Haryana Exit Poll: हरियाणा में दस साल बाद कांग्रेस की सरकार

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हरियाणा में दस साल बाद कांग्रेस की सरकार
Haryana Exit Poll: हरियाणा में दस साल बाद कांग्रेस की सरकार

अलग-अलग एजेंसियों के एग्जिट पोल में कांग्रेस को बहुमत
Chandigarh News (आज समाज) चंडीगढ़: हरियाणा विधानसभा चुनाव को लेकर कल यानि की 5 अक्टूबर को वोटिंग हो गई। छिटपुट हिंसा के बीच हरियाणा में 66.96 प्रतिशत मतदान हुआ। पिछली बार की तुलना में अबकी बार मतदान प्रतिशत में गिरावट आई। 2019 में 68.20 प्रतिशत मतदान हुआ था। अबकी बार मतदान प्रतिशत 1.24 अंक की गिरावट आई है। अब की बार गांव के मुकाबले शहरों में कम मतदान हुआ है। हिसार, सिरसा, फतेहाबाद में सबसे अधिक 72.51 प्रतिशत मतदान हुआ। भारतीय चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार फरीदाबाद में सबसे ज्यादा 74.51 प्रतिशत मतदान हुआ है और पंचकूला में सबसे कम 54.71 फीसदी वोट डाले गए हैं। नूंह-मेवात में 72.83 प्रतिशत मतदान हुआ है। रोहतक, सोनीपत, झज्जर, जींद, भिवानी, चरखी दादरी में 66.85% मतदान हुआ। पंचकूला, अम्बाला, कुरुक्षेत्र, यमुनानगर, करनाल, पानीपत, कैथल में इस बार 67.70% मतदान हुआ। रेवाड़ी, गुरुग्राम, महेंद्रगढ़, नूंह, पलवल, फरीदाबाद में इस बार 66% मतदान हुआ।

मतदान संपन्न होने के बाद देर सांय आए अलग-अलग एजेंसियों के एग्जिट पोल ने प्रदेश में बदलाव की लहर को मानते हुए कांग्रेस को पूर्ण बहुमत मिलने के आसार जताए है। एग्जिट पोल का अनुमान कितना सही है और कितना गलत यह तो आने वाली आठ अक्टूबर को ही पता चलेगा। लेकिन इन एग्जिट पोल ने कांग्रेस को संजीवनी बूटी देने का काम किया है। क्योंकि कांग्रेस पिछले 10 साल से सत्ता से बाहर थी। इस चुनाव में भी ऐसा ही लग रहा था कि कहीं कांग्रेस की आपसी गुटबाजी पार्टी की नांव न डूबो दे। लेकिन इन एग्जिट पोल के आंकडों ने हरियाणा में पूर्ण बहुमत से कांग्रेस की सरकार बनने का अनुमान जताकर भाजपा की टेंशन को बढ़ा दिया है।

भाजपा का हैट्रिक लगा पाना मुश्किल

प्रदेश में तीसरी बार सरकार बनाने का दावा करने वाली भाजपा के लिए इस बार हैट्रिक लगा पाना मुश्किल है। जितने भी एग्जिट पोल आए है उनमें भाजपा बहुमत से बहुत दूर है। अगर यह आंकडे सही साबित हुए तो भाजपा के लिए बहुमत जुटा पाना नामुमकिन है। एग्जिट पोल के आंकडों के अनुसार भाजपा 18 से 29 सीटों तक सिमटती नजर आ रही है।

किसानों की नाराजगी पड़ी भारी

एग्जिट पोल के आंकडों से यही लगता है कि तीन कृषि कानूनों को लेकर किसानों द्वारा किया गया आंदोलन और उस दौरान हुई हिंसा से भाजपा के प्रति किसानों का बढ़ गया था। लोकसभा चुनाव में भी भाजपा को नुकसान उठाना पड़ा था। लगता है उस दौरान भाजपा के प्रति किसानों के मन में पैदा हुई की नाराजगी का असर विधानसभा चुनाव में पड़ा है। इसी कारण इस बार भाजपा के लिए बहुमत जुटा पाना मुश्किल है।

नहीं चला ओबीसी कार्ड

भाजपा ने लोकसभा चुनाव से पहले मनोहर लाल खट्टर को मुख्यमंत्री के पद से हटाकर ओबीसी समाज से आने वाले नायब सैनी को सीएम बनाकर ओबीसी वोट बैंक पर पकड़ मजबूत करनी चाही थी। लेकिन कल हुई वोटिंग के बाद जारी एग्जिट पोल ने भाजपा के ओबीसी कार्ड को फेल साबित कर दिया। क्योंकि नायब सैनी को भी मुख्यमंत्री के तौर पर काम करने के लिए ज्यादा वक्त नहीं मिला। सैनी सिर्फ घोषणाएं करने तक सीमित रहे।

भाजपा के प्रति जाटों की नाराजगी

भाजपा के पहले कार्यकाल में हुए जाट आंदोलन व दूसरे कार्यकाल में किसान आंदोलन के कारण हरियाणा का जाट वर्ग भाजपा से नाराज चल रहा था। 2019 के चुनाव में भी भाजपा के बड़े जाट नेताओं को विधानसभा चुनाव में हार का मुंह देखना पड़ा था। इस चुनाव में भी जाट वर्ग भाजपा के शासन से मुक्ति पाना चाहता था। यहीं कारण है कि जाटों की नाराजगी भी भाजपा पर भारी पड़ने वाली है।

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