Maharashtra Congress Defeat, अजीत मेंदोला, (आज समाज), नई दिल्ली: महाराष्ट्र की हार के बाद कांग्रेस आलाकमान हरियाणा में किए जाने वाले बड़े फेरबदल को लेकर दुविधा में फंस गया है। आलाकमान महाराष्ट्र में जीत तय मान हरियाणा में एक दम नई टीम घोषित करने की तैयारी में था। सूत्रों का यहां तक कहना है कि कांग्रेस इस तरह का संदेश देने की तैयारी में थी कि वह किसी के दबाव में नहीं है। नया प्रभारी, नया अध्यक्ष और नया विधायक दल नेता सब घोषित होना था।
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हुड्डा परिवार से अलग हट नियुक्तियां होनी थी नियुक्तियां
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा परिवार से अलग हट नियुक्तियां होनी थी। लेकिन महाराष्ट्र ने खेल बिगाड़ दिया। हार के कारणों का पता लगाने के लिए गठित दो सदस्य टीम की रिपोर्ट पर भी अब संशय है। हरियाणा की हार के लिए पार्टी ने छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम भूपेश बघेल की अगुवाई में दो सदस्यीय कमेटी गठित की थी। इसमें दूसरे सदस्य हरीश चौधरी है। कमेटी अपनी रिपोर्ट तैयार करती कि इसी बीच महाराष्ट्र में भी हरियाणा जैसा रिजल्ट आ गया। मतलब पार्टी हार गई जबकि जीत की पूरी उम्मीद लगाए हुए थे। दोनों राज्यों में कमोवेश एक जैसी स्थिति बनी। हरियाणा में पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा की मनमानी के चलते पार्टी जीता हुआ चुनाव हार गई।
उद्धव ठाकरे की जिद के चलते हार
महाराष्ट्र में यूबीटी के नेता उद्धव ठाकरे की जिद के चलते हार हो गई। महाराष्ट्र के अधिकांश कांग्रेसी नेता ठाकरे से अलग हो चुनाव लड़ने के पक्ष में थे।लेकिन राहुल गांधी ने किसी की नहीं सुनी।इसी तरह हरियाणा में राहुल गांधी पूरी तरह से हुड्डा पर निर्भर हो गए जिसके चलते बाकी नेता नाराज हो गए।हरियाणा को लेकर ऐसा माहौल बना दिया गया कि कुछ भी कर लो जीत तय है।जबकि चुनाव प्रचार के दौरान लगने लगा था कि कांग्रेसी खुद एक दूसरे को हरा रहे हैं।
हरियाणा का अगला पिछला सारा रिकार्ड जुटाने को कहा
खैर परिणामों के बाद बहुत हाय तोबा मची तो राहुल ने संगठन महासचिव के सी वेणुगोपाल से हरियाणा का अगला पिछला सारा रिकार्ड जुटाने को कहा। जिससे यह पता चल सके कब कब क्या क्या हुआ।पार्टी हुड्डा को पूरी तरह से साइड करने के मूड में थी।अब यह कहना कि पार्टी हरियाणा को लेकर अब कोई बड़ा फैसला जल्द करेगी लगता नहीं है।हरियाणा ऐसा राज्य है जिसने बीते पांच साल कई प्रभारी देखे,लेकिन कोई जिला स्तर तक संगठन तैयार नहीं कर पाया।
चुनाव के समय गुजरात के दीपक बाबरिया को जिम्मेदारी दी गई,उन्होंने मध्यप्रदेश की तरह ही प्रमुख नेता पर ही फोकस रखा।मध्यप्रदेश में बावरिया ने वही किया जो कमलनाथ ने कहा और हरियाणा में भी वही किया जो भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा।दोनों जगह राहुल को जीत तय दिखती थी,दोनों में हार हुई।हार के बाद बावरिया इस्तीफे की पेशकश करते हैं।लेकिन फिर कहीं ना कहीं के प्रभारी बन जाते हैं।
हरियाणा की हार के बाद बावरिया गायब
हरियाणा की हार के बाद बावरिया गायब है। दिल्ली का प्रभार उनसे वापस ले लिया गया,लेकिन हरियाणा अभी बना हुआ है।शुक्रवार को एक बार फिर कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक होनी है।हरियाणा और महाराष्ट्र को लेकर चर्चा होगी महज औपचारिकता वाली।गांधी परिवार पर कोई सवाल न उठाए प्रियंका गांधी को बधाई देने की होड़ मचेगी।इसके बाद संविधान के मामले को आगे बढ़ाने के लिए संविधान रक्षक दिवस को कैसे देशव्यापी हो उस पर फैसला होगा।राज्यों से अभियान चलाने के निर्देश पहले ही दे दिए गए हैं।जैसे तैसे हार से ध्यान हटे।
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