इसमें दरअसल, दूध से भी ज्यादा विटामिन, प्रोटीन और आयरन की मात्रा होती है। ये पौधा ग्रामीण क्षेत्रों में भी बड़े ही आसानी से 1.5 या 2 साल में तैयार हो जाता है। वहीं, इसके लिए ज्यादा कुछ मेहनत भी नहीं करनी पड़ती है। इस पौधे की बाजार में बहुत ही ज्यादा मांग भी है।
बहुत सारे कृषि पर्य वक्षक का ये कहना है की पेड़ की जो भी पत्तियां होती हैं उनको चूरन के रूप में बनाकर के रखा जा सकता है। वहीं, पेड़ को आने वाली फली के रूप में भी इसे खाया जा सकता है।
हार्ट अटैक ( Heart Attack), ब्रेन स्ट्रोक ( Brain Stroke) के जैसी खतरनाक बीमारी में भी ये एक तरह से राम बाण की तरह ही काम करता है। ये समझ लीजिए कि इसमें आपको दूध , दही से भी ज्यादा प्रोटीन मिलता है, जो शरीर के लिए काफी ज्यादा असरदार होता है।
वहीं, आजकल तो लोग इस सहजन के पेड़ को अपने घरों के आंगन में भी लगाएं हैं। क्योंकि लोगों का ये कहना है की इसमें ज्यादा मेहनत भी नहीं करनी पड़ती है। बहुत ही ज्यादा आसानी से इनके बीज को लाकर खेत में ओर आंगन में डाल दिया जाता है और जब ये रेडी होने लगते हैं तो इनमें लगातार पानी दिया जाता है और इनकी निराई गुड़ाई का कार्य भी किया जाता है।
जिसके चलते 2- 3साल में लगभग ये पेड़ पूरी तरह से तैयार हो जाते हैं और फली देने लगते हैं। आप इसका सेवन फली के रूप में भी कर सकते हैं।
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