Maharashtra Elections, अजीत मेंदोला, (आज समाज), नई दिल्ली: सत्ता पाने की चाहत में क्या क्या करना पड़ता है। करते सभी दल हैं, लेकिन कुछ समय से कांग्रेस जिस रास्ते पर चल पड़ी वह हैरान करता है। लोकसभा चुनाव में तो किया ही किया अब विधानसभा चुनाव बहुत कुछ की तिलांजलि देनी पड़ रही है। महाराष्ट्र में तो स्थिति यह हो गई है कि कांग्रेसियों ने अपनी नेता सोनिया गांधी को तो पूरी तरह भुला दिया, उन बाला साहेब ठाकरे को अपना नेता मान लिया जिन्होंने हमेशा कांग्रेस की खिलाफत कर उन्हें हाशिए पर लगाया।
राजनीति में पोस्टर बाजी बैनर बाजी से बहुत कुछ संदेश दिया जाता है। किसका फोटो कहां पर लगा है,किस साइज का है,जगह नहीं दी आदि चर्चा होती है।एक भी फोटो ऊपर नीचे हो गया तो खबर बनती है। हुआ यूं मुंबई में महाविकास अगाड़ी का घोषणा पत्र की तरह मुंबई नामा जारी किया गया। उसमें जो पोस्टर बाजी हुई उसमें बाल साहेब अलग और प्रमुखता से दिखाए गए बाकी नेताओं का साइज उनसे छोटा करा गया था। सोनिया गांधी पूरी तरह से गायब थी। खैर कांग्रेस इतनी मजबूत हो गई है कि करे तो क्या करे। अकेले लड़ने की हिम्मत कांग्रेस में अब कम होती जा रही है।
कांग्रेस ने जब उद्धव ठाकरे की शिवसेना से गठबंधन किया तो बड़ी हैरानी हुई। शिवसेना और बीजेपी की विचारधारा लगभग एक ही है। दोनो हिंदुत्व की राजनीति से उपजे हैं। शिवसेना के संस्थापक बाला साहेब ठाकरे को राजनीति में सफलता इसी लिए मिली कि उन्होंने कट्टर हिंदुत्व की राजनीति कर मुंबई और पूरे महाराष्ट्र को माफिया से बचाया। हिंदुत्व विचारधार थी इसीलिए बाला साहेब की बीजेपी से पटरी बैठी। लेकिन उनके बेटे उद्धव ठाकरे ने सत्ता के लिए अपनी विचारधार को त्याग दिया।
उद्धव की पार्टी रीजनल है वह सत्ता की खातिर कुछ भी कर सकती है। लेकिन हैरानी कांग्रेस को लेकर है। खास तौर पर राहुल गांधी पर। राहुल संघ की विचारधारा से नफरत करते हैं ,जग जाहिर है। उन्होंने अपने चचेरे भाई वरुण गांधी को पार्टी में लेने से इसलिए इनकार कर दिया था कि क्योंकि उनका मानना है कि वह संघ से जुड़े हैं।राहुल ने साफ कहा था कि वरुण की विचारधारा संघ की इसलिए उन्हें कांग्रेस में नहीं ले सकते। राहुल का यह माप दंड समझ में नहीं आया।क्योंकि उद्धव ठाकरे जो कट्टर हिंदुत्व की विचारधारा से जन्मे हैं उनके साथ हाथ मिलाने में कोई संकोच नहीं किया।
स्थिति यह है कि महाराष्ट्र चुनाव में कांग्रेस पूरी तरह से उद्धव के दबाव में दिख रही है। सीट बंटवारे से लेकर चुनाव प्रचार में ऐसा लग रहा है कि कांग्रेस जूनियर पार्टी है।कांग्रेस के नेताओं की स्थिति यह है कि वह केवल अपनी नौकरी बचाने के चक्कर में लगे हैं। पार्टी की चिंता कोई नहीं कर रहा है,क्योंकि उन्हें लग रहा है कहें तो किसे कहें।देशभर से कांग्रेस के जितने नेता महाराष्ट्र ड्यूटी पर गए हैं पार्टी की हालत को लेकर चिन्तित है। चिंता इस बात की भी है कि राहुल जिन ठाकरे पर भरोसा कर रहे हैं कल वह साथ रहेंगे इस पर संशय है। क्योंकि अभी तक कांग्रेस को अपनों से ज्यादा गैरों ने ही धोखा दिया है।
कांग्रेस दिल्ली में आम आदमी पार्टी की 50 दिन के लिए सरकार नहीं बनाती तो आज पंजाब और दिल्ली में कांग्रेस का अस्तित्व बचा रहता है। एक बार गलती करके भी कांग्रेस ने कोई सीख नहीं ली।लोकसभा चुनाव में फिर गठबंधन कर केजरीवाल पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों में भागीदार बन गई।अब अलग हुई तो देर हो गई।
हालांकि बीजेपी अपने तरीके से आपरेशन में जुट गई है। दिल्ली में एक वरिष्ठ मंत्री कैलाश गहलोत पर तो बीजेपी ने सेंध लगा दी है। खबरें हैं कि चुनाव घोषित होने तक आधी आम आदमी पार्टी के बड़े नेता बीजेपी में शामिल हो सकते हैं।कांग्रेस को समझना होगा कि सत्ता पाने और बीजेपी को रोकने के लिए बेमेल गठबंधन से नुकसान ज्यादा है फायदा कम। महाराष्ट्र में 23 नवंबर को पता चलेगा कि राहुल गांधी ने गठबंधन कर सही फैसला किया या गलत।
यह भी पढ़ें : Maharashtra Elections: चुनाव आयोग ने शरद पवार का हेलिकॉप्टर और बैग चेक किया
Congress Politics, अजीत मेंदोला, (आज समाज), नई दिल्ली: कांग्रेस के सर्वोच्च नेता राहुल गांधी ने…
BJP National President, अजीत मेंदोला, (आज समाज), नई दिल्ली: प्रदेशों के चुनाव समय पर पूरे…
करनाल का रहने वाला था सुनील Panipat News (आज समाज) पानीपत: जिले के गांव में…
31 मार्च तक बनाए जाएंगे सदस्य Akhil Bhartiya Bishnoi Mahasabha Election (आज समाज) हिसार: अखिल…
SWAMITVA Yojna, (आज समाज), नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वामित्व योजना के तहत आज 65 लाख…
सिंचाई विभाग की इस लापरवाही से किसानों में भारी रोष Sonipat News (आज समाज) सोनीपत:…