Aaj Samaj (आज समाज), CJI DY Chandrachud, नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने के फैसले को चुनौती देने वाली 23 याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को फिर सुनवाई हुई। इससे पहले, 2020 में पांच जजों की संवैधानिक पीठ ने इस मामले की सुनवाई की थी। उस समय कोर्ट ने कहा था कि हम मामला बड़ी संवैधानिक बेंच को ट्रांसफर कर रहे हैं। मंगलवार को सुनवाई करने वाले पांच जजों की बेंच में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस एस के कौल, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत शामिल थे।
- आर्टिकल में आप संशोधन नहीं कर सकते : सिब्बल
370 खुद कहता है, इसे खत्म किया जा सकता है
सीजेआई चंद्रचूड़ ने सुनवाई के दौरान कहा कि आर्टिकल 370 खुद कहता है कि इसे खत्म किया जा सकता है। इस पर वकील कपिल सिब्बल ने कहा, 370 में आप संशोधन नहीं कर सकते, इसे हटाना तो भूल ही जाइए। सीजेआई ने इसके जवाब में कहा, आप सही हैं, इसलिए सरकार के पास स्वयं 370 में संशोधन करने की कोई शक्ति नहीं है। सिब्बल ने कहा, यह व्याख्या (अपने शब्दों में समझाना, इंटरप्रिटेशन) करने वाला क्लॉज है, यह संविधान में संशोधन करने वाला क्लॉज नहीं है।
व्याख्या के मुताबिक, आप 370 में संशोधन नहीं कर सकते : सिब्बल
जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा, आर्टिकल 370 के क्लॉज (डी), में राष्ट्रपति मॉडिफिकेशन कर सकते हैं। अगर ये मॉडिफिकेशन किए जाते हैं तो इसकी प्रक्रिया क्या होगी? सिब्बल ने इसके जवाब में कहा- नहीं, व्याख्या के मुताबिक, आप 370 में संशोधन नहीं कर सकते। आप संविधान सभा का स्थान नहीं ले सकते। जो आप प्रत्यक्ष रूप से नहीं कर सकते, वह आप अप्रत्यक्ष रूप से नहीं कर सकते।
जस्टिस खन्ना ने कहा, इंटरप्रिटेशन क्लॉज में संशोधन नहीं हो सकता? सिब्बल ने कहा, मैं 370 में संशोधन नहीं करूंगा, लेकिन 367 में संशोधन करके 370 में संशोधन करूंगा? सीजेआई ने कहा, 367 (4) पहली बार संविधान के साथ नहीं, बल्कि 1954 में लाया गया था, इसलिए जब 367(4) लाया जाता है, यदि आपका तर्क सही है तो 367(4) को मूल रूप से जोड़ा जाना भी अमान्य है। सिब्बल ने इस पर कहा कि जब कुछ मौजूद नहीं हो तो आप अनिश्चितता का पता नहीं लगा सकते। यह पहला सिद्धांत है।
370 आतंकवाद के खात्मे का एकमात्र रास्ता
जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने के मामले में आखिरी सुनवाई 11 जुलाई को हुई थी। इससे एक दिन पहले 10 जुलाई को केंद्र सरकार ने इस मामले में नया एफिडेविट दाखिल किया था। इसमें सरकार की ओर से कहा गया था कि जम्मू-कश्मीर तीन दशकों तक आतंकवाद झेलता रहा और इसे खत्म करने का एक ही रास्ता था आर्टिकल 370 को हटाना।
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