डाॅ.श्रीकृष्ण शर्मा
अपना पहला ओलंपिक खेल रही भारतीय डिस्कस एथलीट कमलप्रीत कौल अपने कोच की उनुपस्थिति में दबाव में आ गईं। उन्हें छठे स्थान से संतोष करना पड़ा। कहा जा रहा है कि कमलप्रीत कौल को अपनी निजी कोच कमी वहां खूब खली। डिस्कस थ्रो का खेल बारिश ने बिगाड़़ दिया। कमलप्रीत भारत की ताकतवर थ्रोअर है। ओलंपिक खेलों में उनसे चक्का फेंक में बड़ी उम्मीदें थी। जबकि क्पालीफाइंग मुकाबले में दूसरे स्थान पर रहीं थी। कमलप्रीत उम्मीदों के अनुरूप तो प्रदर्शन नहीं कर सकी। अपने निजी कोच के बिना वह पूरे फाईनल में नर्वस दिखाई पड़ी। लेकिन,पचीस वर्षीय पंजाब की राष्ट्रीय चैंपियन कमलप्रीत कौर ने इंटरनेशनल लेवल पर अपनी पहचान बनाने में सफलता जरूर पा ली।
भारतीय खेल प्राधिकरण और एथलेटिक्स से संबंधित खेल संघों के तमाम प्रयासो के बाद भी जब कमलप्रीत कौर की कोच राखी त्यागी को आधिकारिक मान्यता नहीं मिलने कारण टोक्यो न जा सकीं। भारतीय खेल प्राधिकरण के केन्द्र बादल में और पटियाला केम्प में कमलप्रीत कौर को प्रशिक्षित कर रही एथलेटिक्स कोच राखी त्यागी का मानना है कि उनका ओलंपिक खेलों में न जाने से कमलप्रीत कौर के प्रदर्शन पर फर्क पड़ा है। लेकिन पहले छः खिलाड़ियों में जगह बनाना भी कम मायने नहीं रखता । कोच ने कहा कि यहां पर भी बारिश में ट्रेनिंग करते रहे है। माइंड सेट की बात थी, सिचुएशन टेकल की जा सकती थी। राखी त्यागी ने कहा कि अगर वह वहां होती तो कमलप्रीत कौर को दबाव स्थिति से बचाया जा सकता है। कमलप्रीत कौर के प्रदर्शत में जबरदस्त उछाल देखने को मिलता। साथ ही कमलप्रीत के विपरीत परिस्थितियों के किए गए खेल पर पूरी तरह संतुष्टि दिखाते हुए कहा उनकी पहली प्राथमिकता होगी कि कमलप्रीत कौर को मनोवैज्ञानिक तौर पर यह महसूस कराना कि भविष्य में चमत्कारी कामयाबी दिलाने का दमखम उनके पास है।
इन ओलंपिक खेलों में खाली हाथ लौट रही कमलप्रीत कौर अब विश्व चैंपियनशिप,एशियाई खेलों और राष्ट्रमंडल खेलों में जीत पाकर राहत दिलाने की मजबूत चुनौती सामने होगी। जहां उनकी कोच उनके साथ होंगी।
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