अमित शाह ने राज्यसभा में आज नागरिकता संशोधन बिल पेश किया। उन्होंने कहा कि इस बिल से करोड़ों लोगों को उम्मीद है। धर्म के आधार पर प्रताड़ित लोगों को नागरिकता मिलेगी। हमने अपने घोषणा पत्र में इसका वादा किया था। जनता ने इसका समर्थन किया और हमें चुनकर यहां आएं है। हम नागरिकता संशोधन बिल को लागू करेंगे। पूर्वोत्त्तर राज्यों की भी हमें चिंता है। हम उनकी संस्कृति को, भाषा को संरक्षित करेंगे। पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान देशों की सीमा हमारे देश से मिलती है। अफवाह फैलाई जा रही है कि यह बिल मुस्लिमों के खिलाफ है। आप क्या चाहते हैं। पाकिस्तान से आए मुस्लिमों को, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आए मुस्लिमों को भी नागरिकता दे दें तो हमारा देश कैसे चलेगा। इन तीनों देशों में धार्मिक प्रताड़ना दी जा रही है। वह कहा जाएंगे। इस देश के मुस्लिमों को डरने की जरूरत नहीं है। वह इस देश के नागरिक थे हैं और रहेंगे। कोई अगर आपको डराता है तो डरिए मत। यह नरेंद्र मोदी सरकार है किसी माइनारिटी को डरने की जरूरत नहीं हैं। किसी के बहकावे में न आएं मुस्लिम। उन्होंने कहा कि अप्रवासी हिंदू, जैन, बौद्ध, पारसी, ईसाई को जब से आएं हैं वह उन्हें उसी तारीख से नागरिकता दी जाएगी। जो शरणार्थी आए हैं जो अपना काम कर रहें है दुकान कर रहें हैं। यह बिल उन्हें उसी तरह से सुरक्षा देंगा। शरणार्थियो के कार्य को नियमित किया जाएगा। असम के बारे में कहा कि राजीव गांधी ने 1985 में असम अकॉर्ड किया। उनके संस्कृति,भाषा को संरक्षित किया गया। लेकिन 1985 से लेकर 2014 तक कोई कमेटी क्लाज 6 बी के लिए नहीं बनी। असम की समस्या का सही समाधान निकालने का समय आ गया है। उन्होंने कहा कि इस बिल को राजनीति से उपर उठकर देखना चाहिए। लाखों करोड़ों लोगों के लिए कल का सूरज नई उम्मीद लेकर आएगा। जिन लोगों ने अब तक प्रताड़ना झेली है अब वह इससे बाहर आएंगे। बता दें कि इस बिल के लिए छह घंटे का समय निधार्रित किया गया है।
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आनंद शर्मा ने कहा कि सरकार इतनी जल्दी में क्यों यह बिल लेकर आ रही है। इसे अगले सत्र में भी प्रस्तुत किया जा सकता था। लेकिन सरकार ने इसे नहीं समझा, इसे वर्किंग कमेटी को दिया जा सकता था। नागरिकता बिल 1955 में आया था इसमें 9 बार बदलाव किया गया लेकिन इससे मूल नागरिकता बिल में कोई फर्क नहीं पड़ा। पाकिस्तान से आए दो लोग आई.के.गुजराल और डॉ. मनमोहन सिंह भारत के प्रधानमंत्री बने। आप कहते हैं कि पहले सरकारों को उनकी चिंता नहीं थी। अमित शाह ने बंटवारे का जिक्र किया और कहा कि कांग्रेस उसके लिए जिम्मेदार हैं। आप उनको कारण बता रहे हो जिन्होंने सालों साल अंग्रेजों से भारत को आजादी के लिए उनकी जेलों में काटे थे। हिंदू महासभा ने दो देशों की थ्योरी पास की गई थीं। दो देशों की थ्योरी सबसे पहले 1937 में सावरकर ने दी थी। नागरिकता संशोधन में नौ बार संशोधन लाया गया। सभी महत्वपूर्ण थे। यह कहना गलत है कि 72 साल में कुछ नहीं किया। यूगांडा, कीनिया, श्रीलंका से आए लोगों को नागरिकता दी गई। भारत में कभी भी धर्म के आधार पर नागरिकता नहीं दी गई। भारत ने शरणार्थियों को हमेशा शरण दी। चाहें वह यहूदी थे, पारसी थे या कोई और। 9/11 1983 में विवेकानंद जी का भाषण जिस पर हम सबको गर्व है। उन्होंने कहा था कि हमें गर्व है कि मैं उस देश से संबंधित हूं जहां दुनिया से आए सभी धर्मों को शरण दी गई है। आनंद शर्मा ने कहा कि अगर इसे राजनीति से अलग कर देखना है तो इसे रोकें और आम सहमति से इसे आगे बढ़ाएं।
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टीआरएस ने किया विरोध
तेलंगाना राष्ट्र समिति के सांसद के केशव राव ने राज्यसभा में कहा कि यह नागरिकता संशोधन बिल भारत के विचार को चुनौती देता है और न्याय के प्रत्येक आदर्श को नकारता है।
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सपा ने किया बिल का विरोध
राज्यसभा में समाजवादी पार्टी के सांसद जावेद अली खान ने नागरिकता संशोधन विधेयक के विरोध में कहा कि नागरिकता संशोधन बिल और एनआरसी के जरिये हमारी सरकार जिन्ना के सपनों को पूरा कर रही है।
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जेडीयू ने किया नागरिकता संशोधन बिल का समर्थन
जेडीयू में आतंरिक मतभेद इस बिल को लेकर था। दो नेता इस बिल की खिलाफत कर रहे थे और नीतिश को इस बिल पर सरकार का समर्थन करने पर पुनर्विचार के लिए भी कह चुके थे। लेकिन सांसद राम चंद्र प्रसाद ने राज्यसभा में कहा कि उनकी पार्टी नागरिकता संशोधन बिल का समर्थन करती है।
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समाजवादी पार्टी के सांसद जावेद अली खान ने अगर पहला संशोधन अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश की जगह पड़ोसी देश होता और दूसरा संशोधन यह कि हिन्दू, सिख की जगह अल्पसंख्यक होता तो निश्चित तौर पर इस बिल को सबका समर्थन मिलता।