Haryana Assembly Election: हरियाणा में जाट चेहरों के टिकट काटेगी कांग्रेस

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हरियाणा में जाट चेहरों के टिकट काटेगी कांग्रेस
हरियाणा में जाट चेहरों के टिकट काटेगी कांग्रेस

जमानत जब्त, 2 बार हारे नेता बाहर होंगे, ब्राह्मण-पंजाबी समेत 4 जातियों का कोटा बढ़ेगा
Chnadigarh News (आज समाज) चंडीगढ़: हरियाणा कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव में टिकटों पर मंथन के बीच विधानसभा सीटों का गुणा-गणित तैयार कर लिया है। इस बार कांग्रेस बीजेपी को सत्ता से बाहर करने के लिए गैर जाट वोट बैंक पर ज्यादा फोकस करेगी। यही वजह है कि कांग्रेस इस बार टिकट आवंटन में जाट कोटे के चेहरों की टिकट भी काटेगी। इसके अलावा 2019 के विधानसभा चुनाव में जमानत नहीं बचा पाने वाले उम्मीदवार भी पैनल से बाहर किए जाएंगे। साथ ही ब्राह्मण, पंजाबी, वैश्य और राजपूत के टिकट कोटे में इजाफा करेगी। कांग्रेस ने 2019 के विधानसभा चुनाव में 27 हलकों में अपनी जमानत जब्त करवाई थी। इसके अलावा 15 प्रत्याशी ऐसे भी रहे हैं, जिन्होंने लगातार 2 हार अपने खाते में दर्ज करवा ली हैं। इनमें कई के नाम ये दोनों ही रिकॉर्ड दर्ज हैं।

इस कारण से कट सकते हैं जाट चेहरों की टिकट

कांग्रेस नेतृत्व लोकसभा चुनावों की तर्ज पर इस बार विधानसभा में भी सोशल इंजीनियरिंग के तहत टिकट देने के पक्ष में है। अगर इस तरह का निर्णय कांग्रेस ने लिया तो फिर प्रदेश में 2019 के मुकाबले इस बार जाट उम्मीदवारों की संख्या कम हो सकती है। आमतौर पर कांग्रेस 28 से 30 जाट नेताओं को टिकट देती रही है। लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस चार जाट उम्मीदवार उतारती रही है लेकिन इस बार के चुनावों में दो ही जाट नेताओं को टिकट मिली। रोहतक से दीपेंद्र हुड्डा और हिसार से जयप्रकाश ह्यजेपीह्ण को टिकट मिली। दोनों ही चुनाव जीतने में भी कामयाब रहे। प्रदेश में विधानसभा की नब्बे सीटों में से 17 अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं।

सिटिंग-गैटिंग फॉमूर्ला नहीं चलेगा

हरियाणा कांग्रेस में आमतौर पर मौजूदा विधायकों को लेकर सिटिंग-गैटिंग का फार्मूला लागू होता रहा है। इसके तहत मौजूदा विधायकों और बड़े चेहरों के नेताओं के प्रिय नेताओं को टिकट मिल जाती थी। इस फार्मूले से हमेशा से ही पार्टी को नुकसान हुआ है, दस सालों से इस कारण से पार्टी प्रदेश की सत्ता से बाहर है। इस कारण से इस फार्मूले से भी पार्टी तौबा करेगी। अगर ऐसा होता है तो पार्टी के मौजूदा 28 विधायकों में से 8 से 10 की टिकट कट भी सकती है।

73 सीटों पर कर रही फोकस

कांग्रेस 73 सीटों को लेकर अपना गणित सैट करने में जुटी है। अभी तक के मंथन में ये बात सामने आई है कि पिछड़ा वर्ग-बी के अलावा बीसी-ए के अंतर्गत आने वाली जातियों को इस बार टिकट आवंटन में पहले से अधिक तवज्जो मिल सकती है। इसके लिए ब्राह्मण, पंजाबी, वैश्य और राजूपत कोटे में इजाफा संभव है। रोड़ के अलावा सिख कोटे में भी इस बार बढ़ोतरी संभव है। कांग्रेस पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने इस बात की पुष्टि की है कि पार्टी नेतृत्व व हरियाणा इकाई सोशल इंजीनियरिंग के फामूर्ले पर काफी गंभीरता से मंथन कर रही है।

सैलजा-सुरजेवाला गुट भी एक्टिव

कांग्रेस में अभी दो गुट एक्टिव हैं। एक गुट भूपेंद्र हुड्?डा तो दूसरा कुमारी सैलजा व रणदीप सिंह सुरजेवाला का है। दोनों अपने समर्थकों के टिकट के लिए लॉबिंग कर रहे हैं। उन्हें अपने नेताओं पर ह्यविश्वासह्ण है कि वे टिकट के लिए उनकी पूरी मदद करेंगे। 2019 के लोकसभा चुनावों में भी कांग्रेस के टिकट आवंटन में कोटा सिस्टम चला था। उस समय प्रदेशाध्यक्ष रहे अशोक तंवर के समर्थकों को टिकट नहीं मिलने के चलते तंवर ने पार्टी छोड़ दी थी। हालांकि सैलजा व रणदीप अपने समर्थकों को टिकट दिलवाने में सफल रहे थे। हालांकि इस बार कोटा सिस्टम की बजाय मैरिट पर टिकट देने की बात नेतृत्व की ओर से की जा रही है।

लोकसभा चुनाव में हुड्डा का रहा पलड़ा भारी

लोकसभा चुनावों में टिकट आवंटन में पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा का पलड़ा भारी था। पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा की सिरसा सीट को छोड़कर बाकी संसदीय सीटों पर हुड्डा की पसंद से ही टिकट मिली थी। रोहतक से दीपेंद्र हुड्डा की टिकट तय थी। वहीं फरीदाबाद में महेंद्र प्रताप सिंह, गुरुग्राम में राज बब्बर, भिवानी-महेंद्रगढ़ में राव दान सिंह, हिसार में जयप्रकाश ह्यजेपीह्ण, सोनीपत में सतपाल ब्रह्मचारी, करनाल में दिव्यांशु बुद्धिराजा और अंबाला में वरुण चौधरी को टिकट दिलवाने में हुड्डा कामयाब रहे थे।

टिकट आवंटन अपने हाथ में ले चुका हाईकमान

कांग्रेस में टिकट आवंटन को लेकर पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्?डा और सांसद कुमारी सैलजा के बीच खींचतान जारी है। यह नजारा कांग्रेस की दिल्ली में हुई स्क्रीनिंग कमेटी में भी दिखा। इसकी वजह से कांग्रेस हाईकमान ने टिकट आवंटन का काम अपने हाथ में ले लिया। स्क्रीनिंग कमेटी चेयरमैन अजय माकन को कहा गया कि हरियाणा की सभी 90 सीटों पर अपनी अलग कमेटी बनाकर दावेदारों के बारे में पड़ताल करें। इसकी रिपोर्ट स्क्रीनिंग कमेटी से सीधे राहुल गांधी और राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को सौंपी जाएगी।