आज समाज डिजिटल, अम्बाला
Coriander Cultivation : भारत में धनिया की खेती मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, आंध्रप्रदेश और उत्तर प्रदेश राज्यों में की जाती है | इसके अंदर अनेक प्रकार के उपयोगी तत्व कैल्शियम, आयरन, फाइबर, विटामिन-ए, सी, कैरोटिन और कॉपर पाए जाते है | धनिया के दो बीज को रोज़ चबाकर खाना शुगर की बीमारी में लाभकारी होता है | यदि आप भी धनिया की खेती करना चाहते है तोआपको धनिया की खेती कैसे करें तथा धनिया की खेती से लाभ इसके बारे में बताया जा रहा है |
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बीज खुशबूदार और उच्च गुणवत्ता वाले
धनिया का पौधा शीतोष्ण जलवायु वाला होता है, इसलिए इसकी फसल शुष्क और ठण्ड जलवायु में की जाती है | धनिये के पौधों पर बीज आने के दौरान हल्की सर्दी की आवश्यकता होती है, इससे बीज खुशबूदार और उच्च गुणवत्ता वाले प्राप्त होते है, किन्तु सर्दियों में गिरने वाला पाला इसकी फसल को अधिक हानि पहुँचाता है | धनिये के पौधे अधिकतम 20 डिग्री तथा न्यूनतम 35 डिग्री तापमान को ही सहन कर सकते है|
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उत्तम बीज वाली किस्में
धनिया की इस किस्म में बीजो की गुणवत्ता काफी अच्छी पाई जाती है | इसके बीजो से सुगन्धित तेल की मात्रा भी अधिक पाई जाती है | इस तरह की धनिया के लिए आर सी आर 435, आरसीआर 684, और सिम्पो एस 33 किस्में तैयार की गई है |
पत्तीदार धनिया की किस्में
धनिया की इस किस्म को पत्तियों को उगाने के लिए तैयार किया गया है | इसमें पौधों में निकलने वाली पत्तियों का आकार काफी बड़ा पाया जाता है | इसमें ए सी आर 1, गुजरात धनिया- 2 और आर सी आर 728 आदि किस्में शामिल है |
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पत्ती और बीज दोनों की मिश्रित किस्में
धनिया की इस किस्म से बीज और पत्तियां दोनों ही अच्छी गुणवत्ता वाली प्राप्त हो जाती है | यह किस्म अधिक समय में तैयार होती है | इसके पत्तियों की कटाई आरम्भ में की जाती है, जिसके बाद उन पौधों पर बीज आने आरम्भ होते है | इसमें आर सी आर 446, पंत हरीतिमा, पूसा चयन- 360 और जे डी-1 आदि किस्में शामिल होती है |
जे डी-1 : धनिया की इस किस्म को तैयार होने में 120 से 130 दिन का समय लग जाता है | इसके पौधों में निकलने वाले दाने आकार में माध्यम और गोल होते है | यह किस्म सिंचित और असिंचित दोनों ही जगहों पर उगाई जाती है | इसके पौधे उकठा रोग रहित होते है, जिससे प्रति हेक्टेयर 14 से 16 क्विंटल की पैदावार प्राप्त हो जाती है |
आर सी आर 480 : इस किस्म के पौधों को पककर तैयार होने में 120 से 130 दिन का समय लग जाता है | धनिया की इस किस्म को केवल सिंचित जगहों पर उगाया जाता है, जिसमे निकलने वाले पौधों और दानो का आकार सामान्य होता है | इसके पौधों में उकठा, भभूतिया निरोधक और स्टेम गाल रोग नहीं देखने को मिलता है | यह किस्म प्रति हेक्टेयर के हिसाब से 12 से 14 क्विंटल की पैदावार दे देती है |
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धनिया के खेत की तैयारी और उवर्रक Coriander Cultivation
सबसे पहले खेती की अच्छी तरह से गहरी जुताई कर दी जाती है | इसके बाद खेत को ऐसे ही खुला छोड़ दे | पहली जुताई के बाद खेत में 8 से 10 गाड़ी पुरानी गोबर की खाद को देना होता है | इसके बाद एक बार फिर से खेत की जुताई कर दी जाती है | इससे खेत की मिट्टी में गोबर की खाद अच्छे से मिल जाती है | खाद को मिट्टी में मिलाने के बाद पानी लगाकर पलेव कर दिया जाता है | इसके बाद कुछ समय के लिए खेत को ऐसे ही खुला छोड़ दे | इसके बाद आखरी जुताई के समय खेत में जिंक सल्फेट, फास्फोरस, नाइट्रोजन और पोटाश की मात्रा को 2:2:2:1 के अनुपात से खेत में छिड़क देना चाहिए | इसके बाद खेत में रोटावेटर लगाकर खेत की दो से तीन तिरछी जुताई कर दी जाती है | इससे खेत की मिट्टी भुरभुरी हो जाती है, मिट्टी के भुरभुरा हो जाने के बाद पाटा लगाकर भूमि को समतल कर दे |
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