कोरोना का नया रूप बेहद जानलेवा साबित

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A woman wearing a protective mask walks past a wall graffiti creating awareness against COVID-19
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डेल्टा वैरिएंट युवाओं को बना रहा शिकार, अमेरिका से भारत को सबक लेना जरूरी
आज समाज डिजिटल, नई दिल्ली:
कोरोना का डेल्टा वैरिएंट अमेरिका में 50 वर्ष से कम उम्र के नौजवानों को तेजी से निशाना बना रहा है। अमेरिका का यह ट्रेंड अपने देश के लिए अलार्म है। कोरोना का नया रूप पिछली बार से एकदम उलट है, जिसमें कोरोना ने उम्रदराज मरीजों को ज्यादा निशाना बनाया था। दुनिया के सबसे ताकतवर देश के अस्पतालों में बड़ी संख्या में कोरोना के चलते गंभीर रूप से बीमार युवा भर्ती हो रहे हैं। इनमें खासतौर पर वो युवा शामिल हैं जिन्हें वैक्सीन नहीं लगी है।

डेल्टा वैरिएंट की हिस्सेदारी अमेरिका से ज्यादा

अमेरिका में कोरोना के नए केसों में डेल्टा वैरिएंट के 80% मामले हैं तो भारत में 87% हैं। इन दिनों अमेरिका के मुकाबले कोरोना धीमा पड़ गया है, लेकिन इन नए मामलों में डेल्टा वैरिएंट की हिस्सेदारी अमेरिका से ज्यादा है। वहीं, आबादी के हिसाब से भारत में वैक्सीन लगने की दर भी अमेरिका के मुकाबले काफी कम है। अमेरिका के कोविड हॉटस्पॉट में काम कर रहे डॉक्टरों का कहना है कि उनके अस्पतालों में पहुंच रहे मरीज पिछले साल की तरह नहीं है। इस बार ज्यादातर मरीजों को वैक्सीन नहीं लगी है और वो युवा हैं। कई की उम्र 20 से 30 साल के बीच है। साफ है कि अमेरिका हो या भारत जैसा बड़ी आबादी वाला देश, तेज वैक्सीनेशन ही डेल्टा वैरिएंट के कहर से युवाओं को बचा सकता है। इस वर्ष आ रहे युवा मरीज पिछले साल के युवा मरीजों के मुकाबले ज्यादा बीमार हैं और उनकी हालत तेजी से बिगड़ रही है।

इस बार 41% की उम्र के लोग शिकार

अमेरिका के सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल के अनुसार जनवरी के अंत तक अस्पतालों में भर्ती सभी मरीजों में आधे से ज्यादा 65 साल से ज्यादा उम्र के थे। वहीं 50 साल से कम उम्र के वयस्क मरीजों का हिस्सा 22% था। अब 65 साल से अधिक उम्र के मरीज करीब 25% हैं, जबकि 18 से 49 साल की उम्र वाले मरीज 41% थे।

युवाओं पर क्यों ज्यादा प्रभावी है कोरोना

स्प्रिंगफील्ड के कॉक्सहेल्थ में क्रिटिकल केयर के डायरेक्टर डॉ. टेरेंस कूल्टर का कहना है कि अस्पताल में भर्ती तमाम मरीजों को डायबिटीज, मोटापा और हाई ब्लडप्रेशर जैसी बीमारियां हैं, लेकिन तमाम युवा मरीजों में इनमें से कोई बीमारी नहीं। उनका कहना है, यह वास्तव में डराता है। यह वैरिएंट युवा स्वस्थ लोगों को मार रहा है। ऐसे कई मरीजों को ठीक होने में लंबा समय लग रहा है और कई के फेफड़े हमेशा के लिए खराब हो रहे हैं।

स्टडीज में डेल्टा बेहद जानलेवा साबित

विभिन्न देशों में हुई स्टडी से यह पता चला है कि डेल्टा वैरिएंट युवाओं को गंभीर रूप से बीमार करने की वजह हो सकती है, लेकिन अभी तक ऐसा कोई निश्चित डेटा सामने नहीं आया है जो कह सके डेल्टा वैरिएंट युवाओं के लिए खतरनाक है।

भारत: जोखिम में 45 से कम उम वाले भारत में आनलाइन पब्लिश हुई ऐसी ही एक स्टडी के मुताबिक दूसरी लहर के दौरान मरीजों की जान जाने की जोखिम बहुत ज्यादा थी, खासतौर पर जिनकी उम्र 45 साल से कम थी।

छोटी माता जैसा संक्रामक : पिछले दिनों सामने आए मरीजों के आंतरिक दस्तावेज में डेल्टा वैरिएंट को चिकनपॉक्स यानी छोटी माता की तरह संक्रामक बताते हुए उसे अल्फा या कोरोना के मूल वैरिएंट की तुलना में गंभीर रूप से बीमार करने वाला कहा गया था।

स्कॉटलैंड : भर्ती होने की दोगुनी जरूरत द लैंसेट में पब्लिश हुई स्कॉटलैंड की एक स्टडी के मुताबिक कोरोना के शुरूआती अल्फा वैरिएंट के मुकाबले डेल्टा वैरिएंट का शिकार होने पर मरीजों को अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत दोगुनी हो जाती है।

कनाडा : मौत की आंशका भी दोगुनी आनलाइन पोस्ट हो चुकी एक दूसरी रिसर्च में कनाडा के रिसर्चर्स का कहना है कि डेल्टा वैरिएंट के चलते अस्पताल में भर्ती होने के साथ मौत की आंशका भी दोगुनी हो जाती है।

सिंगापुर : द लैंसेट में पब्लिश होने वाली सिंगापुर की रिसर्च के मुताबिक डेल्टा वैरिएंट के मरीजों को आक्सीजन और इंटेंसिव केयर की जरूरत कई गुना बढ़ने के साथ मौत की भी आशंका बढ़ जाती है।