केंद्र ने मानी प्रदेश सरकार की मांग, पंजाब के गोदामों से 31 मार्च 2025 तक 120 लाख मीट्रिक टन अनाज उठाने की सहमति दी
कम पानी की खपत वाली धान की किस्मों को लाने के लिए केंद्रीय मंत्री ने पंजाब की सराहना की
Punjab CM News (आज समाज), चंडीगढ़ : प्रदेश के राइस मिलर्स की प्रमुख मांगों को गत दिवस मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री प्रह्लाद जोशी के साथ बैठक की। बैठक में प्रदेश के सीएम के अलावा आलाधिकारी व केंद्र का प्रतिनिधिमंडल भी उपस्थित रहा। बैठक के दौरान सीएम ने प्रदेश में अनाज खासकर धान को लेकर पैदा हुई समस्या से केंद्रीय मंत्री को अवगत कराया।
इसके बाद केंद्रीय मंत्री ने सभी मांगों को जायज मानते हुए उनके हल करने का आश्वासन प्रदेश के मुख्यमंत्री को दिया। इस संबंधी जानकारी देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाब में धान की खरीद एक त्यौहार की तरह होती है। उन्होंने बताया कि पंजाब की अर्थव्यवस्था इस खरीद सीजन पर निर्भर करती है और देश की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए यह सीजन बहुत महत्वपूर्ण है। भगवंत सिंह मान ने बताया कि मौजूदा खरीफ खरीद सीजन 2024-25 के दौरान पंजाब में 185 लाख मीट्रिक टन धान की खरीद की संभावना है और मिलिंग के बाद 125 लाख मीट्रिक टन चावल की डिलीवरी का अनुमान है।
चावल स्टोरेज की प्रदेश में कमी
मुख्यमंत्री ने कहा कि मौजूदा सीजन के दौरान स्टोरेज की कमी लगातार हो रही है और अब तक सिर्फ सात लाख मीट्रिक टन क्षमता ही उपलब्ध है, जिससे राज्य के मिल मालिकों में व्यापक असंतोष है। भगवंत सिंह मान ने कहा कि इससे मंडियों में धान की खरीद/उठान पर बुरा असर पड़ रहा है, जिससे किसानों के बीच भी नाराजगी बढ़ रही है। मुख्यमंत्री द्वारा उठाए गए मुद्दों पर प्रतिक्रिया देते हुए जोशी ने मार्च 2025 तक राज्य से 120 लाख मीट्रिक टन धान की उठान सुनिश्चित करने पर सहमति जताई।
राइस मिलर्स पर नहीं पड़ेगा आर्थिक बोझ
चावल की डिलीवरी के लिए मिल मालिकों को परिवहन खर्च की अदायगी का मुद्दा उठाते हुए मुख्यमंत्री ने बताया कि कई बार मिलिंग केंद्रों में स्टोरेज की जगह न होने के कारण एफसीआई मिल मालिकों को अपने डिपो पर चावल पहुंचाने के लिए कहता है, जो अधिकांश मामलों में 50 से 100 किलोमीटर के दायरे में होते हैं।
भगवंत सिंह मान ने कहा कि कई मामलों में ये डिपो राज्य के बाहर भी स्थित होते हैं, जिससे मिल मालिकों पर परिवहन लागत के रूप में अतिरिक्त वित्तीय बोझ पड़ता है। उन्होंने कहा कि इस तरह की लागत चावल मिल मालिकों और राज्य की खरीद एजेंसियों के बीच हुए द्विपक्षीय समझौतों में शामिल नहीं होती। इस मुद्दे के जवाब में केंद्रीय मंत्री ने भगवंत सिंह मान को आश्वासन दिया कि इस संबंध में मिल मालिकों को आने वाले परिवहन खर्च को केंद्र सरकार वहन करेगी।
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