कहा, कांग्रेस अमीरों की पार्टी, इन्हें आम लोगों की समस्याओं से कोई लेना-देना नहीं
Punjab News (आज समाज), चंडीगढ़ : पंजाब के वित्त मंत्री एडवोकेट हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि कांग्रेस पार्टी अमीरों की पार्टी है इसलिए इसने राज्य के आम लोगों के लिए आवश्यक जन स्वास्थ्य सेवाओं पर कभी कोई ध्यान नहीं दिया। उन्होंने कहा कि इसी प्रकार से कांग्रेस पार्टी द्वारा हमेशा लोकतंत्र की मूल इकाइयों पंचायत राज संस्थाओं और शहरी स्थानीय संस्थाओं को भी कमजोर किया गया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी द्वारा वर्ष 2017 से 2022 तक इन संस्थाओं में आवश्यक भर्तियां न करके जहां इन विभागों की सेवाओं को प्रभावित किया, वहीं हजारों युवाओं को रोजगार से वंचित रखा।
कांग्रेस ने इस तरह किया लोगों से धोखा
वित्त मंत्री ने एक रिपोर्ट में जारी तथ्यों को साझा करते हुए कहा कि वित्तीय वर्ष 2016-17 से 2021-22 की सीमा के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे और स्वास्थ्य सेवाओं के प्रबंधन के प्रदर्शन आॅडिट पर भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट के मुख्य नतीजों में, स्वीकृत स्वास्थ्य पदों में 50.69 प्रतिशत खाली पदों की दर शामिल है, जबकि निदेशक चिकित्सा शिक्षा और अनुसंधान में 59.19 फीसदी पद खाली रहे। रिपोर्ट में स्वास्थ्य संस्थाओं की अपर्याप्त उपलब्धता, अपर्याप्त बिस्तरों और आवश्यक दवाइयों तथा उपकरणों की कमी को भी उजागर किया गया है। जन स्वास्थ्य सुविधाओं में संस्थागत जन्म दर कम रही, जबकि निजी अस्पतालों में इसके विपरीत वृद्धि देखी गई।
लोगों को नहीं मिल पाई जरूरी स्वास्थ्य सुविधाएं
इसके अलावा रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि स्टाफ और साजो-सामान की कमी के कारण बहुत सारी स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध नहीं करवायी जा सकीं, और न ही बुनियादी ढांचे का पूरी तरह से उपयोग किया जा सका। मानव शक्ति के अनुपयुक्त वितरण के कारण प्रति डॉक्टर मरीजों की संख्या बराबर नहीं रही और विभिन्न जिलों में आबादी-डॉक्टर अनुपात में बहुत भिन्नता रही। रिपोर्ट के अनुसार स्वास्थ्य सेवाओं पर राज्य सरकार का खर्चा लक्ष्य से कम पाया गया। राज्य सरकार द्वारा आवंटित बजट में से 6.5 फीसदी से 20.74 फीसदी तक के फंडों का उपयोग नहीं किया गया।
राज्य सरकार 2021-22 के दौरान स्वास्थ्य सेवाओं पर अपने कुल खर्च का सिर्फ 3.11 प्रतिशत और जीडीपी का 0.68 प्रतिशत खर्च कर सकी, जोकि राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति (एन.एच.पी) 2017 के तहत लक्ष्य के बजट के 8 प्रतिशत और जीडीपी के 2.50 प्रतिशत से बहुत कम था। अनुप्रयुक्त सरकारी फंडों की मात्रा। इसके अलावा रिपोर्ट में राज्य स्तरीय कार्यक्रम लागूकरण योजनाओं को पेश करने में देरी और बड़ी मात्रा में अनुप्रयुक्त सरकारी फंडों को उजागर करती है।
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