Corruption in Management of Gurdwaras
आज समाज डिजिटल, चंडीगढ़:
Corruption in Management of Gurdwaras : शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के कई सदस्यों ने गुरुद्वारे के प्रबंधन में भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं। इस मामले में उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीशों के एक पैनल से जांच कराने की मांग भी की गई है।
पट्टे पर दी गई थी जमीन
एसजीपीसी सदस्यों के आरोप हैं कि माझा में जमीन को औसतन 15,000-16,000 रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से पट्टे पर दिया था, जबकि मालवा में इसी तरह की गुरुद्वारा संपत्ति 60,000 रुपये से 65,000 रुपये प्रति एकड़ की दर से मिल रही थी। एसजीपीसी के सदस्य मास्टर मिठू सिंह ने आरोप लगाया कि माझा में तीन गुरुद्वारों के स्वामित्व वाली 2,991 एकड़ जमीन के पट्टे से महज 4.89 करोड़ रुपये कमाए जा रहे हैं। ये हैं रामदासपुरा में गुरुद्वारा बाबा बुद्ध जी, तेजकलां गांव में गुरुद्वारा बाबा बुद्ध जी और डेरा बाबा नानक गुरुद्वारा है।
जमीन पर कब्जे का आरोप
ये भी दावा किया गया कि 2022-23 के वित्तीय वर्ष के लिए एसजीपीसी बजट शिरोमणि गुरुद्वारा अधिनियम, 1925 के अनुसार तैयार नहीं किया गया था। उन्होंने सैकड़ों करोड़ की जमीन पर अवैध कब्जे का आरोप लगाते हुए कहा कि 30 मार्च को पेश किया जाने वाला बजट, 29।70 करोड़ रुपये का घाटा दशार्ता है। बजट अनुमानों में, 2,991 एकड़ से वास्तविक आय 4।89 करोड़ रुपये दिखाई गई है, जो कि बेहद कम है।
नियमों का उल्लंघन
एसजीपीसी के कार्यकारी सदस्य गुरप्रीत सिंह रंधावा ने आरोप लगाया कि प्रबंधन समिति नियमों का उल्लंघन कर सीधे संचालित गुरुद्वारों से अत्यधिक धन जुटा रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि हालांकि नियम कुल राजस्व का 38 प्रतिशत प्राप्त करना निर्धारित करते हैं, एसजीपीसी हरमंदर साहिब से 51 प्रतिशत और तख्त श्री केसगढ़ साहिब से 46 प्रतिशत का दावा कर रही है।
अनियमितता से इनकार
एसजीपीसी के अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी ने ट्रस्टों के कामकाज में अनियमितता से इनकार किया है। गुरुद्वारे की जमीन को पट्टे पर देने के बारे में उन्होंने कहा कि कुछ संपत्तियां अवैध कब्जे में हैं और एसजीपीसी अदालती मामले लड़ रही है।
Corruption in Management of Gurdwaras
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