Hisar News: हवाई उड़ान की रफ्तार के सपने पर आचार संहिता का ब्रेक

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हवाई उड़ान की रफ्तार के सपने पर आचार संहिता का ब्रेक
हवाई उड़ान की रफ्तार के सपने पर आचार संहिता का ब्रेक

Hisar News (आज समाज) हिसार: चुनावी रणभेरी बजने के साथ ही शुक्रवार शाम से हिसार में आचार संहिता प्रभावी हो गई। जिले की सात विधानसभा सीटों पर एक अक्तूबर को मतदान होगा और 4 अक्तूबर को नतीजे घोषित होंगे। आचार संहिता लगने के साथ ही एयरपोर्ट से उड़ान, नए बस अड्डे, नए नागरिक अस्पताल भवन, ऐलिवेटेड रोड, दिल्ली रोड को छह लेन करने सहित अन्य बड़ी परियोजनाओं पर ब्रेक लग गया है। अब प्रदेश में नई सरकार के गठन के बाद ही इन परियोजनाओं का भविष्य तय होगा। इस बार जिले में 13,57,489 मतदाता हैं, इनमें 7,22,301 पुरुष, 6,35,177 महिला और 11 थर्ड जेंडर मतदाता हैं। नारनौंद विधानसभा क्षेत्र में सर्वाधिक 1,15,541 मतदाता हैं। उधर, आचार संहिता लगते ही प्रशासन ने अधिकाधिक मतदान के लिए कमर कस ली है। हिसार विधायक और स्वास्थ्य मंत्री डॉ. कमल गुप्ता हिसार में सितंबर से हवाई उड़ान शुरू होने का सपना दिखा रहे थे। एयरपोर्ट को लाइसेंस देने की प्रक्रिया चल रही थी और लाइसेंस मिलने के बाद सबसे पहले अयोध्या के लिए हवाई सेवा शुरू करने का दावा किया जा रहा था। एयरपोर्ट के उद्घाटन के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निमंत्रण दिया गया था, लेकिन आचार संहिता में यह काम पूरा होना संभव नहीं दिख रहा। शहर के लिए नए बस अड्डे व नए नागरिक अस्पताल भवन का शिलान्यास कराने की भी तैयारी चल रही थी। सितंबर के पहले सप्ताह में शिलान्यास करने की संभावना थी। लोगों को यातायात जाम से राहत देने के लिए ऐलिवेटेड रोड बनाने की योजना पर भी चुनाव होने तक कोई काम नहीं हो सकेगा। इतना ही नहीं दिल्ली रोड को फव्वारा चौक से जिंदल चौक तक छह लेन करने का प्रस्ताव भी सिरे नहीं चढे़ा। चुनाव प्रक्रिया पूरी होने के बाद नई सरकार ही इन परियोजनाओं पर फैसला करेगी।

खाता खोलने के लिए लड़ेगी कांग्रेस

जिले में की 7 सीटों में से हिसार, हांसी, नलवा व आदमपुर में भाजपा के विधायक हैं। उकलाना, बरवाला व नारनौंद में जजपा के विधायक हैं। कांग्रेस का एक भी विधायक नहीं है। 2019 के चुनाव में 7 में से आदमपुर सीट से कांग्रेस के कुलदीप बिश्नोई विधायक बने थे। 2022 में उन्होंने कांग्रेस छोड़कर भाजपा ज्वाइन कर ली। इसके बाद उपचुनाव में कुलदीप के बेटे भव्य बिश्नोई भाजपा विधायक बने। ऐसे में इस बार कांग्रेस फिर से अपना खाता खोलने के लिए चुनाव मैदान में उतरेगी, वहीं गठबंधन टूटने के कारण भाजपा और जजपा के सामने अपनी सीटें बरकरार रखने की चुनौती होगी।