Playing On Front Not Good For Congress, (अजीत मेंदोला) (आज समाज), नई दिल्ली:18 वीं लोकसभा के शुरूआती सत्र में कांग्रेस ने फ्रंट फुट पर खेल वाहवाही तो लूट ली, लेकिन आगे यह महंगा पड़ सकता है।कांग्रेस ने बीजेपी और संघ पर हमला कर उन्हें फिर से हिंदुत्व की राजनीति करने के लिए उकसा दिया है। पहली बार 20 साल में अपने राजनीतिक कैरियर के 5.0 की शुरूआत में राहुल गांधी ने प्रतिपक्ष का नेता बन संवैधानिक जिम्मेदारी संभाली तो लगा कि कुछ बदलाव देखने को मिलेगा।लेकिन वह 99 सीट जीतने के बाद ऐसी आक्रमक राजनीति कर रहे हैं जैसे कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बस जल्दी ही पद से हटा देंगे।
राहुल ने अग्निवीर जैसी योजना पर बोल सेना को भी घसीट लिया
चुनाव प्रचार तक तो बात ठीक थी,लेकिन सदन के अंदर भी उनके चुनावी भाषण जारी रहे। चुनाव जीतने के लिए जिस तरह का हथकंडा अपनाया जाता है ठीक उसी तरह राहुल ने प्रतिपक्ष के नेता के रूप में अपना पहला भाषण दिया। जोश में दिए भाषण में उन्होंने अग्निवीर जैसी योजना पर बोल सेना को भी घसीट लिया।इस पर सेना को सामने आ कर बोलना पड़ा कि शहीद को मुहावजा दिया जा चुका है।इसके साथ राहुल ने हिंदुओं पर सीधे हमले के बजाए भाजपा और संघ पर हिंसक राजनीति का आरोप लगा हिंदुत्व की राजनीति को गर्मा गलत गेंद खेल दी।क्योंकि संविधान की राजनीति कांग्रेस के लिए खुद भारी पड़ गई।
बीजेपी को सांप्रदायिकता और ध्रुवीकरण की राजनीति का मौका दिया
कांग्रेस ने हिंसा का आरोप लगा बीजेपी को सांप्रदायिकता और ध्रुवीकरण की राजनीति का मौका दे दिया है। बीजेपी ने लोकसभा चुनाव में ध्रुवीकरण और हिंदुत्व की राजनीति को एक तरह से छोड़ दिया था।लेकिन बीजेपी अब फिर से हिंदुत्व की राजनीति को धार देगी।आने वाले चुनाव में इसका असर दिखेगा भी। राहुल के पीएम मोदी को लेकर की जाने वाली बयानबाजी का राज्यों के नेताओं पर भी असर पड़ता दिखा है।राजस्थान में प्रतिपक्ष के नेता टीकाराम जूली ने विधानसभा में राम रावण जैसी विवादास्पद टिप्पणी कर पीएम मोदी पर निशाना साध एक तरह से अपने आलाकमान को खुश करने की कोशिश की है।लेकिन जूली भूल गए कि पिछले साल विधानसभा का चुनाव भाजपा ने कांग्रेस के गैर हिंदू फैसलों को मुद्दा बना ध्रुवीकरण की राजनीति से जीता था।
आरक्षण खत्म करने को मुद्दा बनाने में सफल रहा विपक्ष
यह ठीक बात है कि विपक्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 400 पार के नारे को संविधान बदलने से जोड़ आरक्षण खत्म करने को मुद्दा बनाने में सफल रहा। जिसके चलते अयोध्या का मुद्दा गायब हो गया। आरक्षण का विपक्ष को कुछ राज्यों में लाभ भी मिला।लेकिन विपक्ष से ज्यादा आरक्षण के दम पर अवसर पाने वाले अफसरों की लाबी ने आरक्षण खत्म करने का अंदर ही अंदर प्रचार ज्यादा किया। चुनाव परिणामों के बाद कांग्रेस मान रही है कि उसकी जीत हुई है और बीजेपी की हार।यह ठीक बात है कि बीजेपी अपने दम पर बहुमत के जादुई आंकड़े से 32 सीट पीछे रह गई।लेकिन चुनाव पूर्व राजग गठबंधन 293 सीट लाने में सफल रहा।लेकिन कांग्रेस का व्यवहार हैरान करने वाला रहा।
