Corruption in Higher Education System विदेश के साथ दूसरे राज्यों में शिक्षा लेने का जादू सिर चढ़ कर बोला युवाओं पर
प्रवीण वालिया, करनाल :
Corruption in Higher Education System : भारत में शिक्षा के क्षेत्र में शिक्षा नीति में दोष होने के कारण भारत का लाखों युवा शिक्षा के लिए विदेश जा रहा हैं। अकेले पंजाब में लगभग तीस हजार करोड़ रुपया खर्च कर हजारों युवा विदेश के लिए पलायन करते हैं। आजादी के 75 साल बाद भी हमारे देश में सस्ती शिक्षा लागू नहीं कर पाए। हरियाणा से यूक्रेन और अन्स देशों में जाने वाले बच्चे हरियाणा से आधी लागत में डाक्टर की डिग्री लेकर आते है। मैडीकल शिक्षा की बात करें तो इस बार नीट की यूजी परीक्षा में सौलह लाख बच्चे दाखिल हुए थे।
गरीब वर्ग के बच्चे अच्छे कालेज में दाखिला नहीं ले पाते
इनमें से लगभग बीस हजार बच्चों का ही दाखिला हो पाया। इसके अलावा गरीब वर्ग के बच्चे अच्छे कालेज में दाखिला नहीं ले पाते हैं। जर्मनी में शिक्षा का कोई शुल्क नहीं हैं। इस समय यूक्रेन में संकट के समय भारत के हजारों बच्चे फंसे हुए हैं। यहां से शिक्षा के लिए कनाडा,आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, जर्मनी, अमरीका चीन रुस जाते हैं। भारत में गुजरात, महाराष्ट्र हरियाणा पंजाब में बिदेश में जाकर शिक्षा प्राप्त करने का जादू युवाओं के सिर चढ़ कर बोल रहा हैं।
भारत के युवाओं में देश भक्ति की कमी हैं ऐसा नहीं हैं। लेकिन यहां की उच्च् शिक्षा के एक सी शिक्षा नीति नहीं बनी है। यहां से सीबी रमन विदेश जाकर नोवे प्राइज लेते हैं। कल्पना चावला इस देश में सुविधा नहीं मिलने के कारण विदेश में जाकर अंतरिक्ष यात्री बनती हैं। (Corruption in Higher Education System) ऐसे कई उदाहरण हैं भारत में सम्मान नहीं मिलने पर प्रतिभाएं विदेश चली गई। भारत मूल के कई युवाओं को विदेश में नोबेल प्राइज मिले।
देश में मैडीकल कालेजों में सीटें कम
एक गरीब का बेटा अच्छे नंबर आने के बाद भी मैडीकल कालेज इंजीनिरिंग कालेज में दाखिल नहीं हो पाता। उसके विपरीत आरक्षित आईएएस का बेटा उससे एक चौथाई नंबर आने के बाद भी डाक्टर बन जाता है। देश में मैडीकल कालेजों में सीटें कम हैं। (Corruption in Higher Education System) धार्मिक सामाजिक और अल्पसंख्यकों के नाम पर चलने वाले मैडीकल कालेज सरकारसे भरपूर रियायत लेते हैं। लेकिन बच्चों से करोउ़ों की फीस वसूलते हैं। अकेले यूक्रेन में 1786 बच्चें फंसे हैं। वहां पर 16 से 25 लाख मेंडाक्टर बनाए जा रहे हैं।
नई नीति के कारण प्रतिभाशाली बच्चे पलायन करने पर मजबूर:
हरियाणा में सरकारी कालेज में चालीस लाख रुपए तक देना पड़ते हैं। उसके अलावा निजी में तो करोड़ से पांच करोड़ तक देने पड़ते हैं। हरियाणा सरकार ने 2020 में एमबीबीएस में सालाना फीस दस लाख रुपए प्रति साल कर दी। इससे पहले बच्चे को मात्र 53 हजार रुपए साला देना पड़ती थी। नई पालिसी लागू होने के बाद बच्चे दूसरे राज्यों में जा रहे हैं। इसके कारण हरियाणा की प्रतिभा का पलायन दूसरे राज्यों में जा रहे हैं पैसा भी विदेशों में जा रहा हैं। यहां पर काफी कम रैंक वाले बच्चों को मजबूरन दाखिला देना पड़ेगा। (Corruption in Higher Education System) इसके विपरीत सरकार ने लोन की व्यवस्था की हैैं।
इसके अनरूप बच्चा यदि पूरी डिग्री करने के बाद सरकारी नौकरी में चयनित हो जारता है तो उसके लोन अर्थात 45 लाख रुपए की किश्त सरकार भरेगी। यदि नहीं हुआ तो वह अपनी जेब से भरेगा। इस बीच पीजी नहीं कर पाएगा। उसके लिए उसे सरकार से अनुमति लेना पडेगी। सात साल से भी अधिक भी बांड की अवधि हो सकती है। यूक्रेन चीन आस्ट्रेलिया जाने वाले बच्चों का कहना है कि पहले फीस कम करो। एडमीशन की नीति बदलो। प्रधानमंत्री ने निजी कालेजों से अपील तो कर दी लेकिन अपनी सरकरों से कुछ भी नहीं कहा।
प्रतिभाओं के पलायन का कारण है शिक्षा तंत्र में लाल फीताशाही
देश में हायर एजूकेशन सिस्टम में भ्रष्टाचार और लाल फीताशाही के कारण बच्चे विदेश जाते हैं। करनाल की बनर्जी सिस्टर्स को कुरुक्षेत्र यूनीवर्सिटी के लाल प्ऊीताशही तंत्र ने परेशान किया तो वह आस्ट्रेलिया चली गईं। उनको इमीग्रेशन प्रमाणपत्र नहीं दिया। उनको दाखिला नहीं दिया। (Corruption in Higher Education System) जब कि उसने तीन इंटरनैशनल अवार्ड इंटरनैशनल स्तर पर प्राप्त किए। ऐसे ही यमुनानगर में एक निजी कालेज की प्राध्यापिका को एक रिसर्च कार्य में फंडिंग न होने के कारण वह हार कर अमरीका चली गई। उसको उस शोध के लिए फंड के साथ पुरस्कार भी मिला। देश में गरीब के लिए बेहतर शिक्षा के असर नहीं है । गरीब के बेटे को गूगल और माइक्रो सोफ्ट कंपनियां उठा लेती हैं।
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