गगन बावा, गुरदासपुर :
काउंसिल आफ डिप्लोमा इंजीनियर गुरदासपुर, बटाला और पठानकोट के विभिन्न विभागों, बोर्ड, कारपोरेशन और अन्य संस्थाओं में ड्यूटी निभा रहे इंजीनियर साथियों की ओर से काउंसिल आफ डिप्लोमा इंजीनियर पंजाब, हरियाणा, हिमाचल, जम्मू-कश्मीर, यूटी के चेयरमैन इंजीनियर सुखविंदर सिंह के फैसले के अनुसार 18 से 20 अगस्त तक 3 दिन पैन डाउन टूल डाउन हड़ताल के दूसरे दिन मंडी बोर्ड विभाग गुरदासपुर के दफ्तर के सामने सुबह 11:00 से दोपहर 2:00 बजे तक शांति में धरना दिया गया।
कौंसिल के प्रदेश सलाहकार इंजीनियर निर्मल सिंह ने बताया कि हड़ताल छठे पे कमिशन की रिपोर्ट की त्रुटियों को दूर कराने, इंजीनियर केडर को फील्ड में काम करने के लिए सरकार की ओर से मंजूर किए गए एफटीए 30 लीटर पेट्रोल में की कटौती को वापस लेकर इसे बढ़ाकर 80 लीटर कराने, पुरानी पेंशन स्कीम बहाल कराने, पंजाब में चंडीगढ़ की तर्ज पर जेई और एई से उप मंडल इंजीनियर की तरक्की के लिए कोटा 50 फीसदी से बढ़ाकर 75 फीसदी कराने और विभिन्न विभागों, बोर्ड, कारपोरेशन में इंजीनियरों की आउट सोर्स के माध्यम से भर्ती और रिटायर्ड अधिकारियों की रीइंप्लायमेंट को रद्द करने की मांगें शामिल हैं।
काउंसिल के प्रदेश सलाहकार इंजीनियर निर्मल सिंह और महासचिव इंजीनियर लखविंदर सिंह की ओर से 3 दिन में दिए जाने में धरनों संबंधी जानकारी दी गई। उन्होंने बताया कि 18 अगस्त का धरना बी एंड आर विभाग पठानकोट के हलका दफ्तर, 19 का धरना मंडी बोर्ड विभाग गुरदासपुर और 20 का धरना जल सप्लाई एवं सेनिटेशन हल्का दफ्तर गांव बबरी गुरदासपुर में 11:00 से 2:00 बजे तक दिया जाएगा। इस मौके पर इंजीनियर बलदेव सिंह, इंजीनियर अशोक कुमार, इंजीनियर गुरविंदर सिंह, इंजीनियर राकेश कुमार, इंजीनियर जसविंदर कुमार, इंजीनियर निर्मल सिंह, इंजीनियर लखविंदर सिंह, इंजीनियर अमरजीत सिंह, इंजीनियर बलविंदर सिंह, इंजीनियर सतनाम सिंह, इंजीनियर राकेश कुमार, इंजीनियर रछपाल सिंह, इंजीनियर प्रेम प्रकाश, इंजीनियर हरविंदर सिंह, इंजीनियर हरजीत सिंह, इंजीनियर गुरजीत सिंह, इंजीनियर अमरबीर सिंह, इंजीनियर जगजीत सिंह, इंजीनियर नितिन धीमान आदि मौजूद थे। इस मौके पर नेताओं ने प्रदेश सरकार की ओर से छठे पे कमिशन की आड़ में छीने गए अधिकारों को वापस प्राप्त करने के लिए एकजुट होकर संघर्ष करने की घोषणा की। काउंसिल के प्रधान जोन कन्वीनर इंजीनियर राजकुमार शर्मा ने कहा कि अगर सरकार ने उनकी मांगें जल्द ना मानी और काउंसिल को बैठक का समय ना दिया तो प्रदेश स्तर पर कड़ा संघर्ष छेड़ा जाएगा।
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