Coronavirus Third Wave Started डेल्टा ही है सबसे बड़ा खतरा, ओमिक्रान से भी रहें सावधान

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आज समाज डिजिटल, नई दिल्ली:

Coronavirus Third Wave Started दक्षिण अफ्रीका से ओमिक्रान की दस्तक हुई। अब इसी देश में इसके मामले खत्म होते जा रहे हैं या इसका वायरस निष्क्रिय हो रहा है। इस वायरस के बदले स्वरूप की उतनी चिंता भी नहीं है, जितनी देश में डेल्टा वेरिएंट की है। हमारे यहां अभी भी सबसे ज्यादा मामले डेल्टा के ही आ रहे हैं। अचानक बढ़ रहे मामलों से आने वाले दिनों के संकेत बहुत अच्छे तो नहीं दिख रहे हैं। यह कहना है इंडियन काउंसिल आफ मेडिकल रिसर्च के मुख्य महामारी विशेषज्ञ डॉक्टर समीरन पांडा का।

हमारे देश में डेल्टा हानिकारक है या ओमिक्रॉन? Coronavirus Third Wave Started

अभी भी अपने देश में ओमिक्रॉन से ज्यादा बड़ी समस्या डेल्टा वैरिएंट की है। पूरे देश में अभी तक ओमिक्रॉन के महज डेढ़ हजार मामले सामने आए हैं। जबकि बाकी सारे मामले डेल्टा वैरिएंट के ही है। इसलिए चिंता का विषय डेल्टा है ना कि ओमिक्रॉन। हमारे सारे संस्थान इस दिशा में न सिर्फ लगातार काम कर रहे हैं बल्कि बचाव संबंधित राज्यों को भी दिशा निर्देश भी दे रहे हैं।

डेल्टा के केस कम हैं, ओमिक्रॉन के ज्यादा। ऐसा क्यों? Coronavirus Third Wave Started

मेडिकल साइंस की किसी रिसर्च में इस तरीके की कोई पुष्टि नहीं हुई है कि दोनों वैरिएंट के आपस मे मिलने से कोई बड़ा खतरा है या दोनों वैरिएंट मिलकर नया वैरिएंट बना रहे हैं। यह दोनों वैरिएंट बिल्कुल अलग हैं और हमारे देश में यह दोनों वैरिएंट इस वक्त मौजूद हैं।

जब कोई संबंध नहीं तो डेल्टा वैरिएंट के मामले कैसे बढ़ने लगे? Coronavirus Third Wave Started

लोगों की लापरवाही इसकी बड़ी वजह है। आप बाजारों से लेकर सड़कों और पब्लिक प्लेस पर पहुंच रही भीड़ को देखिए। एक तो लोग पूरी तरीके से वैक्सीनेटेड नहीं। कई लोगों ने सिंगल डोज तक नहीं लगवाई। ऊपर से लोगों ने मास्क लगाने तो छोड़ ही दिए हैं। लोगों को एक बात बिल्कुल स्पष्ट तौर पर समझ लेनी चाहिए कि भले ही आपको वैक्सीन की दोनों डोज लग चुकी हों, लेकिन जब तक आप मास्क नहीं लगाएंगे तब तक आप रिस्क जोन में रहेंगे। यही वजह है कि लगातार मामले बढ़ते जा रहे हैं।

क्या डेल्टा और ओमिक्रॉन के लक्षणों में परिवर्तन हो रहा है? Coronavirus Third Wave Started

ओमिक्रॉन वैरिएंट से प्रभावित 65 से 75 प्रतिशत में लक्षण होते ही नहीं हैं। जबकि डेल्टा वैरिएंट में ऐसा नहीं है। हालांकि ज्यादातर डेल्टा वेरिएंट में अब पहली और दूसरी लहर के दौरान पाए जाने वाले लक्षणों की तुलना में कम लक्षण जरूर हैं लेकिन ओमिक्रोन की तरह एसिमटोमैटिक अभी भी नहीं है।

साउथ अफ्रीका में मामले लगातार कम हो रहे हैं। इसे क्या समझा जाए?

साउथ अफ्रीका में बदले हुए स्वरूप ओमिक्रॉन के मामले न सिर्फ कम हो रहे हैं बल्कि उसकी संक्रामक क्षमता भी कम हो रही है। यह निश्चित तौर पर दक्षिण अफ्रीका के लिहाज से एक सुखद जानकारी तो है ही।

सवाल: बच्चों को ज्यादा सावधान रहने के बारे में क्या कहेंगे?

अपने देश में किए गए चौथे नेशनल सेरोलॉजिकल सर्वे में इस बात का खुलासा हुआ था कि बगैर स्कूल गए हुए ही 60 फीसदी बच्चों में एंटीबॉडी डेवलप हो गई थी। इसका मतलब बिल्कुल स्पष्ट है कि स्कूल जाने वाले बच्चों में 60 फीसदी को तो कोरोना हो चुका है। तो बच्चों को लेकर बेवजह डरने की आवश्यकता नहीं है। हां, एहतियात जरूर लेना चाहिए वह चाहे बच्चे हों, किशोर हों या एडल्ट हो। रही बात तीसरी लहर की तो तो एक बात जान लीजिए, ज्यादा लापरवाहियां बहुत सारी लहरों को जन्म देती रहेंगी। इसलिए बेहतर है कि अभी भी मास्क लगाकर और शारीरिक दूरी बना कर रहा जाए। अगर जरूरी न हो तो बेवजह कहीं भी जाने से बचना चाहिए।

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