिए नहीं करना होगा इंतजार

बड़ी संख्या में आ रहे अंगहीन भाई-बहनों को अब कृत्रिम अंग लगवाने को लेकर प्रतीक्षा नहीं करनी पड़ेगी। इस यूनिट के लगने से आधुनिकता और तकनीक के साथ संस्थान अन्य देशों द्वारा कृत्रिम अंग निर्माण प्रणाली के समकक्ष होगा। गरीब दिव्यांगों को देश में ही अत्याधुनिक प्रोस्थेटिक मुफ्त में मिलने से उनकी प्रगति एवं उनमें संतुश्टि के भाव पैदा होंगे। इस मशीन से प्लास्टर कास्टिंग, प्लास्टर मोडिफिकेशन, थर्मो प्लास्टिक मोल्डींग, प्लास्टिक लेमीनेशन, जैसी क्रियाएं उच्च तकनीक से सम्भव हो सकेगी। मशीन में उच्च गुणवत्ता वाला ऑवन लगा होने से वेक्युम ड्रेपिंग, ऑर्थोटिक अनुप्रयोग, वेक्युम असिस्टेड, लेमिनेशन फाइबर जैसी सुविधाओं से कृत्रिम अंग वर्कशॉप के संचालन को दुगुनी गति देगा।

ये भी पढ़ें : कैमरों पर स्प्रे मार चोर उखाड़ ले गए एटीएम, मौके पर फोरेंसिक टीम

ये भी पढ़ें : खुफिया विभाग पर हमले में पहली कामयाबी, निशान फरीदकोट से गिरफ्तार