Counterfeit liquor case: Death toll reaches 111: नकली शराब मामला : मृतकों की संख्या 111 पहुंची

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चंडीगढ़ पंजाब में नकली शराब त्रासदी में मृतकों की संख्या 111 हो गई है, जिनमें से तरततारन में 83, अमृतसर में 15 और बटाला में 13 मौतें हुई हैं। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने इस बारे में मंगलवार को राज्य में शराब माफिया को खत्म करने का वादा करते हुए कहा कि नकली शराब से हुई मौतों के मामले में यदि किसी राजनीतिज्ञ या सरकारी कर्मचारी की मिलीभगत सामने आई तो उसे बख्शा नहीं जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि लोगों को नकली शराब के रूप में जहर से मारने के लिए जिम्मेदार दोषियों को बच निकलने की आज्ञा नहीं दी जाएगी। कैप्टन ने कहा कि उन्होंने पंजाब पुलिस की पूरी फोर्स को माफिया पर कार्रवाई करने के आदेश दिए हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि कुछ असामाजिक तत्वों ने अपने लालच की खातिर पंजाबियों की जानों से खेलने के लिए वह वक्त चुना, जब पुलिस फोर्स का ध्यान कोविड महामारी की तरफ लगा हुआ था।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार भी कोविड से निपटने में लगी हुई है। कोविड से राज्य में अब तक 449 जानें चली गई हैं औरर ऐसे समय में शराब माफिया को हमारे लोगों की जानों से खेलने का मौका मिल गया। नकली शराब के कारण हुई मौतों का हवाला देते हुए कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि यह सीधे तौर पर कत्ल है और इसके लिए कातिल बच नहीं सकेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘इन लोगों ने जब मासूम लोगों को जहर सौंपा/बेचा, तबसे ही वह जानते थे कि इससे जानें जा सकती हैं। वह रहम के हकदार नहीं हैं।’’
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार इस दुख की घड़ी में पीडि़त परिवारों के साथ खड़ी है और परिवारों को इंसाफ  दिलाने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी जाएगी। विरोधियों को निशाने पर लेते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि यह समय राजनीतिक रोटियां सेंकने का नहीं, बल्कि राज्य सरकार द्वारा माफिया को खत्म करने के लिए की जा रही कोशिशों का समर्थन करने का है। उन्होंने आम आदमी पार्टी को पूछा कि नकली शराब के खिलाफ धरने देने से क्या माफिया के खिलाफ  लड़ाई और पीडि़त परिवारों की मदद हो सकेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि अलग-अलग राजनीतिक पार्टियों के शासनकाल के दौरान विभिन्न राज्यों में वर्षों से ऐसी त्रासदियां घटती आ रही हैं।
उन्होंने कहा कि माफिया और अपराधियों का कोई राजनैतिक नाता नहीं होता, बल्कि उनकी लालसा हर हाल में पैसा कमाने की होती है। मुख्यमंत्री ने साल 2019 में नकली शराब के घटे तीन दुखांतों का भी जिक्र किया, जो कि भाजपा के नेतृत्व वाले राज्यों में असम, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में घटे हैं। इनमें क्रमश: 168, 97 और 30 जानें गई थीं। इसी तरह साल 2016 में जनता दल के नेतृत्व में बिहार में 16 व्यक्तियों की मौतें हुई जबकि साल 2015 में भाजपा के नेतृत्व में महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में नकली शराब से 102 जानें चलीं गईं। उन्होंने आगे कहा कि तृणमूल कांग्रेस की सत्ता वाले पश्चिमी बंगाल में नकली शराब पीने से 167 व्यक्ति मौत के मुंह में चले गए थे।
कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि लगभग हर साल भारत में नकली शराब के दुखांत देखे जाते हैं, जिनका इससे कोई लेना-देना नहीं होता कि उस राज्य में सत्ता किसकी है। उन्होंने राजनीतिक पार्टियों को निर्दोष पंजाबियों की जिंदगी पर राजनीति करना बंद करने की अपील की। उन्होंने कहा, ‘‘हमारे लोग इस बात की परवाह नहीं करते कि सत्ता में किस पार्टी की सरकार है, वह तो अपने अजीज जिनको शराब माफिया की लालसा का खामियाजा भुगतना पड़ा, के लिए इंसाफ चाहते हैं।’’ उन्होंने कहा कि अकाली-भाजपा के शासनकाल के दौरान भी ऐसे दुखांत घटते रहे हैं। मुख्यमंत्री ने विपक्ष को राजनीतिक हितों से ऊपर उठ कर लोगों के लिए इंसाफ  के लिए लडऩे की अपील की।