पहले सत्र में ही राजग सरकार को अस्थिर करने में जुटी कांग्रेस
18 वीं लोकसभा के पहले सत्र में ही कांग्रेस विपक्ष के साथ मिल राजग सरकार को अस्थिर करने में जुट गई। संविधान के बहाने जाति की राजनीति को बढ़ावा देने में जुटी कांग्रेस को पहला झटका राष्ट्रपति के अभिभाषण से लगा।राष्ट्रपति ने आपातकाल का जिक्र कर उसे संविधान पर सबसे बड़ा हमला बता दिया।उसके बाद स्पीकर ने आपातकाल की निंदा कर कांग्रेस की परेशानी बढ़ा दी।फिर जब अभिभाषण पर चर्चा हुई तो राहुल गांधी को लोकसभा में दूसरी लाइन लेनी पड़ी।संविधान के बजाए राहुल हिंदुत्व पर बीजेपी को घेरने लगे।
जोश में दिया भाषण सुनने में तो अच्छा लगा लेकिन…
90 मिनट के भाषण में राहुल ने बीते दस साल में उन पर उनकी पार्टी पर जो हमले हुए उनका जवाब दूसरे तरह के मुद्दों को लेकर दिया। जोश में दिया भाषण सुनने में तो अच्छा लगा लेकिन वह बहुत कुछ ऐसा बोल गए जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा ने पकड़ कांग्रेस और गांधी परिवार को निशाने पर ले लिया। राहुल गांधी और कांग्रेस ने ऐसी परंपराओं को जन्म दे दिया जो उनके लिए भी आने वाले समय में भारी पड़ेंगे।
सत्ता पक्ष अब आने वाले सत्रों में राहुल को शायद ही बोलने देगा
लोकसभा में सदन के नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को नहीं बोलने देना। प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी संभाल रहे राहुल गांधी का खुद ही हंगामा करने वालों का नेतृत्व करना। लोकसभा के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ जब प्रतिपक्ष के नेता ने सदन के नेता के भाषण के पूरे समय व्यवधान डाला। सत्ता पक्ष अब आने वाले सत्रों में राहुल को शायद ही बोलने देगा।इसी तरह राज्यसभा में प्रतिपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने किया। पीएम मोदी के भाषण के समय वह विपक्ष को साथ ले सदन से बाहर चले गए।प्रधानमंत्री मोदी और बीजेपी ने कांग्रेस शासन में संविधान में कितनी बार छेड़छाड़ हुई गिनवा दिया।
दंगे और हिंसा के मामले खोलेगी बीजेपी
अभी हिंसा को लेकर मामले खोले नहीं गए हैं।निश्चित तौर पर बीजेपी अब दंगों और हिंसा के मामले खोलेगी।पिछले साल राजस्थान का चुनाव बीजेपी ने कांग्रेस शासन के समय हुई हिंसा मुद्दा बना चुनाव जीता। अब जब राहुल गांधी ने हिंसा की बात छेड़ी है तो बीजेपी उत्तर प्रदेश,गुजरात,बिहार,बंगाल,राजस्थान, ,दिल्ली के 84 के दंगों को अब खुल कर उठाएगी।बीजेपी अगर फिर से साम्प्रदायिक और ध्रुवीकरण की राजनीति की तरफ बढ़ी तो फिर विपक्ष की ही परेशानी बढ़ेगी।
अब जिन राज्यों में चुनाव होने हैं जैसे हरियाणा, महाराष्ट्र और झारखंड तो बीजेपी ध्रुवीकरण की राजनीति से पीछे नहीं हटेगी।देखना होगा कि कांग्रेस और विपक्ष क्या आरक्षण और संविधान संकट के मुद्दे अभी जारी रखेगा। क्योंकि संसद में तो कांग्रेस ने आम जन से जुड़े मंहगाई,बेरोजगारी,भ्रष्टाचार, किसानों के मुद्दों को पूरी तरह से भुला दिया।