नई दिल्ली। कोरोना वायरस महामारी सेबचनेकेलिए अब टीकाकरण अभियान शुरू हो चुका है। भारत में शुरू हुआ टीकाकरण अभियान दुनिया को सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान होगा। आज इसका प्रारंभ पीएम मोदी ने किया। स्वास्थ्य मंत्रालय की जानकारी के अनुसार पहले दिन शनिवार को देश में कुल 191181 लोगों को कोरोना की वैक्सीन दी गई। देश मेंकोरोना की वैक्सीन सबसे पहले फ्रंट लाइन वर्करर्स को दी गई। जिन राज्यों में सबसे ज्यादा टीका लगाया उसमें उत्तर प्रदेश पहले नंबर है। इस महामारी ने पिछलेवर्षलाखों लोगों को अपनी चपेट में लिया। लाखों की जिंदगियां इस महामारी केकारण खत्म हो गर्इं। आर्थिक दृष्टि से भी इस महामारी ने बहुत बड़ी चोट पहुंचाई। दुनिया के कई बड़ेदेश भी अपने आपको इस महामारी के प्रकोप से खुद को नहीं बचा पाए। अब इसकी वैक्सीन आने केबाद उम्मीद है कि महामारी पर काबू पाया जा सकेगा और इसेसमाप्त भी किया जा सकेगा। कोरोना महामारी केकारण भारत में करीब एक करोड़ लोग संक्रमित हुए और 1.5 लाख लोगों की मौत भी इस बीमारी के कारण हुई।
अब भारत ने कोविशील्ड और कोवैक्सीन टीके के साथ महामारी को मात देने के लिए पहल की है। आज प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन मेंकहा कि विश्व केकईऐसेदेश हैंजिनकी आबादी भी तीन करोड़नहीं हैलेकिन हम अपने देश में पहलेचरण मेंही तीन करोड़लोगोंका टीकाकरण करने जा रहे हैं। स्वास्थ्य कर्मियों के साथ-साथ एम्स दिल्ली के निदेशक रणदीप गुलेरिया, नीति आयोग के सदस्य वीके पॉल, भाजपा सांसद महेश शर्मा और पश्चिम बंगाल के मंत्री निर्मल माजी उन लोगों में शामिल हैं जिन्हें टीके की पहली खुराक दी गई। पॉल कोविड-19 महामारी से निपटने के लिए चिकित्सा उपकरण एवं प्रबंधन को लेकर गठित अधिकार समूह के प्रमुख भी हैं। पीएम ने टीकाकरण के पहले ही जानकारी दी कि इस टीकेकेदो डोज लेने जरूरी हैऔर दोनों डोज में एक महीने का अंतर होना आवश्यक है।
उन्होंने आज नया मंत्र दिया ‘दवाईभी और कड़ाई भी ’ यानी प्रधानमंत्री ने कहा कि भलेही टीकाकरण आरंभ हो गया है लेकिन हमेंकड़ाईबनाकर रखनी है। सावधानी बनाकर रखनी है। उन्होंने लोगों को आश्वस्त करते हुए कहा कि वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों के ‘मेड इन इंडिया टीकों की सुरक्षा के प्रति आश्वस्त होने के बाद ही इसके उपयोग की अनुमति दी गई है। पीएम मोदी ने कहा कि टीका देश में कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में निर्णायक जीत सुनिश्चित करेगा। अपने संबोधन के दौरान प्रधानमंत्री उस वक्त भावुक हो गए जब उन्होंने कोरोना संक्रमण काल के दौरान लोगों को हुई तकलीफों, अपने प्रियजनों को खोने और यहां तक कि उनके अंतिम संस्कार तक में शामिल ना हो पाने के दर्द का जिक्र किया। रूंधे गले से प्रधानमंत्री ने महामारी के दौरान स्वास्थ्यकर्मियों और संक्रमण के जोखिम की आशंका वाले मोर्चे पर तैनात कर्मचारियों की कुर्बानियों को याद किया जिनमें से सैकड़ों की संक्रमण की वजह से मौत हो गई।