मनोज वर्मा, कैथल:
CM Manohar Lal Khattar in Maharudra Yagya : श्री ग्यारह रुद्री मंदिर में चल रहे महारुद्र यज्ञ में शनिवार को हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल सहित कई मंत्रियों, विधायकों व अन्य राजनेताओं ने यज्ञशाला की परिक्रमा कर पूजा अर्चना की। इसके अलावा कांग्रेस के अखिल भारतीय मीडिया प्रभारी और पूर्व मंत्री रणदीप सुरजेवाला ने भी महारुद्र यज्ञ में श्रद्धा के साथ भाग लेकर पूजा अर्चना की। उन्होंने भी यज्ञशाला की परिक्रमा की।
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स्थानीय नेताओं ने किया स्वागत (CM Manohar Lal Khattar in Maharudra Yagya)
श्री ग्यारह रुद्री मंदिर सभा के प्रधान विनोद मित्तल और महासचिव डा. राजेश गोयल ने बताया कि शनिवार को अनेकों वीआईपी ने महारुद्र यज्ञ में पूजा अर्चना की। सबसे पहले कांग्रेस के अखिल भारतीय मीडिया प्रभारी रणदीप सुरजेवाला पूजा अर्चना के लिए पहुंचे। इसके बाद स्थानीय निकाय मंत्री डा. कमल गुप्ता ने पूजा अर्चना की। मुख्यमंत्री मनोहर लाल, राज्यमंत्री कमलेश ढांडा व सांसद नायब सैनी के साथ दोपहर करीब बारह बजे मंदिर परिसर में पहुंचे। उनका यहां पहुंचने पर विधायक लीला राम, विधायक रणधीर गोलन व अन्य भाजपा नेताओं, अधिकारियों व मंदिर सभा सदस्यों उनका स्वागत किया।
मुख्यमंत्री ने ताजा की मंदिर से जुड़ी यादें (CM Manohar Lal Khattar in Maharudra Yagya)
मुख्यमंत्री ने मंदिर से जुड़ी अपनी यादों को ताजा किया और कहा कि, जब भी आरएसएस की बैठक होती थी तो मंदिर परिसर में ही बैठक होती थी। उनका मंदिर से पुराना लगाव है। उन्हें पता चला कि, यहां पर महारुद्र यज्ञ हो रहा है। इसके लिए शुक्रवार सुबह तक कोई कार्यक्रम नहीं था। लेकिन मन में विचार आया और उन्हें लगा कि श्री ग्यारह रुद्री मंदिर में जाना चाहिए। वे यहां आ गए। यहां पहुंच कर अच्छा लगा। मंदिर समिति ने एक करोड़ से बनने वाले हाल की बात कही है।
धार्मिक कार्यक्रम में घोषणा नहीं: मुख्यमंत्री (CM Manohar Lal Khattar in Kaithal)
वे धार्मिक कार्यक्रम में हैं, इसीलिए घोषणा तो नहीं करेंंगे। लेकिन इस हाल के निर्माण में हर संभव सहयोग दिया जाएगा। उन्होंने महामंडलेश्वर यतिंद्रानंद जी को नमन किया और कहा कि, आदि बदरी में यदि संतों का आशीर्वाद रहेगा तो उनके अनुसार विकास कार्य किया जाएगा। उन्होंने सभी को इस महारुद्र यज्ञ की बधाई दी। इसके बाद मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने मंदिर में स्थित श्री ग्यारह रुद्रों की पूजा अर्चना की।
इन लोगों ने दर्ज कराई उपस्थिति (Congress’s Surjewala in Kaithal)
साथ ही स्थानीय निकाय मंत्री डा. कमल गुप्ता, सांसद नायब सैनी, राज्यमंत्री कमेलश ढांडा, विधायक एवं चेयरमैन रणधीर गोलन, अरुण सर्राफ, प्रवीण प्रजापति, मनीष कठवाड़ सहित अनेकों भाजपा नेताओं ने भी पूजा अर्चना की। इस अवसर पर अरुण सर्राफ, बहादुर सैनी, घनश्याम दास मित्तल, तुलसीदास सचदेवा, धर्मेंद्र गुप्ता, राजकुमार गोयल, सतनारायाण मित्तल, रामकुमार गुप्ता, इंद्रजीत सरदाना, भगत राम सैनी, बीरभान जैन, रमेश गर्ग, डा. मुकेश अग्रवाल, सुरेश मित्तल, महेंद्र पाल शर्मा, कृष्ण बत्तरा, राजकुमार गर्ग, पंकज कुमार के अलावा धर्मबीर सिंह सहित भारी संख्या में मंदिर समिति सदस्य व शहरवासी मौजूद थे।
तीर्थों की भूमि है कैथल: रणदीप सुरजेवाला (Congress’s Surjewala in Maharudra Yagya)
कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि कैथल की भूमि तीर्थों की भूमि है। इसमें श्री ग्यारह रुद्री शिव मंदिर का अहम स्थान है। यहां इतने बड़े विशाल आयोजन के लिए मंदिर समिति का आभार जताया। उन्होंने यज्ञशाला की परिक्रमा की। महामंडलेश्वर यतिंद्रानंद जी का आशीर्वाद लिया। दिन भर आम लोगों की भीड़ उमड़ी रही। विशेष रूप से महिलाओं ने भारी संख्या में इस महारुद्र यज्ञ में भाग लेकर यज्ञशाला की परिक्रमा की।
ये लोग रहे मौजूद (CM Manohar Lal Khattar in Maharudra Yagya)
शनिवार को दीपक अग्रवाल, गौरव गोयल, रोहित बंसल, अशोक गौतम, आरएल बंसल, ईश सचदेवा ने घी की आहुतियां डालीं। वहीं सामग्री से रामेश्वरदास, योगेश गुप्ता, साकेत मंगल, दीक्षित गर्ग, नरेंद्र गुप्ता, नरेश सैनी, रोशन लाल सैनी, गुलशन सैनी, दर्शन सैनी, सुनील जिंदल, मंयक कुमार, रामफल बालू, ऋषिपाल गोयत, तिलकराज, गोपाल कृष्ण भट्ट, ईश्वर गोयल, प्रमोद कुमार, संदीप जगदंबा, राजेश पप्पू, नितिश गोयल, रमेश खुरानिया, राजकुमार गोयल, राजेंर्द्र मित्तल, संजय, रवि प्रकाश गुप्ता, रमेश बंसल, सुभाष बंसल, सुशील बंसल, सुभाष बंसल व जगन्नाथ करनाल ने आहुतियां डालीं।
शिव चरित्र श्रवण करने से होती है रामभक्ति में दृढनिष्ठा-महामंडलेश्वर (Latest Kaithal News)
ग्यारह रूद्री शिव मंदिर में आयोजित शिव चरित्र कथा के चौथे दिवस अनंतश्री विभूषित वरिष्ठ महामंडलेश्वर योगी यतींद्रानंद गिरी जी ने बताया कि, शिव चरित्र का पठन-पाठन अथवा श्रवण करने से रामभक्ति में दृढ़ निष्ठा उत्पन्न होती है। भगवान शिव की तरह श्रीराम में अनन्य निष्ठा रखने वाला उदाहरण कहीं अन्यत्र नहीं। महाराज ने शिवचरित्र का विश्लेषण करते हुए बताया कि, भगवान शिव ने निष्पाप सती को केवल इसलिए त्याग दिया क्योंकि श्रीराम की परीक्षा लेने के लिए उन्होंने भगवती सीता का रूप धारण किया। यद्यपि भगवान शिव सीता को अपनी इष्ट देवी के रूप में मानते थे। जब सीताजी ने भगवान शिव की आराध्या सीताजी का रूप धारण कर लिया तो भगवान शिव उन्हें पत्नी के रूप में कैसे स्वीकार कर सकते थे।
इसलिए भगवान शिव ने सती जी का त्याग कर श्रीराम में अपनी दृढ़ निष्ठा का उदाहरण दिया। पार्वती के जन्म के प्रसंग पर रोचक व्याख्या प्रस्तुत करते हुए कहा कि भगवान शिव का स्वरूप लोक कल्याणकारी है। भगवान शिव के त्रिशूल का दर्शन करने से प्राणी के तीनों प्रकार के शूल नष्ट हो जाते हैं। दैहिक, देविक तथा भौतिक संताप शिव भक्तों को छू भी नहीं सकते। भगवान शिव के हाथ में सुशोभित डमरू के नाद से ही वेदों की ऋचाएं, संगीत के सातों स्वर व्याकरण के सूत्रों का सृजन हुआ है। भगवान शिव के भव्य भाल पर सुशोभित गंगा त्रेलोक्य को पवित्र तथा पावन बनाती है। वहीं दूसरी और उनके ललाट पर स्थित तीसरा नेत्र ज्ञान का प्रतीक है।
स्वामी जी ने बताया कि यह तीसरा नेत्र प्रत्येक प्राणी के पास ज्ञान के रूप में विद्यमान है लेकिन सदगुरु की कृपा के बगैर इसका खुलना असंभव है। स्वामी जी ने आगे बताया कि सती की गलती सिर्फ इतनी थी कि उन्होंने श्रीराम कथा को पूरी निष्ठा के साथ श्रवण नहीं किया। इसलिए वे सीता के वियोग में तड़पते राम को पहचान सकी और वे ही सती दूसरे जन्म में पार्वती बनी। उन्होंने भगवान शिव को प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की तब भगवान शिव ने उन्हें श्रीराम की आज्ञा से पुन: स्वीकार किया। इस अवसर पर हजारों भक्त बंधु परम सुखद अनुभूति से मंत्रमुग्ध हुए।
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