लगातार तीसरी बार खाता नहीं खोल पाई पार्टी, 65 सीटों पर जमानत जब्त
Delhi Political News (आज समाज), नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा चुनाव के परिणाम सामने आ गए हैं। इस बार भाजपा ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 27 साल बाद सत्ता में वापसी की है। वहीं आम आदमी पार्टी 12 साल बाद सत्ता से बाहर हो गई है। इस चुनाव के बाद एक प्रश्न सभी को काफी ज्यादा हैरान कर रहा है और वह है दिल्ली की राजनीति में कांग्रेस का लगातार कमजोर होेते जाना। यह लगातार तीसरा विधानसभा चुनाव है जब पार्टी के प्रत्याशी किसी भी सीट पर जीत दर्ज करने विफल रहे हैं।
इस बार तो 70 में से 65 सीट पर कांग्रेस प्रत्याशियों की जमानत तक जब्त हो गई। यह वहीं कांग्रेस पार्टी है जिसने 1998 से 2013 तक मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के नेतृत्व में 15 वर्षों तक दिल्ली पर शासन किया। हालांकि पिछले तीन चुनावों में आश्चर्यजनक रूप से दिल्ली विधानसभा में एक भी सीट जीतने में विफल रही है।
हम नतीजों पर आत्मनिरीक्षण करेंगे : शर्मा
एआईसीसी पदाधिकारी आलोक शर्मा ने कहा कि हम निश्चित रूप से दिल्ली के नतीजों पर आत्मनिरीक्षण करेंगे कि 15 साल तक दिल्ली पर शासन करने के बाद हम एक भी सीट जीतने में असफल क्यों रहे। कांग्रेस के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार पार्टी दिल्ली में तीसरे स्थान पर थी, लेकिन उसे एहसास हो गया था कि आप ने भाजपा से ज्यादा नुकसान पहुंचाया है। यही कारण था कि राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और पार्टी प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे सहित कांग्रेस के सभी शीर्ष नेता प्रचार के अंतिम चरण में केजरीवाल पर हमला करने के लिए सामने आए। कांग्रेस का अभियान अनेक मुफ्त योजनाओं का मिश्रण था, जिसका ध्यान अल्पसंख्यक और दलित वोट बैंकों पर केंद्रित था।
पार्टी ने दो बार से लगातार जीत न मिलने के अपने दुर्भाग्य को खत्म करने के लिए रणनीतिक कदम उठाते हुए नई दिल्ली सीट पर केजरीवाल के खिलाफ शीला दीक्षित के बेटे संदीप दीक्षित और कालकाजी सीट पर महिला कांग्रेस प्रमुख अलका लांबा जैसे वरिष्ठ नेताओं को मैदान में उतारा। लेकिन कुछ भी कारगर साबित नहीं हुआ। शर्मा ने कहा कि दिल्ली चुनाव एक तरह से द्विध्रुवीय हो गया। भाजपा ने प्रधानमंत्री मोदी के चेहरे पर दांव लगाया, जबकि आप ने केजरीवाल की छवि पर दांव लगाया। कांग्रेस के पास केवल वादे थे, जो लोगों से जुड़ने की कमी के कारण पूरे नहीं हुए।
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