Climate Change Indian Govt: सबसे ज्यादा कार्बन उत्सर्जन के लिए विकसित देश जिम्मेदार

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Climate Change Indian Govt: सबसे ज्यादा कार्बन उत्सर्जन के लिए विकसित देश जिम्मेदार
Climate Change Indian Govt: सबसे ज्यादा कार्बन उत्सर्जन के लिए विकसित देश जिम्मेदार

Union Environment Minister Bhupendra Yadav, (आज समाज), नई दिल्ली:  केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा है कि सबसे ज्यादा कार्बन उत्सर्जन के लिए विकसित देश ही जिम्मेदार हैं और ऐसे में उन्हें जलवायु परिवर्तन की जिम्मेदारी लेनी चाहिए। साथ ही विकसित देशों को विकासशील देशों को जलवायु वित्त उपलब्ध करवाना चाहिए।

भूपेंद्र यादव ने भारत जलवायु शिखर सम्मेलन कार्यक्रम के दौरान शुक्रवार को कहा कि अजरबैजान के बाकू में होने वाले संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन के केन्द्र में भी जलवायु वित्त ही होगा, जहां नए सामूहिक परिमाणित लक्ष्य (एनसीक्यूजी) पर दुनियाभर के देशों में सहमति बन सकती है। उन्होंने बताया कि इसके तहत विकसित राष्ट्र 2025 से एक तय राशि विकासशील देशों को देंगे, ताकि वे जलवायु परिवर्तन के खतरों से निपट सकें।

तापमान वृद्धि एक वैश्विक समस्या

केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा, तापमान वृद्धि एक वैश्विक समस्या है। आईपीसीसी की रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि कार्बन उत्सर्जन में वृद्धि से औसत वैश्विक तापमान में बढ़ोतरी हुई है। उन्होंने कहा, भारत ने अपने जलवायु लक्ष्यों को हासिल कर लिया है, चाहे वह नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में हो या फिर कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने का। भूपेंद्र यादव ने कहा, अगर हमें दुनिया में समान विकास की जरूरत है तो विकसित देशों को विकासशील देशों को वित्त व तकनीकी सहायता प्रदान करनी पड़ेगी। दुर्भाग्य से, ऐसा नहीं हो सका, लेकिन नया सामूहिक परिमाणित लक्ष्य, बाकू में आयोजित होने वाले ‘कॉप29’ का केंद्रीय बिंदु होगा।

वैश्विक तापमान कम करने पर जोर

केंद्रीय मंत्री ने कहा, साल 2015 के पेरिस समझौते में वैश्विक तापमान को 1850-1900 के औसत की तुलना में 2 डिग्री सेल्सियस से नीचे तक सीमित करना शामिल है। उन्होंने कहा कि पृथ्वी की वैश्विक सतह का तापमान 1850-1900 के औसत से पहले ही 1.15 डिग्री सेल्सियस अधिक है।

जलवायु वैज्ञानिकों का सुझाव

जलवायु वैज्ञानिकों का कहना है कि दुनियाभर के देशों को 2030 तक (2019 के स्तर की तुलना में) कम से कम 43 प्रतिशत तक ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने की जरूरत है, ताकि तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखा जा सके।

विकासशील देशों का तर्क

विकासशील देशों का तर्क है कि अगर विकसित देश, जो ऐतिहासिक रूप से जलवायु परिवर्तन के लिए जिम्मेदार हैं, वित्तीय सहायता प्रदान नहीं करते हैं, तो उनसे कार्बन उत्सर्जन को तेजी से कम करने की उम्मीद करना बेमानी है। विकासशील देश जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए खरबों डॉलर देने की मांग कर रहे हैं।