Climate Change: हिमालय में हिमानी झीलों का क्षेत्रफल बढ़ा, बाढ़ के खतरे में इजाफा

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Climate Change: हिमालय क्षेत्र में मौजूद हिमानी झीलों का क्षेत्रफल बढ़ा, बाढ़ के खतरे में इजाफा
Climate Change: हिमालय क्षेत्र में मौजूद हिमानी झीलों का क्षेत्रफल बढ़ा, बाढ़ के खतरे में इजाफा

Climate Change Effect, (आज समाज), नई दिल्ली: हिमालय में भी जलवायु परिवर्तन का असर दिखने लगा है। हाल ही में सामने आई एक सरकारी रिपोर्ट के अनुसार हिमालयी क्षेत्र (Himalayas Region) में मौजूद हिमानी झीलों (glacial lakes) में बीते 13 वर्ष में बढ़ोतरी दर्ज की गई है जो आने वाले समय में बाढ़ के खतरे को और बढ़ा सकती है। हिमानी झीलों का मलतब है ठंडे क्षेत्र में पाई जाने वाली पानी की झीलें।

केंद्रीय जल आयोग की रिपोर्ट

केंद्रीय जल आयोग (CWC) की रिपोर्ट में बताया गया है कि वर्ष 2011 से 2024 के बीच हिमालयी क्षेत्र में मौजूद हिमानी झीलों के क्षेत्रफल में 10.81 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। इस मतलब है कि हिमालय के जबरदस्त ठंड वाले इलाकों में भी अब बहुत तेजी के साथ बर्फ पिघलना शुरू हो गई है।

बेहताशा पानी बढ़ने से बाढ़ का खतरा

चिंताजनक यह है कि इन परिवर्तनों के कारण झीलों में बेहताशा पानी बढ़ने की वजह से बाढ़ का खतरा काफी बढ़ गया है। बता दें कि पूरे हिमालयी क्षेत्र में हिमानी झीलों के अलावा अन्य जलीय पिंडों का क्षेत्रफल साल 2011 में 5,33,401 हेक्टेयर था, जो 2024 में बढ़कर 5,91,108 हेक्टेयर हो गया है। यह लगभग 10.81 फीसदी की वृद्धि है। सीडब्ल्यूसी की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में झीलों के सतही क्षेत्र में 33.7 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई है, जो बहुत अधिक है।

सतही क्षेत्रफल में 33.7 प्रतिशत का इजाफा

बता दें कि देश में हिमानी झीलों का कुल क्षेत्रफल 2011 में 1962 हेक्टेयर था जो 2024 में 2623 हेक्टेयर तक पहुंच चुका है। यह सतही क्षेत्रफल में 33.7 प्रतिशत का इजाफा है। सरकार रिपोर्ट के अनुसार भारत की 67 ऐसी झीलों की भी पहचान की गई है, जिनके सतही क्षेत्रफल में 40 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। बाढ़ के खतरे को देखते हुए इन झीलों को उच्च-जोखिम वाली झीलों की श्रेणी में रखा गया है।

इन राज्यों में झीलों के क्षेत्रफल में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी

जिन राज्यों में हिमानी झीलों के क्षेत्रफल में सबसे ज्यादा वृद्धि दर्ज की गई है, उनमें हिमाचल प्रदेश, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, लद्दाख, और उत्तराखंड शामिल हैं। इससे चलते इन राज्यों में पर्वतीय क्षेत्र से बाढ़ का खतरा काफी ज्यादा बढ़ गया है। साथ ही सरकार द्वारा इस क्षेत्रों पर नजर रखने व आपदा प्रबंधन बढ़ाने की आवश्यकताएं भी जरूरी हो गई हैं।

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