Cinema and Saptu – ‘Ram Teri Ganga Maili’ actress Mandakini – Giving by Saptu: सिनेमा और सपाटू – ‘राम तेरी गंगा मैली’ की अभिनेत्री मंदाकिनी – सपाटू की देन

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यह शीर्षक अटपटा सा लग सकता है परंतु मेरी जन्म स्थली सपाटू का  बॉलीवुड से गहरा रिश्ता आज से नहीं अपितु चौथे – पांचवें दशक से रहा है। दादा साहब फाल्के अवार्ड से नवाजी गई फिल्म अभिनेत्री देविका रानी गर्मियों में कुछ समय बिताने के लिए शिमला जाने की बजाय सपाटू आया करती थी। आजकल सलारिया पार्क से सटी कोठी जिसे उस समय हंडूरिया लॉज कहते थे, वह उनका ग्रीष्म कालीन आशियाना हुआ करता था। चंूकि उन दिनों प्रचार का जमाना नहीं था इसलिए वे आती और यहां के शांत वातावरण का लुत्फ उठा कर बंबई वापस चली जाती। उन दिनों एशियाई खेलों के जन्मदाता और गवर्नमेंट कालेज लाहौर के प्रथम भारतीय प्रिसीपल स्व. गुरु दत्त सोंधी भी पाकिस्तान से आकर सपाटू में बस गए थे। देविका रानी यहां से कुछ दूर बने लोहे के पुल के पास जहां वर्तमान  ब्रिजेश्वर मंदिर है, के एक परिवार से एक सज्जन को भी अपने साथ ले गई जिसने उनकी कई फिल्मों में छोटे मोटे रोल भी किए। 1967 में जब इन महाशय से मेरी मुलाकत हुई तो उन्होंने कुछ फोटो भी दिखाई। मेरे स्व. बाबू जी श्री  बिश्वा नाथ गुप्ता जो उन दिनों उर्दू के अखबारों और रिसालों में लिखा भी करते थे, देविका रानी की वह फिल्म देखने दिल्ली भी गए थे और अभिनेत्री की शख्सियत के बारे भी बताया करते थे।
उल्लेखनीय है कि सपाटू  शिमला बनने से पहले वैसे भी  भारत की ग्रीष्मकालीन राजधानी रही है और वायसराय यहीं रहता था । 
   इसके बाद फिल्मी संसार में ‘राम तेरी गंगा मैली’ से चर्चित हुई अभिनेत्री मंदाकिनी का नाम आता है जो यहां के एक मुंशी जी की नातिन है और मेरे अंतरंग मित्र और सहपाठी,  और अब मेरठ निवासी शाहनवाज़ की भांजी है। मंदाकिनी का ममेरा परिवार सपाटू में ही रह रहा है।
    यही नहीं प्रसिद्ध गायक मीका की पहली एल्बम – ‘सावन में लग गई आग’, की शूटिंग सपाटू की लोकेशन लोहे के पुल पर ही रही जहां सारा गाना फिल्माया गया। शाहरुख खान की शुरुआती फिल्म माया मेम साहब का कुछ भाग भी यहां फिल्माया गया।  आईवरी मर्चेंट निर्मित और शशि कपूर के ससुर की फिल्म –       ‘शेक्सपीयार वाला’ में , कब्रिस्तान का दृश्य भी यहीं पिक्चराइज किया गया। दिलीप साहब भी अपनी किसी फिल्म के लिए मोहन मेकिन्ज के सौजन्य से ,लोकेशन देखने आ चुके हैं पर बात नहीं बनी थी।  
     ‘अपलम चपलम’ , ‘एक थी लड़की‘ और ऐसी कई प्रसिद्ध फिल्मों के निर्माता  रुप. के .शोरी के छोटे भाई ,कंवर शोरी जिनकी शूट की हुई  विभाजन के समय की ट्र्ेन पर चढ़ते हुए शरणार्थी वाली  डाक्युमेंट्र्ी जो आज भी कई बार अक्सर दिखाई जाती है, ने भी दूरदर्शन के लिए प्रायश्चित टाईटल से टेली फिल्म बनाई थी। इसे मैनें और पंजाबी फिल्मों के पितामह स्व. भाग सिंह ने लिखा था। इसमें उनकी पत्नी श्री मती कमला और पुत्री बानो ने भी अभिनय किया था। बानो आजकल आकाशवाणी चंडीगढ़ में हैं और उनके एक सह कलाकर बाली अमेरिका में हैं।
  इसके अलावा प्रसिद्ध नाटककार और नुक्कड़ नाटक के प्रणेता व फिल्मकार , जी एस वन्नी ने भी दूरदर्शन के लिए बनाए गए कशमीर समस्या पर आधारित 6 सीरियल और एक टेली फिल्म – तुम अकेली नहीं  की शूटिंग सपाटू में ही की। कुछ सीरियल्ज का लेखन और उसमें अभिनय भी मैनें किया । टेली फिल्म ‘तुम अकेली नही’ं  जिसे संपूर्ण तौर पर मैंनें और मेरी स्व. पत्नी मंजू गुप्ता सपाटू ने लिखा था , 1987 में रामायण सीरियल समाप्त होने के अगले रविवार को ही प्रसारित की गई थीं ।
   स्व. श्याम जुनेजा ने पंजाबी कामेडी फीचर फिल्म ‘हनीमून’ की शूटिंग सपाटू में ही की परंतु धनाभाव के कारण यह पिक्चर सिनेमा हाल तक नहीं पहुंच पाई। इसमें मैंने और मेरी संगिनी ने भी भूमिका निभाई थी।
    आज की बात करें तो सपाटू के एक और रत्न पार्श्व गायक – युवी सिंगर जिन्हों ने अक्षय कुमार की फिल्म ‘टायलेट एक प्रेम कथा’ में गाना गाया है, आजकल जी टी.वी पर  एक सिंगिंग प्रोग्राम  ’सा रे गा मा पा लिटल चैंप’ कार्यक्रम  में ज्यूरी के सदस्य बन कर छा रहें हैं। 
        ‘ बहन  होगी तेरी ‘ मूवी  के डॉयलाग राईटर और कश्मीर पर लिखी दो किताबों के चर्चित युवा लेखक संचित गुप्ता भी सपाटू के ही निवासी है और मेरे कजन डाक्टर प्रकाश गुप्ता के सुपुत्र हैं।
      सपाटू के आस पास का इलाका बहुत शांत, सुरम्य और शूटिंग फ्रेंडली है, परंतु इसे न तो पर्यटन की दृष्टि से विकसित किया गया न हीे शूटिंग लोकेशन के तौर पर और न ही शिमला या सोलन का प्रेशर कम करने के लिए यहां हाउसिंग बोर्ड आदि ने ध्यान दिया है।